प्रसून जोशी भारतीय विज्ञापन गुरु, बॉलीवुड गीतकार, संवाद लेखक एवं पटकथा लेखक हैं. वे केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष हैं. उन्हें अपने गीतों की वजह से पूरे देश में पहचान मिली है.
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प्रसून जोशी की संक्षिप्त जीवनी Short Biography of Prasoon Joshi
प्रसून जोशी भारतीय विज्ञापन एवं मार्केटिंग गुरु, बॉलीवुड गीतकार, संवाद लेखक एवं पटकथा लेखक हैं. वे मैकेन वर्ल्ड ग्रुप इंडिया के सीईओ हैं. प्रसून जोशी 11 अगस्त 2017 से केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं.
प्रसून जोशी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. उन्होंने तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हो चुका है. फिल्म तारे जमीन पर और चटगांव के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. उन्हें कला, साहित्य एवं विज्ञापन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2015 में “पद्म श्री” से सम्मानित किया गया.
प्रसून जोशी का आरम्भिक जीवन Early Life of Prasoon Joshi
प्रसून जोशी का जन्म 16 सितम्बर 1971 को उत्तराखण्ड (अविभाजित उत्तर प्रदेश) में हुआ. उनके पिता देवेन्द्र जोशी अविभाजित उत्तर प्रदेश में पीसीएस अधिकारी थे. प्रसून का बचपन उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी, चमोली, देहरादून और उत्तर प्रदेश के मेरठ और रामपुर शहरों में बीता.
इन शहरों में रहकर ही प्रसून ने हिंदीभाषियों की नब्ज पकड़ी, जो हमें उनके गीतों में साफ दिखाई देता है. प्रसून जोशी की मां सुषमा जोशी राजनीति शास्त्र की व्याख्याता रही हैं. उनके माता-पिता प्रशिक्षित गायक हैं.
उनकी मां तो आकाशवाणी पर कई दशक तक प्रस्तुतियां भी देती रही हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि संगीत की समझ प्रसून को अपने परिवार से विरासत में मिली. हिंदी के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानन्दन पंत उनकी मां सुषमा जोशी के ताऊ थे. इस तरह हिंदी गीतों की परम्परा भी उनके परिवार में शुरू से ही रही है.
प्रसून को साहित्य लिखने-पढ़ने का शौक कम उम्र में ही लग गया. उन्होंने 17 वर्ष की आयु में अपनी पहली पुस्तक मैं और वो लिखी जो फ्रेडरिक नीत्शे से प्रेरित है. उनकी नवीनतम गीत संग्रह “सनशाइन लेन्स” जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में वर्ष 2013 में जारी किया गया.
प्रसून जोशी ने स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद रामपुर से बीएससी और मेरठ से भौतिक विज्ञान में एमएससी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने गाजियाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी से एमबीए किया. एमबीए करने के बाद उन्होंने विज्ञापन जगत में अपना करियर बनाया.
प्रसून जोशी का करियर Career of Prasoon Joshi
प्रसून जोशी ने विज्ञापन क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत ओगिल्वी एण्ड मैदर (ओ एण्ड एम) कम्पनी में दिल्ली से की. वहां 10 वर्ष तक काम करने के बाद उन्होंने वर्ष 2002 में मैकेन-एरिक्सन कम्पनी ज्वॉइन की. वर्ष 2006 में उन्हें इस कम्पनी में दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया का एक्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया गया.
राजकुमार संतोषी की लज्जा फिल्म से उन्होंने फिल्म गीतकार के रूप में अपने करियर की शुरूआत की. इसके बाद उन्होंने हम तुम, फना, रंग दे बसंती, तारे ज़मीं पर, ब्लैक, दिल्ली 6 में गीत लिखे. उन्होंने रंग दे बसंती से संवाद लेखन की भी शुरुआत की.
प्रसून ने कई बड़े विज्ञापन अभियान भी सृजित किए हैं. उन्होंने एनडीटीवी इंडिया के “सच दिखाते हैं हम”, सफोला के “अभी तो मैं जवान हूं”, एलजी, मैरिको और परफेटी (अल्पेनलिबे, क्लोरोमिंट) का सफल संचालन किया है. आमिर खान के कोक पांच रुपैया अभियान से उन्होंने एड गुरू के रूप में पूरे भारत में अपना लोहा मनवाया.
वर्ष 2006 में उन्हें यंग ग्लोबल लीडर्स फोरम की ओर से यंग ग्लोबल लीडर 2006 चुना गया. वे एनडीटीवी इंडिया के सिंगिग रियलिटी शो धूम मचा दे में जज के रूप में भी नजर आ चुके हैं.
प्रसून जोशी की प्रमुख फिल्में Filmogrpahy of Prasoon Joshi
प्रसून जोशी ने इन फिल्मों में गीत लिखे है- मुक्त, लज्जा, आंखें, क्यों, हम तुम, फिर मिलेंगे, रोक सको तो रोक लो, रंग दे बसंती, फना, तारे जमीं पर, गजनी, सनग्लास, दिल्ली 6, सिकंदर, लंदन ड्रीम्स, ब्रेक के बाद, आरक्षण, तेरी मेरी कहानी, चटगांव, भाग मिल्खा भाग, सत्याग्रह, नीरजा और मणिकर्णिकाः द क्वीन ऑफ झांसी में प्रसून जोशी ने गीत लिखे हैं.
प्रसून जोशी का पारिवारिक जीवन Family Life of Prasoon Joshi
प्रसून जोशी विज्ञापन क्षेत्र की ओएण्डएम कम्पनी में काम करने के दौरान 1995 से नोएडा में रहे. इसी दौरान उनकी मुलाकात इसी कम्पनी में कार्यरत अपर्णा से हुई. नवम्बर 1995 में दोनों का विवाह हुआ. उनकी एक पुत्री भी है जिसका नाम ऐशान्या जोशी है.
प्रसून जोशी के गीत Songs of Prasoon Joshi
मौला… फिल्म – दिल्ली 6
अर्जियां सारी मैं चेहरे पे लिख के लाया हूं, तुमसे क्या मांगू मैं, तुम खुद ही समझ लो…, या मौला… मौला मौला, मौला मौला मेरे मौला
कैसे मुझे… फिल्म- गजिनी
मैं तो ये सोचता था कि आजकल, ऊपर वाले को फुरसत नहीं, फिर भी तुम्हें बना के वो, मेरी नजर में चढ़ गया, रुतबे में वो और बढ़ गया
तू बिन बताए… फिल्म- रंग दे बसंती
तू बिन बताए मुझे ले चल कहीं, जहां तू मुस्कराए मेरी मंजिल वहीं
अच्छा लगता है… आरक्षण
झटक कर जुल्फ जब तुम तौलिए से, बारिशें आजाद करती हो, अच्छा लगता है
खलबली है खलबली… फिल्म – रंग दे बसंती
होने होने दे नशा खोने खोने को है क्या… एक सांस में पी जा जरा जिंदगी चढ़ा, है ये तो एक जश्न तू थिरकने दे कदम, अभी सांसों में है दम, अभी चलने दे सितम
रहना तू… दिल्ली6
रहना तू, है जैसा तू, थोड़ा सा दर्द तू, थोड़ा सुकूं
रूबरू. रंग दे बसंती
आंधियों से झगड़ रही है लौ मेरी, अब मशालों सी बढ़ रही है लौ मेरी, नामो निशां रहे ना रहे, ये कारवां रहे ना रहे, उजाले मैं पी गया, रोशन हुआ जी गया
जिंदा… भाग मिल्खा भाग
जिंदा हैं तो प्याला पूरा भर ले, कंचा फूटे, चूरा कांच कर ले, जिंदगी का ये घड़ा ले, एक सांस में चढ़ा ले, हिचकियों में क्या है मरना
मेरी मां… तारे जमीं पर
उंगली पकड़ के फिर से सिखा दे, गोदी उठा ले ना मां, आंचल से मेरा मुंह पोंछ दे ना, मैला सा लगे जहां
देखो ना… फना
ये साजिश है बूंदों की, कोई ख्वाहिश है चुप चुप सी, देखो ना देखो ना
प्रसून जोशी को मिले प्रमुख पुस्कार Awards won by Prasoon Joshi
- पद्म श्री – 2015
- स्टार स्क्रीन अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार 2005 – सांसों को सांसों (हम तुम)
- फिल्म फेयर अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार 2007 – चांद सिफारिश (फना)
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ गीतकार 2008 – मां (तारे जमीं पर)
- फिल्म फेयर अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार 2008 – मां (तारे जमीं पर
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ गीतकार 2013 – बोलो ना (चटगांव)
- फिल्म फेयर अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार 2014 – जिंदा (भाग मिल्खा भाग)
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