भारत चीन सम्बन्ध का इतिहास
भारत चीन सम्बन्ध सदियों पुराने है लेकिन आजादी के बाद दोनों देशों के बीच के सम्बन्ध अधरझूल में रहे हैं. कुछ समय अच्छा निकलता है और कुछ समय तनाव में. यहां हम भारत और चीन की आजादी के बाद से सम्बन्धों में आये उतार-चढ़ाव की टाइमलाइन दे रहे हैं जो थोड़े समय में आपको बीते 70 सालों को समझने में मदद करेंगे.
टाइमलाइन: भारत चीन सम्बन्ध
15 अगस्त, 1947ः भारत स्वतंत्र हुआ।
1 अक्टूबर, 1949ः चीनी क्रांति सफल हुई और चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई।
30 दिसम्बर 1949ः भारत ने साम्यवादी चीन को मान्यता प्रदान की।
26 अक्टूबर, 1950ः भारत ने तिब्बत पर चीन के आक्रमण का विरोध किया।
23 मई, 1951ः चीन और तिब्बत के बीच संधि हुई, जिसमें तिब्बत के मामले में विदेशी सम्बन्धों का अधिकार चीन को मिल गई। तिब्बत को स्वायत्ता मिली।
29 अप्रैल 1954ः भारत-चीन में समझौता हुआ जिसमें भारत ने तिब्बत में अपने विशेष बहिर्देशीय अधिकार त्याग कर तिब्बत पर चीन की संप्रभूता स्वीकार की।
जून, 1954ः पंचशील के सिद्धान्त पर दोनो देशों ने औपचारिक मान्यता दी।
जुलाई, 1954ः चीन ने भारत को एक विरोध पत्र (प्रोटेस्ट नोट) भेजा जिसमें यह आरोप लगाया कि भारतीय जवानो ने बू-जे (बाराहोती) पर अवैध कब्जा कर लिया है। भारत ने इस नोट को खारिज कर दिया और मजबूती से इसे अपना क्षेत्र बताया। यह क्षेत्र तत्कालीन उत्तर प्रदेश में स्थित था।
1955ः बाण्डुंग सम्मेलन में पंचशील के सिद्धान्तों को कुछ परिवर्तन के साथ स्वीकार कर लिया गया।
1958ः भारत ने चीन में प्रकाशित नक्शों में भारत के क्षेत्र को अपना बताये जाने पर आपत्ती दर्ज करवाई। चीन ने नक्शे पुराने होने की बात कह कर इस विवाद को नजरअंदाज किया।
जुलाई, 1958ः चीन ने भारत के लद्दाख में स्थित खुरनाक जिले पर अधिकार कर लिया।
सितम्बर, 1958ः चीनी सैनिको ने नेफा के लोहितमण्डल में घुसपैठ प्रारंभ कर दी।
अक्टूबर, 1958ः भारत ने अक्साई चीन में सड़क निर्माण और नेफा घुसपैठ के विरोध में पत्र लिखा।
23 जनवरी, 1959ः चाउ एन लाई ने एक पत्र लिखकर भारत के हजारो वर्गमील प्रदेश पर अपना दावा प्रस्तुत किया।
मार्च, 1959ः तिब्बत में विद्रोह प्रारंभ हो गया। चीन ने इस विद्रोह के पीछे भारत का हाथ बताया। दलाई लामा ने तिब्बत से भागकर भारत में शरण ली। इससे चीन नाराज हो गया लेकिन भारत ने शरणागत की रक्षा की।
25 अगस्त, 1959ः चीन के सैनिको ने नेफा में प्रवेश किया।
19 अप्रैल 1960ः दोनो देशों ने संयुक्त व्यक्तव्य जारी किया और सीमा विवाद पर मतभेदों को स्वीकार किया तथा सुलझाने की सहमति दी। इसके लिये वार्ता के तीन दौर भी हुये जो असफल रहे। ये वार्तायें पीकिंग, नई दिल्ली और रंगून में आयोजित हुई।
1961ः सीमावर्ती इलाको में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिये भारत सरकार ने सीमा पर भारतीय सेना की 50 चौकियां स्थापित कर दी।
India China War 1962 History
12 जुलाई, 1962ः चीने ने लद्दाख की गलवान घाटी में स्थित भारत की एक पुलिस चौकी पर कब्जा कर लिया।
8 सितम्बर, 1962ः चीन ने अरूणाचल प्रदेश में मैक्मोहन रेखा को पार किया और कुछ क्षेत्रों को अपने कब्जे में ले लिया।
13 अक्टूबर, 1962ः भारत सकार ने भारतीय सेना को नेफा से चीनियों को पीछे हटाने का आदेश दे दिया।
20 अक्टूबर, 1962ः भारत और चीन के बीच लड़ाई शुरू हो गई।
26 अक्टूबर, 1962ः भारत ने आपातकाल घोषित किया और विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाया।
21 नवम्बर, 1962ः चीन ने एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा कर दी।
सितम्बर, 1965ः पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। चीन ने भारत को को ही आक्रमणकारी बताया।
1965ः पाकिस्तान ने काराकोरम क्षेत्र में 2600 वर्गमील का भू-भाग चीन को सौंप दिया।
16 सितम्बर, 1965ः चीन ने भारत-सिक्किम-चीन सीमा पर 56 सैनिक प्रतिष्ठानों को हटाने की धमकी दी। भारत ने इससे साफ इंकार कर दिया और चीन के आरोपों को नकार दिया गया।
1971ः पाकिस्तान और भारत में युद्ध रहा। चीन ने प्रत्यक्ष रूप से कुछ नहीं किया लेकिन कूटनीतिक तौर पर उसने पाकिस्तान का साथ दिया।
1975ः सिक्किम की जनता का विद्रोह हुआ और भारत ने सिक्किम का विलय कर लिया। चीन ने इसका विरोध किया और इसे भारत की विस्तारवादी नीति बताया लेकिन भारत ने उसके सभी आरोपों को खारिज कर दिया।
12 फरवरी, 1979ः तत्कालीन विदेश मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई चीन यात्रा पर गये। चीन ने उसी वक्त वियतनाम पर आक्रमण कर दिया। वाजपेयी विरोध में यात्रा समाप्त कर 17 फरवरी को देश लौट आये।
दिसम्बर, 1981ः भारत और चीन में सीमा विवाद के हल के लिये आधिकारिक स्तर की वार्ता का प्रथम दौर बीजिंग में हुआ।
16 मई, 1982ः भारत और चीन में सीमा विवाद के हल के लिये आधिकारिक स्तर की वार्ता का दूसरा दौर दिल्ली में हुआ। इसके बाद तीन और दौर हुये लेकिन कोई विशेष प्रगति नहीं हुई।
अक्टूबर 1986ः भारतीय सेना ने चीन से लगी सीमा पर आपरेशन चेकर बोर्ड नाम से सैनिक अभ्यास किया। चीन ने विरोध किया लेकिन भारत ने अभ्यास बंद करने से इंकार कर दिया और यह अभ्यास मार्च 1987 तक चलता रहा।
20 फरवरी, 1987ः प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने अरूणाचल प्रदेश को भारत को 24वां राज्य घोषित कर दिया। चीन ने इस मामले में विरोध किया तो भारत सरकार ने उसे स्पष्ट कर दिया कि वह भारत के घरेलू मामलों में कोई दखल न दे।
19 दिसम्बर, 1988ः प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चीन की यात्रा की।
18 से 23 मई 1992ः भारत के राष्ट्रपति वेंकटरामन ने चीन की यात्रा की।
दिसम्बर, 1993ः प्रधानमंत्री श्री पी.वी.नरसिम्हा राव ने चीन की यात्रा की।
1994ः चीन में भारत महोत्सव मनाये जाने की शुरूआत हुई जो कि चीन में किसी विदेशी राष्ट्र को लेकर मनाया गया पहला त्यौहार था।
11 मई से 13 मई, 1998ः भारत ने परमाणु परीक्षण किये। चीन ने इस पर प्रतिरोध दिखाया और इसे क्षेत्रीय अस्थिरता उत्पन्न करने वाला बताया।
अक्टूबर, 1998ः प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दलाई लामा से मुलाकात की तो चीन ने इस पर कड़ी आपत्ती जताई।
मई-जून, 1999ः पाकिस्तान द्वारा कारगिल में घुसपैठ की गई। भारत ने कार्रवाई की। चीन इस मामले में तटस्थ बना रहा।
15 जून, 1999ः भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने चीन की यात्रा की।
जनवरी, 2000ः तिब्बत के वरिष्ठ गुरू करमापा लामा ने अचानक चीनी नियंत्रण से भागकर भारत में शरण ली। दोनों देशों के बीच संबंध फिर से तनावपूर्ण हो गये।
मई, 2000ः भारत के राष्ट्रपति के.आर. नारायणन चीन की यात्रा पर गये।
जून, 2003ः अटल बिहारी वाजपेई चीन की यात्रा पर गये। चीन ने सिक्किम को भारत का हिस्सा माना।
जनवरी, 2008ः प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जनवरी, 2008 में चीन की यात्रा पर गये। भारत चीन ने परमाणु समझौते पर सहमति जताई।
अक्टूबर, 2013ः प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन की यात्रा पर दूसरी बार गये।
मई, 2015ः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन की पहली यात्रा की।
सितम्बर, 2016ः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-20 के सम्मेलन में भाग लेने के लिये चीन गये।
सितम्बर, 2017ः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिये चीन गये।
अप्रेल, 2018ः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इनफाॅरमल समिट में भाग लेने के लिये चीन यात्रा पर गये।
17 जून, 2020: चीन ने गलवान घाटी में भारत के क्षेत्र पर अपना दावा किया और इस बात पर दोनों सेनाओं में झगड़ा हुआ, भारत के 20 जवान शहीद हुये। चीन ने अपने मृत जवानों की संख्या का खुलासा नहीं किया।
यह भी पढ़ें:
सियाचीन ग्लेशियर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
चीन के जिबूती बेस के बारे में जानकारी
उत्तरी कोरिया का विवाद और प्रतिबंध