Albert Einstein Biography in Hindi- अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी – Life of Albert Einstein

अल्बर्ट आइंस्टीन को मानव इतिहास का सबसे महान वैज्ञानिक माना जाता है. वे जर्मनी में जन्मे महान वैज्ञानिक थे, उन्होंने सापेक्षता के सिद्धांत से भौतिक विज्ञान की दिशा को ही बदल दिया. आइंस्टीन ने मानव मस्तिष्क की सीमाओं को इतना अधिक प्रसारित कर दिया कि उन्हें महामानव समझा जाने लगा.

अल्बर्ट आइंस्टीन की संक्षिप्त जीवनी Brief Biography of Albert Einstein

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी  में  वुटेमबर्ग  प्रान्त के उलम नामक स्थान में 14 मार्च 1879 को हुआ था. वे एक महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे. आइंस्टीन की महान खोज है- सापेक्षता के सामान्य और विशेष सिद्धांत Theory of Relativity.

अल्बर्ट आइंस्टीन को 1921 में  प्रकाश-विद्युत प्रभाव photo-electric effect के लिए नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया. जर्मनी में नाजी प्रभाव बढ़ने के बाद 1930 के दशक में वे अमेरिका आ गए.

एक वैज्ञानिक के रूप में ही नहीं एक मनुष्य के रूप में भी आइंस्टीन अप्रतिम थे. वैज्ञानिक प्रतिभा, मानव प्रेम एवं चारित्रिक उदारता का जैसा समन्वय आइंस्टीन मे था वैसा अन्यत्र दुर्लभ है. प्रखर विश्लेषणात्मक क्षमता, सहज विनयशीलता एवं सहृदयता, असत्य एवं अत्याचार के विरूद्ध पक्की दृढ़ता, समग्र मानव-जाति के लिए ममत्वबोध, इन सब दैवी गुणों का उनमें समावेश था.

आजीवन विज्ञान की साधना करने पर भी आइंस्टीन एक उच्च कोटि के तत्वज्ञानी एवं दार्शनिक थे. यदि यह कहें कि महात्मा गांधी के बाद आइंस्टीन ही 20वीं सदी के सबसे बड़े महापुरुष थे, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.

आरम्भिक जीवन एवं शिक्षा  Early Life and Education

अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता हेरमैन आइंस्टीन और माता पॉलिन कोच  बालक अल्बर्ट का जन्म होने के छह सप्ताह में ही म्यूनिक चले आए. म्यूनिक शहर के एक विद्यालय में इनकी प्राथमिक शिक्षा हुुई. छात्र-जीवन के आरम्भ में इनमें किसी पकार की विशेषता नहीं देखी गई.

इनके शिक्षकों को उस समय इस बात का कुछ भी परिचय नहीं मिला कि आगे चलकर यह बालक एक विश्व विख्यात वैज्ञानिक बनेगा. इतना ही नही, बल्कि इनके शिक्षक यह समझते थे कि यह लड़का बहुत ही मोटी समझ का है. जीवन में यह कुछ कर नहीं सकेगा.

किन्तु 14 वर्ष की अवस्था में ही आइंस्टीन ने अपनी असाधारण गणितीय प्रतिभा का परिचय देकर सबको चकित कर दिया. स्कूल में पढ़ते समय बच्चे सबसे अधिक जिस विषय से दूर भागते हैं वह है गणित और गणित में भी विशेषकर ज्यामिति.

इसी उम्र में आइंस्टीन के हाथ यूक्लिड की ज्यामिति-पुस्तक लगी. मोटी बुद्धि के समझे जाने वाले इस बालक ने थोड़े समय में ही सारी पुस्तक को अच्छी तरह  समझ लिया. ज्यामिति में गणितीय सत्य की जो प्रामाणिकता पाई जाती है उसके प्रति आइंस्टीन विशेष रूप में आकर्षित हुए. बाद में चलकर उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में जो सब अनुसंधान किए उनमें यही प्रमाणिकता पाई जाती है.

14 वर्ष की अवस्था में उन्होंने विश्लेषणात्मक ज्यामिति analytical geometry तथा अंतर और अभिन्न कलन differential and integral calculus पर पूरी तरह से अधिकार कर लिया. इन विषयों के सम्बन्ध में वे ऐसे-ऐसे प्रश्न अपने शिक्षकों से करने लगे कि उनसे किसी प्रकार भी उत्तर देते नहीं बनता.

आइंस्टीन के पिता हेरमैन आइंस्टीन का एक रासायनिक कारखाना था. किन्तु उनका यह व्यवसाय अच्छी तरह नहीं चलता था. इसलिए आइंस्टीन को वोकेशनल शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्विटजरलैंड के एक सरकारी शिल्प विद्यालय में भेज दिया गया. यहां उन्हें भाषा एवं जीव-विज्ञान, इन दो विषयों में परीक्षा देनी पड़ी.

आइंस्टीन परीक्षा देने से बहुत घबराते थे. कारण, परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए पुस्तकों को रटना पड़ता था. और रटन्त विद्या से आइंस्टीन शुरू से ही दूर भागते थे. फिर भी 21 वर्ष की अवस्था तक वे उसी विद्यालय में पढ़ते रहे. स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, ज्यूरिज से उन्होंने भौतिक विज्ञान एवं गणित, इन दो विषयों में प्रशिक्षण की उपाधि प्राप्त की.

इसके बाद नौकरी की तलाश शुरू हुई. कुछ समय के लिए एक स्कूल में शिक्षक का काम मिला. बाद में एक पेटेंट आफिस में पेटेंट परीक्षक के पद पर नियुक्त हुए. यहां उन्हें अधिक काम नहीं करना पड़ता था, चिंतन-मनन के लिए काफी समय मिलता था.

आइंस्टीन का वैवाहिक जीवन Family life of Albert Einstein

इसी समय सन् 1903 ईसवी में उन्होंने अपने साथी  विद्यार्थी मिलेवा मेरिक को अपनी जीवनसंगिनी बनाया. वह भी गणित, विज्ञान जैसे विषयों में निपुण थी. किन्तु यह वैवाहिक जीवन लम्बा नहीं चला.

1912 में आइंस्टीन ने  मिलेवा को छोड़ दिया और  दोनों का तलाक 1919 में हो गया. इस तरह कुछ ही वर्षों के बाद यह शादी टूट गई. मिलेवा से उनके दो पुत्र हुए-एक अल्बर्ट जूनियर और दूसरा एडवर्ड.

आइंस्टीन के उनकी पहली शादी के दौरान ही कई महिलाओं की ओर आकर्षित हुए, उनमें से एक थीं  एल्सा, जो उनकी चचेरी बहन थीं. 2 जून, 1919 को आइंस्टीन ने एल्सा से शादी की. अल्बर्ट की  तरह ही एल्सा की भी यह दूसरी शादी थी. 1936  में उनकी दूसरी पत्नी एल्सा का भी देहान्त हो गया.

वैज्ञानिक के तौर पर आइंस्टीन का करियर Albert Einstein as a physicist

सरकारी पेटेंट आफिस में काम करते हुए उन्होंने आपेक्षिकतावाद अर्थात् theory of relativity के सम्बन्ध में शोध करना प्रारम्भ किया. इस विषय में उनका पहला शोधपत्र  1905 में विशेष मतवाद यानी स्पेशल थ्योरी नाम से प्रकाशित हुआ.

1908 ई० में बर्न में उन्हें अध्यापक का एक पद मिला. दूसरे साल वे अध्यापन करने के जूरिथ चले गए. इसी समय एक विज्ञान-सम्मेलन में उनका भाषण हुआ. इसके बाद ही वे प्रेग ( वर्तमान में चेक रिपब्लिक की राजधानी) के जर्मन विश्वविद्यालय में पदार्थ विज्ञान के अध्यापक नियुक्त हुए.

1912 ई० में फिर जूरिथ लौट आए. 1913 ई० में जर्मनी के सुप्रसिद्ध विज्ञानी नेर्न्स्ट और प्लेक के प्रयासों से जर्मनी लौट आए. वहां वे बर्लिन विश्वविद्यालय में पदार्थ विज्ञान के अध्यापक तथा रिसर्च लैब के अध्यक्ष नियुक्त हुए.  1916  में आपेक्षिकतावाद के सम्बन्ध में उनके अनुसंधान का दूसरा खण्ड प्रकाशित हुआ.

प्रथम विश्वयुद्ध में आइंस्टीन के जीवन में तीन बड़ी घटनाएं घटित हुई. पहली घटना यह थी कि 62 जर्मन बुद्धिजीवियों ने एक घोषणपत्र प्रकाशित करके जर्मन संस्कृति एवं जर्मन सामरिकता के एकत्व का समर्थन किया था.

आइंस्टीन ने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया. दूसरी घटना थी आइंस्टीन का पुनर्निवाह और तीसरी  घटना थी 1916 ई में सापेक्षता के सिद्धांत- के दूसरे भाग यानी जनरल थ्योरी का प्रकाशन. इस सिद्धांत के प्रमाणित हो जाने पर आइंस्टीन एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक के रूप में गिने जाने लगे.

1922  में उन्हें पदार्थ विज्ञान में महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार मिला. पुरस्कार में उन्हें जो धन मिला उसे उन्होंने विभिन्न संस्थाओं को दान कर दिया.

आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत – Einstein’s Theory of Relativity

वे केवल एक विश्व विख्यात वैज्ञानिक के रूप में ही परिचित नहीं हुए, बल्कि उनके इस आविष्कार का पदार्थ विज्ञान एवं ज्योति विज्ञान पर अहम प्रभाव पड़ा. दोनों ही क्षेत्रों में उनके सिद्धान्त का व्यापक रूप में प्रयोग होने लगा. सापेक्षता एक अत्यन्त जटिल विषय समझा जाता है.

सापेक्षता के आविष्कार से पहले तक किसी वस्तु के परिमाप के लिए मौलिक विचार, उसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई- इन तीन तक ही सीमित समझा जाता था. आइंस्टीन ने इसे भूल माना. उन्होंने बताया कि इस परिमाप में काल का हिसाब करना भी आवश्यक है और इसे सिद्ध करके दिखा दिया.

सापेक्षता के आविष्कार से पहले अधिकांश वैज्ञानिक यह समझते थे कि पदार्थ-विज्ञान के सम्बन्ध में जो सब तत्व जानने लायक थे, वे सब जाने जा चुके. अब कोई ऐसा तत्व नहीं रह गया है जो अज्ञात हो. किन्तु उनकी यह धारण गलत सिद्ध हुई.

आधुनिक काल में पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है, उसके मूल में  आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत ही  है. आइंस्टीन ने इसमें दिखाया है कि गति मात्र आपेक्षिक है. निरपेक्ष गति-जैसी कोई चीज नहीं है और न इसका निर्णय करने का कोई उपाय है.

आइंस्टीन ने यह भी बताया कि न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण कोई निरपेक्ष तत्व नहीं है. पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण सब वस्तुओं को नीचे ही नहीं खींचता, वस्तुएं भी पृथ्वी को समान शक्ति से खींचती है और इस परस्पर के आकर्षण के संतुलन में ही सृष्टि का अस्तित्व बना हुआ है.

आइंस्टीन बहुत बड़े वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ थे. किन्तु इसके साथ ही वे बहुत बड़े मानवतावादी भी थे. पराधीन एवं पीडि़त जातियों की स्वाधीनता का उन्होंने खुलकर समर्थन किया. विज्ञान एवं वैज्ञानिक सभ्यता-संस्कृति के समर्थक होते हुए भी मनुष्य की आत्मा की और उसके अन्तर्निहित सौंदर्यबोध की उन्होंने उपेक्षा नहीं की.

आइंस्टीन को इजराइल के राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव Offer of Presidency of Israel to Einstein

कुछ समय तक आइंस्टीन ने राजनीति में भी सक्रिय भाग लिया था. यहूदी जाति के अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने डॉ. वाइजमैन के साथ काम किया था. येरूशलम में उन्होंने यहूदी विश्वविद्यालय की स्थापना में पूर्ण सहयोग प्रदान किया था. यहूदी उन्हें अपना नेता मानते थे.

यही कारण है कि यहूदी राष्ट्र इजराइल के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. वाइजमैन की मृत्यु के बाद आइंस्टीन को ही सर्वसम्मति से राष्ट्रपति का पद प्रदान किया गया था. किन्तु उन्होंने इस पद को ग्रहण करना अस्वीकार कर दिया.

1921  से 1933  तक वे यूरोप के बहुत से देशों में घूम-घूम कर व्याख्यान देते रहे. यहूदी जाति के लिए एक स्वतन्त्र निवास स्थान निर्मित करने के उद्देश्य से उन्होंने  धन संग्रह किया. 1932 ई. में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें डाॅक्टर की उपाधि देकर सम्मानित किया.

जर्मनी छोड़ अमेरिका में बसने का फैसला Einstein’s Immigration to US

1963 ई० में जब जर्मनी में हिटलर का उत्थान हुआ, उसने यहूदियों पर अत्याचार शुरू कर दिए. जर्मनी से यहूदी निष्कासित होने लगे. उसे समय आइंस्टीन जर्मनी में नहीं थे. हिटलर के जर्मनी में साहित्यकारों, कलाकारों एवं वैज्ञानिकों को अपमानित एवं लांछित होते देखकर आइंस्टीन का मन क्षुब्ध हो उठा और उन्होंने स्वदेश नहीं लौटने का फैसला किया.

फ्रांस, स्पेन तथा यूरोप के और कई देशों से उन्हें सादर निमंत्रण मिला. कुछ दिनों तक वे बेल्जियम में रहे. बाद में उन्हें अमेरिका से निमंत्रण मिला और वे प्रिंसटन नगर में जाकर रहने लगे.

वर्ष 1930 में प्रिंसटन में ‘इंस्टिट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी’ की स्थापना हुई, आइंस्टीन का सम्बन्ध मृत्यु  पर्यन्त इस संस्था के साथ बना रहा. 1940 में आइंस्टीन को अमेरिका की नागरिकता प्रदान की गई.

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु Death of Albert Einstein

17 अप्रैल 1955 को अल्बर्ट आइंस्टीन प्रिंसटन स्थित इंस्टिट्यूट फॉर एडवांस स्टडीज के अपने कमरे में थे. इस दौरान उनके पेट में अंदरूनी रक्तस्राव शुरू हो गया. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, इस दौरान भी आइंस्टीन अपना काम नहीं भूले.

इजरायल राष्ट्र की स्थापना की सातवीं वर्षगांठ पर उन्हें टेलीविजन पर एक भाषण देना था, जिसका प्रारूप वे अपने साथ अस्पताल ले गए. मगर अफसोस, वे यह भाषण कभी नहीं दे सके. 18 अप्रैल, 1955 की सुबह अल्बर्ट आइंस्टीन का प्रिंसटन अस्पताल में 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

आइंस्टीन अपने पेट में धमनी में रिसाव रोकने के लिए पहले एक बार सर्जरी करवा चुके थे लेकिन दोबारा उन्होंने इसके लिए इनकार कर दिया. उनका कहना था-

मैं अपनी इच्छा से जाना चाहता हूं. कृत्रिम रूप से जिंदगी को लम्बा खींचना बहुत ही बेस्वाद है. मैं अपना काम कर चुका हूं, अब जाने का समय है. मैं ठाट से मरूंगा.

अल्बर्ट आइंस्टीन इतने बड़े जीनियस थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनका दिमाग और आंखें निकालकर सुरक्षित रख दी गईं. उनके मस्तिष्क brain of Einstein पर कई वर्ष तक शोध होता रहा.

Surprising facts about Albert Einstein आइंस्टीन से जुड़े रोचक तथ्य

आइंस्टीन के जर्मनी छोड़ने के बाद जर्मन सरकार ने उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर ली थी और उनके सिर पर 5 हजार डॉलर की इनामी रकम रखी थी.

आइंस्टीन का व्यक्तिगत जीवन बहुत ही सरल एवं आडंबर हीन था. प्रिंसटन शहर में वे साधारण मनुष्य की तरह  घूमा करते थे. कपड़ों के सबंन्ध में इतने लापरवाह कि कभी-कभी बेल्ट की जगह पर पुरानी टाई बांधे रहते थे.

एक बार बुकमार्क के तौर पर उन्होंने 1500 डॉलर का चेक लगा लिया. उस चेक के साथ-साथ वह पुस्तक भी खो गई.

आइंस्टीन संगीत प्रेमी थे. वे बेला यानी वायलिन बजाया करते थे. अपने वसीयतनामे में वे अपना प्रिय वायलिन अपने पौत्र के नाम  छोड़ गये.

परमाणु बम के आविष्कार से आइंस्टीन इतने दुखी हुए कि उन्होंने कहना पड़ा- ‘जीवन को यदि नए सिरे से शुरू करना पड़े तो विज्ञान के साथ दूर का सम्बन्ध भी नहीं रखूूंगा. एक वैज्ञानिक के बजाय मिस्त्री, लोहार या डाकिया होना अधिक पसन्द करूंगा.’

आइंस्टीन कभी भारत नहीं आए, किन्तु भारत के साथ उनका करीबी रिश्ता था. गांधी जी एव भारत के महान परम्परागत आदर्शों के प्रति उनके हृदय में श्रद्धा थी. गांधी जी के अलावा रवीन्द्र नाथ टैगोर के साथ उनकी घनिष्ठता थी.

एक बार आइंस्टीन बस में  सफर कर रहे थे. उन्होंने कंडक्टर को एक नोट टिकट के लिये दिया. कंडक्टर ने टिकट का दाम काटकर बाकी पैसे वापस कर दिए. आइंस्टीन हिसाब लगा कर देखने लगे कि उन्हें बाकी पैसे ठीक-ठीक मिले या नही.

बार-बार हिसाब करने पर भी हिसाब ठीक नहीं मिल रहा था. तब उन्होंने कंडकटर को बुलाया. उसने हिसाब ठीक बता दिया और कहा- ‘ मिस्टर, हिसाब करना इतना आसान नहीं है. इसके लिये अर्थशास्त्र का ज्ञान होना चाहिए.’ इतने बड़े गणितज्ञ को एक कंडक्टर से यह उपदेश सुनने को मिला!

पुरस्कार एवं सम्मान  Awards and Honors

अपने जीवन मे आइंस्टीन ने इतने अधिक सम्मान, उपाधि एवं पदक प्राप्त किए कि वे स्वयं भी उनकी संख्या से अपरिचित थे. फिर भी कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कारों की जानकारी यहां दी गई है.

  • अल्बर्ट आइंस्टीन को 1922  में नोबेल पुरस्कार मिला.
  • 1925 में रॉयल सोसाइटी का कोपले पदक
  • 1935 में फ्रेंकलिन इंस्टीट्यूट पदक
  • 1945 ‘इंडियन एसोसियेशन फॉर दि कलटिवेशन ऑफ साइंस’ की ओर से पदक

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