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गुलजार की जीवनी – Biography of Gulzar
गुलजार अपनी रूमानी कविताओं के लिए जाना जाता है. उन्होंने न सिर्फ एक गीतकार बल्कि एक प्रख्यात फिल्म निर्देशक, कवि और लेखक भी है. इन्हें अपने रूमानी गीतों की विशेष मध्यमवर्गीय शैली की वजह से पहचान मिली. उनके गीतों को मध्यमवर्गीय प्रेम और परिस्थितियों का सुंदर चित्रण किया जाता है।
गुलजार की संक्षिप्त जीवनी Short Biography of Gulzar
गुलजार का वास्तविक नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा Sampoorn Singh Kalra है जो भारतीय काव्य जगत Indian Poetry और भारतीय सिनेमा Indian Cinema के एक प्रसिद्ध कवि Poet और गीतकार Lyricist हैं.
गुलजार की एक और पहचान है कि ये भारतीय सिनेमा के एक उम्दा फिल्म निर्देशक Director हैं. यह शायरी, गजलों और नज्मों के अलावा अपनी फ्री वर्स स्टाइल Free Verse Style की कविताओं के लिए भी एक खास पहचान रखते हैं.
ब्रिटिश इंडिया के झेलम Jhelam जिले में पैदा हुए गुलजार का परिवार भारत-पाकिस्तान बंटवारे Partition के समय भारत आ बसा. इसीलिए बंटवारे का दर्द उनकी कई रचनाओं में नजर आता है.
गुलजार अक्सर इमेजिनेशन Imagination को केंद्र में रखकर गीत और कविताएं रचते हैं. अपनी रचनाओं में शब्दों का एक कैरेक्टर के रूप में उपयोग करना इनकी शैली की विशेषता है. इनके बारे में कहा जाता है कि इनकी कविताएं एक कैनवास पर उतारे गए चित्र की भांति होती हैं.
गुलजार का आरम्भिक जीवन Early Life of Gulzar
गुलजार का जन्म झेलम जिले के दीना Deena गांव में 18 अगस्त, 1934 को एक कालरा सिख Kalra Sikh परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम माखन सिंह कालरा और माता का नाम सुजन कौर था.
उनको बचपन में अंताक्षरी खेलने का शौक था. उन्हें शायरियां सीखना भी अच्छा लगता था. स्कूली दिनों में ही उनका साहित्य और कला की ओर रुझान हो गया था. उनके घर के पड़ौस में क्लासिकल संगीत के रियाज की आवाजों को वे बड़ी रूचि से सुना करते थे. कॉलेज के दिनों में उनकी रूचि संगीत में इतनी बढ़ गयी थी कि वे रवि शंकर और अमजद अली खान जैसे कलाकारों के कन्सर्ट सुनने जाया करते थे.
बंटवारे के दौरान इनका परिवार बंट गया. गुलजार का परिवार आजाद भारत के अमृतसर में आ बसा मगर वे मुम्बई Mumbai आ गए. यहां आकर जीवन यापन के लिए उन्होंने कई छोटी-छोटी नौकरियां की. उन्होंने एक गैराज में मैकेनिक Garage Mechanic का काम भी किया.
धीरे-धीरे वे लेखन करने लगे जो शुरुआत में उनके पिता को पसंद नहीं आया. मैकेनिक का काम करने के साथ खाली समय में वे कविताएं लिखते थे. वह पहले ‘गुलजार दीनवी’ उपनाम से लिखा करते थे जो बाद में ‘गुलजार’ रह गया.
बॉलीवुड में गुलजार का पहला गाना First Bollywood Song of Gulzar
गुलजार की कविताओं से प्रभावित होकर मशहूर गीतकार शैलेन्द्र और फिल्मकार बिमल रॉय ने उन्हें फिल्मों के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बिमल रॉय Bimal Roy और ह्रषिकेश मुखर्जी Hrishikesh Mukherjee जैसे फिल्मकारों Filmmakers के लिए काम कर भारतीय सिने जगत Indian Film Industry में प्रवेश किया.
उन्होंने वर्ष 1963 में महान संगीतकार सचिन देव बर्मन … के लिए फिल्म बंदिनी (Bandini) में ‘मोरा गौरा रंग लै ले, मोहे श्याम रंग दै दे…’ गाने की रचना कर भारतीय फिल्म जगत में अपने करियर की शुरूआत की जिसे लता मंगेशकर ने गाया था. बंदिनी फिल्म के शेष गाने शैलेन्द्र Shailendra ने लिखे थे और यह गाना लिखने के लिए गुलजार से आग्रह किया था.
गुलजार का करियर Gulzar’s Career
गुलजार की प्रतिभा ने हिंदी फिल्मों में अपनी जो पहचान बनायी वह चिर स्थायी बनती गयी. वर्ष 1968 में ह्रषिकेश मुखर्जी की आशीर्वाद में उन्होंने गीत और संवाद दोनों लिखे.
इन संवादों से इस फिल्म में अभिनेता अशोक कुमार का चरित्र इतने प्रभावशाली रूप में सामने आया कि उन्हें इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड Filmfare Award और नेशनल फिल्म अवार्ड National Film Award मिला.
इसके बाद 1969 में खामोशी फिल्म के लिए लिखे गाने ‘हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू…’ ने गुलजार को बहुत पहचान दिलाई. 1971 में भी उन्होंने गुड्डी फिल्म के लिए दो गाने लिखे जिसमें से एक ‘हमको मन की शक्ति देना…’ था.
गुलजार ने अपने फिल्मी करियर में राहुल देव बर्मन के अलावा सचिन देव बर्मन, शंकर-जयकिशन, हेमंत कुमार, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, मदन-मोहन, राजेश-रोशन, सलिल चौधरी तथा ए.आर. रहमान जैसे संगीतकारों के साथ काम किया है.
गुलजार एक संजीदा निर्देशक Gulzar: A Sensible Director
एक उम्दा गीतकार होने साथ ही संजीदा निर्देशक भी थे. यह अलग बात है कि उनकी फिल्में बॉक्स आफिस पर कमाल नहीं दिखा पायीं. फिल्म निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म थी ‘मेरे अपने’ (1971)।
यह फिल्म तपन सिन्हा की बंगाली फिल्म अपंजन (Apanjan) (1969). इसके बाद उन्होंने कोशिश, अचानक, आंधी और परिचय जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया. 1972 में बनी कोशिश फिल्म में गुलजार के बेहद संवेदनशील नजरिए वाले निर्देशन में संजीव कुमार और जया भादुड़ी ने एक ऐसे प्रेमी जोड़े का बेहतरीन अभिनय किया जो सुनने और बोलने में असमर्थ था.
इसके बाद गुलजार और संजीव कुमार की कैमिस्ट्री ऐसी बैठी की उनकी जोड़ी आंधी, मौसम, अंगूर और नमकीन जैसी फिल्मों में पूरी तरह सफल साबित हुई. गुलजार ने अमजद अली खान Amzad Ali Khan और पंडित भीमसेन जोशी Pt. Bhimsen Joshi पर बनीं डॉक्यूमेंटरी का भी निर्देशन किया है.
गुलजार और टेलीविजन Gulzar and Telivision
गुलजार के निर्देशन में 1988 में एक खास रचना ‘मिर्जा गालिब’ टीवी सीरियल की हुई. वर्ष 1988 में बना यह टीवी सीरियल दूरदर्शन Doordarshan पर प्रसारित हुआ था जिसमें मिर्जा गालिब ने अभिनय किया था.
इसके अलावा उन्होंने जंगल बुक Jungle Book, एलिस इन वंडरलैंड Alice in Wonderland, हैलो जिंदगी, गुंचे तथा पोटली बाबा की जैसे बाल सीरियलों के लिए भी गीत और डायलॉग लिखे हैं.
गुलजार की पॉइट्री Gulzar’s Poetry
गुलजार मूलत: उर्दू और पंजाबी के कवि हैं लेकिन बॉलीवुड के कई गानों में उन्होंने उत्तरी भारत की कई भाषाओं का प्रयोग किया है. भारत पाकिस्तान के बीच शांति के लिए दोनों देशों के कई मीडिया समूहों द्वारा चलाए गए पीस कैम्पेन Peace Campaign ‘अमन की आशा’ के लिए ‘नजर में रहते हो…’ एन्थम Anthem की रचना की. इसे शंकर महादेवन और राहत फतेह अली खान ने गाया था.
गुलजार के प्रमुख काव्य संग्रह और किताबें Poetry Collection & Books of Gulzar
कुछ और नज्में
पुखराज
साइलेंस
आटम मून
त्रिवेणी
रात पश्मीने की
छैयां छैयां
रात, चांद और मैं
मेरा कुछ सामान
स्पिलंटर
सलेक्टेड पॉइम्स
यार जुलाहे
100 लिरिक्स
मिर्जा गालिब
हाफ ए रूपी स्टोरीज
मीलों से दिन
ग्रीन पॉइम्स
सस्पेक्टेड पॉइम्स
धुआं
पुरस्कार और सम्मान Awards and Honours
गुलजार ने कई क्षेत्रों में अपने लेखन और निर्देशन से गहरी छाप छोड़ी है जिसके कारण उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित कई सर्वश्रेष्ठ सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा गया है।
पुरस्कार और सम्मान Awards and Honours
गुलजार ने कई क्षेत्रों में अपने लेखन और निर्देशन से गहरी छाप छोड़ी है जिसके कारण उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित कई सर्वश्रेष्ठ सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा गया है।
पद्म भूषण सम्मान – 2004
साहित्य अकादमी पुरस्कार – 2003 में ‘धुआं’ के लिए
फिल्मफेयर के बेस्ट अवार्ड –
डायलॉग – आनंद, नमक हराम, माचिस, साथिया
फीचर- फिल्म आंधी
निर्देशक – मौसम
गीतकार – दो दीवाने शहर में… घरोंदा, आने वाला पल… गोलमाल, हजार राहें… थोड़ी सी बेवफाई, तुझसे नाराज नहीं… मौसम, मेरा कुछ सामान… इजाजत, यारा सीली सीली… लेकिन, चल छैयां छैयां… दिल से, साथिया… साथिया, बंटी और बबली… बंटी और बबली,
डॉक्यूमेंटरी -उस्ताद अमजद अली खान
कहानी- माचिस
अचीवमेंट – लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय पुरस्कार –
स्क्रीनप्ले – कोशिश
निर्देशन – मौसम
गीतकार – मेरा कुछ सामान… इजाजत, यारा सीली सीली… लेकिन
डॉक्यूमेंटरी – उस्ताद अमजद अली खान, पंडित भीमसेन जोशी
पारिवारिक जीवन Family Life
गुलजार ने फिल्म अभिनेत्री राखी से 1973 में विवाह किया. उनकी के एक बेटी हैं जिनका नाम मेघना गुलजार है. मेघना गुलजार भी एक फिल्म निर्देशक हैं.
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