रणथंभौर गणेश मंदिर जहाँ सबसे पहले भेजा जाता है शादी का निमंत्रण – Ranthambore Ganesh ji Temple full information in Hindi

रणथंभौर गणेश मंदिर Ranthambore Ganesh ji Temple

राजस्थान का खूबसूरत शहर रणथंभौर पूरी दुनिया में मशहूर है वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए। देश विदेश से सैलानी यहाँ टाइगर सफारी और वन्य जीवन को करीब से देखने के लिए आते हैं। इसके साथ ही यहाँ का मशहूर गणेश मंदिर भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित है विश्व धरोहर में शामिल ऐतिहासिक रणथंभौर का किला और इसी किले में बना हुआ है Ranthambore Ganesh ji का मंदिर। मंदिर लगभग 1579 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। जयपुर से इस इसकी दूरी 142 किमी है।

रणथम्भौर गणेश मंदिर का इतिहास Ranthambore Ganesh ji Temple History in Hindi

मंदिर का इतिहास करीब 1300 वर्ष पुराना बताया जाता है। रणथम्भौर के अंतिम चौहान शासक राणा हम्मीर देव चौहान थे, जो पृथ्वी राज चौहान के वंशज थे। अपने हठी स्वभाव के कारण वे हम्मीर के नाम से जाने गए। सन 1299 में रणथम्भौर दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी ने हमला कर दिया। खिलजी ने किले को चारों ओर से घेर लिया और धीरे धीरे किले का राशन खत्म होने लगा।

अपनी हार को समीप पाकर राणा ने भगवान् गणेश जी की पूजा शुरू कर दी। इससे खुश होकर भगवान् गणेश की प्रतिमा किले में प्रकट हो गई और राणा की सेना ने खिलजी की सेना को परास्त कर दिया। वहीँ एक दूसरी मान्यता यह है कि इससे पूर्व त्रेतायुग में भगवान् गणेश की प्रतिमा किले में प्रकट हुए थी, लेकिन कुछ समय बाद विलुप्त हो गयी थी।

विवाह का प्रथम निमंत्रण पत्र जाता है रणथम्भौर गणेश जी को

जब भगवान् कृष्ण ने रुक्मणी से विवाह किया तो वे भगवान् गणेश को निमंत्रित करना भूल गए। गणेश जी इस बात से इतना नाराज हुए कि उन्होंने मूषकों की सेना को भगवान् कृष्ण का रास्ता रोकने के लिए भेज दिया। मूषकों ने कृष्ण के रथ के आगे बिल खोद दिए जिससे भगवान् का रथ वहीं धंस गया। भगवान् कृष्ण को अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने भूल सुधारते हुए गणेश जी की पूजा की और उन्हें लेने के लिए रणथम्भौर आये।

तभी से इन्हे प्रथम गणेश के नाम से जाना जाने लगा। इसीलिए सभी मांगलिक कार्योँ विशेषकर विवाह के समय पहला कार्ड रणथंभौर गणेश जी को भेजा जाता है। इतना ही नहीं बल्कि गणेश जी को अपने मन की बात बताने के लिए चिट्ठी भी लिखी जाती हैं। प्रतिदिन हजारों चिट्ठियां गणेश जी के पास पहुंचाई जाती हैं। गणेश जी का पता इस प्रकार है – श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधौपुर (राजस्थान)

गणेश मंदिर का महत्व Importance of Ranthambore Ganesh Temple

इस मंदिर की कुछ विशेषताएं हैं, जिनके कारण लाखों श्रद्धालु प्रति वर्ष यहाँ आते हैं। इनमे से कुछ विशेषताएं इस प्रकार है।

त्रिनेत्रधारी गणेश जी

रणथम्भौर गणेश जी की प्रतिमा त्रिनेत्रधारी है। पूरी दुनिया में गणेश जी की सिर्फ यही एक प्रतिमा है, जो त्रिनेत्र धारण किये हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान् शिव ने गणेश जी को अपना उत्तरधिकारी मान कर अपना त्रिनेत्र प्रदान किया था। भगवान् गणेश का श्रृंगार गणेश चतुर्थी के दिन स्वर्ण के वरक से किया जाता है, जिसे ख़ास तौर पर मुंबई से मंगवाया जाता है। इसके अतिरिक्त उनकी कपडे जयपुर में तैयार करवाए जाते हैं।

स्वंयभू प्रतिमा

गणेश जी की यह प्रतिमा स्वयंभू हैं। स्वंयभू प्रतिमा उन्हें माना जाता है, जो अपने आप किसी स्थान पर प्रकट होती है। ऐसा माना जाता है कि पूरी दुनिया में सिर्फ 4 जगह गणेश जी की स्वंयभू प्रतिमाये हैं। गुजरात का सिद्धपुर गणेश मंदिर, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन, रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर और मध्यप्रदेश के सीहोर में स्थित चिन्तामण गणेश मंदिर।

गणेश जी यहाँ रहते हैं सपरिवार

यह दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है, जहाँ गणेश जी अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। गणेश जी के साथ यहाँ उनकी दोनों पत्नियों रिद्धि, सिद्धि और दोनों पुत्र शुभ, लाभ भी विराजमान है।

दर्शन का टाइम Ranthambore Ganesh ji Darshan Timings

मंदिर भक्तजनों के दर्शन के लिए सुबह साढ़े छह बजे से शाम साढ़े छह बजे तक खुले रहते हैं। क्योंकि मंदिर अभ्यारण्य के बीच किले में स्थित है, इसीलिए वन्य जीवों के डर से साढ़े छह बजे के बाद किसी को भी मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं है।

महत्वपूर्ण शहरों से दूरी Distance from Major Cities

  • जयपुर – 142 किमी
  • सवाईमाधोपुर – 13 किमी
  • नई दिल्ली – 395 किमी
  • मुंबई – 1158 किमी
  • अहमदाबाद – 671 किमी
  • इंदौर – 462 किमी

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