शीतलाष्टमी एक प्रमुख त्योहार है जो चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है, जो स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति की देवी हैं।
शीतला माता को चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से बचाने वाली देवी माना जाता है। इसलिए, इस दिन उनकी पूजा करने से इन रोगों से बचाव होता है। शीतला माता को सफाई और समृद्धि की देवी भी माना जाता है। इसलिए, इस दिन उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। साल 2024 में 2 अप्रेल को शीतलाष्टमी मनाया जाएगा।
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कैसे मनाते हैं शीतलाष्टमी?
शीतलाष्टमी के दिन, घरों में बासी खाने का भोग लगाया जाता है। यह भोग शीतला माता को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस भोग को खाने से चेचक और अन्य रोगों से बचाव होता है। शीतलाष्टमी के दिन, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं और स्नान करते हैं। वे नए कपड़े पहनते हैं और शीतला माता की पूजा करते हैं। पूजा में, उन्हें दूध, दही, फल, मिठाई, और अन्य पकवान चढ़ाए जाते हैं।
शीतलाष्टमी के दिन, लोग एक-दूसरे को शीतला माता का आशीर्वाद देते हैं। वे एक-दूसरे को शीतला माता की तस्वीर या मूर्ति देते हैं। शीतलाष्टमी का त्योहार भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार उत्तर भारत में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
शीतलाष्टमी के कुछ वैज्ञानिक महत्व भी हैं। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के आसपास, मौसम में बदलाव आने लगता है। तापमान बढ़ने लगता है और मौसम गर्म हो जाता है। इस समय, चेचक, खसरा, और अन्य संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। शीतलाष्टमी के दिन, बासी खाने का भोग लगाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे इन रोगों से बचाव होता है।
शीतलाष्टमी पूजा विधि
शीतलाष्टमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है, जो स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति की देवी हैं।
शीतलाष्टमी पूजा विधि निम्नलिखित है:
पूजा सामग्री:
- शीतला माता की मूर्ति या तस्वीर
- आटे का दीपक
- रोली
- हल्दी
- अक्षत
- मौली
- कलावा
- सिक्के
- मेहंदी
- दही
- पुआ
- रोटी
- बाजरा
- मीठे चावल
- नमक पारे
- मठरी
- ठंडा पानी
पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें।
- पूजा की थाली में शीतला माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- थाली में आटे का दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत, मौली, कलावा, सिक्के, मेहंदी, दही, पुआ, रोटी, बाजरा, मीठे चावल, नमक पारे, और मठरी रखें।
- शीतला माता को प्रणाम करें और उनका ध्यान करें।
- शीतलाष्टक स्तोत्र का पाठ करें।
- शीतला माता से अपने परिवार और समाज के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करें।
- शीतला माता को भोग लगाएं।
- शीतला माता की आरती करें।
- प्रसाद बांटें।
शीतला माता की आरती:
जय माता दी, जय माता दी,
शीतला माता की आरती,
सबके मन की करतीं पूर्ती,
शीतला माता की आरती।
शीतल छाया देती हैं,
सभी को सुख देती हैं,
शीतल छाया देती हैं,
सभी को सुख देती हैं।
बासी भोग स्वीकार करें,
शीतलता प्रदान करें,
बासी भोग स्वीकार करें,
शीतलता प्रदान करें।
हे माता, तुम जग की माता,
तुम हो सबकी लाज,
हे माता, तुम जग की माता,
तुम हो सबकी लाज।
तुम बिन कौन है माता,
तुम ही हो सबकी माता,
तुम बिन कौन है माता,
तुम ही हो सबकी माता।
शीतला माता की कथा:
एक समय की बात है, एक गांव में एक महिला रहती थी। उसकी एक छोटी बच्ची थी। एक दिन, बच्ची को चेचक हो गया। महिला ने अपनी बच्ची को बहुत दुलार-प्यार किया, लेकिन बच्ची की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। एक दिन, महिला ने एक साधु से सलाह ली। साधु ने महिला को कहा कि उसे शीतला माता की पूजा करनी चाहिए। महिला ने शीतला माता की पूजा की और उनकी कथा सुनी।
शीतला माता की कथा सुनकर महिला को बहुत अच्छा लगा। उसने शीतला माता से अपनी बच्ची की सलामती के लिए प्रार्थना की। शीतला माता ने महिला की प्रार्थना सुनी और बच्ची को चेचक से मुक्त कर दिया। महिला बहुत खुश हुई। उसने शीतला माता को धन्यवाद दिया।
शीतला माता की महिमा:
शीतला माता को चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से मुक्ति देने वाली देवी माना जाता है। इसलिए, शीतलाष्टमी के दिन उनकी पूजा करने से इन रोगों से बचाव होता है। शीतला माता को सफाई और समृद्धि की देवी भी माना जाता है। इसलिए, शीतलाष्टमी के दिन घरों को साफ-सुथरा किया जाता है और पूजा की जाती है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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