Trial of Galileo Galilei in Hindi जब गैलीलियो पर चर्च ने चलाया मुकदमा

Biography of Galileo Galilei – गैलीलियो की जीवनी

मशहूर खगोलशास्त्री गैलीलियो गैलिली Astronomer Galileo Galilei का जन्म 1564 में इटली के पीसा में हुआ था. उनके पिता एक प्रसिद्ध संगीतकार थे. उन्हें बचपन से ही tools से खेलने और नए-नए खिलौने बनाने का शौक था. गैलीलियो ने बचपन में स्वयं ही माउथ ऑर्गन बजाना सीख लिया था.

शुरू से ही गैलीलियो ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक नवाचार के प्रति अपनी रुचि का प्रदर्शन शुरू कर दिया था. उन्होंने पीसा विश्वविद्यालय University of Pisa  से चिकित्सा की पढ़ाई की. इसी दौरान गणित के अध्ययन में उनकी रुचि जगी.

Galileo Inventions in Hindi गैलीलियो के आविष्कार

गैलीलियो 19 वर्ष के थे, जब उन्होंने देखा कि चर्च के डोम से लटका हुआ एक लैम्प निश्चित अंतराल पर इधर से उधर जा रहा है. इसे आगे चलकर Isochronism of  Pendulum पेंडुलम के आइसोक्रोनिज्म के रूप में जाना गया. उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में Hydro-static Balance हाइड्रोस्टेटिक बैलेंस का आविष्कार कर लिया था.

कुछ ही वर्षों में उनकी ख्याति सारे यूरोप में एक वैज्ञानिक और व्याख्याता के रूप में फैल गई. गैलीलियो ने पीसा की प्रसिद्ध मीनार से हल्की, भारी, छोटी और बड़ी वस्तुएं नीचे फेंकी और साबित किया कि इनको जमीन पर गिरने में समान समय लगता है. भौतिक विज्ञान के लिए यह एक बड़ी खोज थी.

स्वीकारा कॉपरनिकस का सिद्धांत

पीसा में तीन वर्ष बिताने के बाद वर्ष 1592 में पैडुआ विश्वविद्यालय Padua University  में गणित के प्रोफेसर बन गए. यहां Nicolaus Copernicus निकोलस कॉपरनिकस के सिद्धांत में उनकी गहरी रुचि जाग्रत हुई. कॉपरनिकस के सिद्धांत के मुताबिक सूर्य ब्रह्मांड के केंद्र में स्थित है.

पृथ्वी अपने अक्ष पर गोल-गोल घूमने के साथ ही सूर्य के चारों ओर घूमती है. 1543 में दिया गया कॉपरनिकस का सिद्धांत चर्च की इस शिक्षा के खिलाफ था कि सूर्य और सभी तारे अपने स्थान पर स्थिर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं. गैलीलियो ने कॉपरनिकस के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया.

Invention of Telescope टेलिस्कोप का आविष्कार

सन 1609 में गैलीलियो ने टेलिस्कोप का आविष्कार किया, जो उनका सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार माना जा सकता है. इसी से उनमें यह साहस आया कि वे दुनिया के सामने कॉपरनिकस के सिद्धांत में अपने विश्वास की पुष्टि कर सकेंगे. अपने घर के बगीचे में टेलिस्कोप लगाकर उन्होंने अपनी आकाशगंगा मिल्की वे Milky Way और चंद्रमा के पहाड़ों और घाटियों को देखा. उन्हें लगता था कि सभी पढ़े-लिखे लोग इस प्रेक्षण के बाद कॉपरनिकस के सिद्धांत में विश्वास करना शुरू कर देंगे.

वर्ष 1623 में पोप अर्बन तृतीय की रोम में नियुक्ति हुई. Pope Urban III  पोप अर्बन तृतीय को कला और विज्ञान के बारे में सकारात्मक नजरिया रखने वाला माना जाता था. इसलिए गैलीलियो ने मित्रों और पोप के निजी सचिव Giovanni Ciampoli गियोवानी सियम्पोली के सुझाव पर अपने विचारों को सामने रखते हुए एक पुस्तक लिखी. 1629 में पूरी हुई The Dialogue Concerning the Two Chief World Systems “द डायलॉग कंसर्निंग द टू चीफ वर्ल्ड सिस्टम्स” नामक इस पुस्तक में उन्होंने चर्च और कॉपरनिकस दोनों के ही सिद्धांतों को सही बता दिया, ताकि वह सत्य बोलने के साथ-साथ चर्च के कोप भाजन बनने से भी बच सकें.

चर्च ने चलाया अधर्म का मुकदमा Church convicted Galileo of Hersey

चर्च के लिए यह असहनीय था और गैलीलियो पर मुकदमा चलाने का फैसला करते हुए जांच के लिए विशेष आयोग बना दिया गया. विशेष आयोग की रिपोर्ट में गैलीलियो पर कई तरह के अभियोग लगाए गए. इनमें मुख्य था कि उन्होंने 1616 के चर्च के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसमें कॉपरनिकस के सिद्धांत को पढ़ाने, मानने या उसके बारे में लिखने पर रोक लगाई गई थी.

इसके बाद मामला धार्मिक अदालत के सुपुर्द कर दिया गया. उनके इस आग्रह को भी ठुकरा दिया गया कि अधिक उम्र को देखते हुए मुकदमे की सुनवाई उनके निवास स्थान फ्लोरेंस में की जाए. 23 दिन की यात्रा कर रोम पहुंचने पर वे फ्लोरेंस दूतावास में ठहरे. वे कितने दुखी थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे दो रातों तक लगातार रोते रहे.

ये अभी तक घूम रही है And yet it moves

मुकदमे के दौरान उन्हें धर्माधिकरण की इमारत में कैद रखा गया था. मुकदमे की सुनवाई 10 कार्डिनल की एक पीठ ने की. अदालत ने गैलीलियो के सामने यह प्रावधान रखा कि यदि वे चर्च द्वारा दिए गए वक्तव्य को जनता के सामने पढ़ देंगे तो उनके साथ कुछ रियायत की जा सकती है.

हताश गैलीलियो ने यह बात स्वीकार कर ली क्योंकि वे जानते थे कि ऐसा न करने पर उन्हें मृत्युदंड भी मिल सकता है. उन्होंने घुटनों के बल बैठकर वक्तव्य पढ़ दिया कि मैं उस सिद्धांत की निंदा करता हूं, जो यह कहता है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. कहा जाता है कि गैलीलियो जब उठकर खड़े हुए तो उन्होंने पृथ्वी पर जोर से लात मारते हुए कहा- and yet it moves…. ये अभी तक घूम रही है.

22 जून, 1633 को गैलीलियो की उस विवादास्पद पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया और उन्हें उनके आर्सेट्री स्थित छोटे से फार्म हाउस में उनके बचे हुए जीवन के लिए नजरबंद कर दिया गया. यहां रहते हुए ही वे अपने आखिरी दिनों में अंधे हो गए और 1641 में उनकी मृत्यु हो गई.

359 वर्ष बाद वेटिकन ने मानी गलती After 359 years Vatican said Galileo was right

गैलीलियो को सजा सुनाए जाने के 359 साल बाद 1992 में Pope John Paul II पोप जॉन पॉल द्वितीय के समय में वेटिकन के अधिकारियों ने इस फैसले में चर्च की गलती स्वीकार कर ली.

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