अनंत चतुर्दशी एक हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में, अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी का जैन धर्म में भी महत्व है। जैन धर्म में, अनंत चतुर्दशी को पर्यूषण पर्व का समापन होता है।
अनंत चतुर्दशी के दिन, अनंत सूत्र बांधने की प्रथा है। अनंत सूत्र एक सुंदर और रंगीन धागा है जो भगवान विष्णु के अनंत रूप का प्रतीक है। माना जाता है कि अनंत सूत्र बांधने से सभी प्रकार के संकटों से बचाव होता है।
Anant Chaturdashi के दिन, हिंदू और जैन लोग उपवास करते हैं और भगवान विष्णु या भगवान महावीर की पूजा करते हैं। इस दिन, लोग एक-दूसरे को अनंत सूत्र भेंट करते हैं।
2023 में, अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को गुरुवार को मनाई जाएगी।
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अनंत चतुर्दशी का महत्व
भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करना।
सभी प्रकार के संकटों से बचाव प्राप्त करना।
भगवान महावीर की शिक्षाओं को याद करना।
एक-दूसरे को अनंत सूत्र भेंट देकर प्रेम और मित्रता बढ़ाना।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि
पूजा सामग्री:
- भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर
- अनंत सूत्र
- फूल
- धूप
- अगरबत्ती
- जल
- चावल
- नारियल
- सुपारी
- बेसन के लड्डू
- काजू
- बादाम
- पूड़
पूजा विधि:
- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- घर के पूजा स्थल को साफ करें।
- पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को फूल, धूप, अगरबत्ती अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को जल, चावल, नारियल, सुपारी, बेसन के लड्डू, काजू, बादाम,
- पूड़ अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें।
- भगवान विष्णु को अनंत सूत्र अर्पित करें।
- अनंत सूत्र अपने हाथ पर बांध लें।
अनंत सूत्र बांधने की विधि:
- अनंत सूत्र बांधने से पहले, अपने हाथों को साफ करें।
- अनंत सूत्र को आप एक लकड़ी के तख्ते पर या प्लेट पर रखें।
- अनंत सूत्र के दोनों सिरों पर पूड़ लगाएं।
- अनंत सूत्र अपने हाथ पर बांध लें।
- अनंत सूत्र बांधते समय, अपने मन में भगवान विष्णु पर प्रेम और भक्ति रखें।
- अनंत चतुर्दशी के दिन, आप अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों को अनंत सूत्र भेंट दे सकते हैं।
अनंत चतुर्दशी की पूजा का महत्व:
- अनंत चतुर्दशी के दिन, भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- अनंत सूत्र बांधने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- अनंत सूत्र बांधने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
Anant Chaturdashi के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है और अनंत सूत्र का धारण किया जाता है। अनंत सूत्र का धारण करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसे सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी पूजा मंत्र
Anant Chaturdashi के दिन की जाने वाली पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाता है:
अनंत मंत्र:
ॐ अनन्ताय नमः
अनंत सूत्र मंत्र:
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते॥
अनंत सूत्र रक्षा मंत्र:
अनंत सूत्र रक्षा करे,
अनंत सूत्र सुख दे।
अनंत सूत्र बंधे मेरे हाथ,
सभी दुख दूर हो जाएँ।
अनंत चतुर्दशी की कथा
अनंत चतुर्दशी की कथा भगवान विष्णु और ऋषि कौण्डिन्य की है। एक बार, ऋषि कौण्डिन्य की पत्नी सुशीला को किसी ने शाप दिया था कि वह एक कठोर निर्जन स्थान पर जाएगी और उसे अपने पति से अलग रहना होगा। सुशीला बहुत दुखी थी और उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वह उसे इस दुख से मुक्त करें।
भगवान विष्णु ने सुशीला को आश्वासन दिया कि वह उसे जल्द ही इस दुख से मुक्त कर देंगे। उन्होंने उसे एक अनंत सूत्र दिया और कहा कि इसे धारण करने से वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाएगी।
सुशीला ने अनंत सूत्र को धारण किया और वह एक कठोर निर्जन स्थान पर चली गई। उसने वहां एक झोपड़ी बनाई और भगवान विष्णु की पूजा करने लगी।
कुछ समय बाद, ऋषि कौण्डिन्य ने भी उसी स्थान पर आकर डेरा डाल दिया। वे दोनों एक दूसरे को देखकर बहुत खुश हुए। सुशीला ने ऋषि कौण्डिन्य को अनंत सूत्र के बारे में बताया और उन्होंने दोनों ने मिलकर भगवान विष्णु की पूजा की।
भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। सुशीला को शाप से मुक्ति मिल गई और वह ऋषि कौण्डिन्य के साथ फिर से मिल गई।
यह कथा बताती है कि अनंत सूत्र भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक है। जो लोग इसे धारण करते हैं, उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और उन्हें सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी की कथा के अलावा, इस दिन के बारे में एक और प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार, पांडवों ने जुए में अपना सब कुछ हार दिया था। वे वनवास पर चले गए और भगवान कृष्ण से मदद मांगी। भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने और अनंत सूत्र धारण करने के लिए कहा।
पांडवों ने भगवान कृष्ण की आज्ञा का पालन किया और अनंत चतुर्दशी व्रत रखा। उन्होंने अनंत सूत्र भी धारण किया। भगवान कृष्ण की कृपा से, पांडवों ने वनवास से मुक्ति पाई और अपना राज्य वापस प्राप्त किया।
यह कथा भी बताती है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने और अनंत सूत्र धारण करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
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