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सरोजिनी नायडू जीवनी – Sarojini Naidu Biography Hindi
सरोजिनी नायडू भारत में महिला सशक्तीकरण के शुरूआती हस्ताक्षरों में से एक थीं. उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई के साथ ही औरत की आजादी लड़ाई भी पुरजोर तरीके से लड़ी. वे न सिर्फ एक राजनेता थी बल्कि उन्हें अपनी योग्यता की वजह से भारत राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया।
संक्षिप्त जीवनी – Short Biography of Sarojini Naidu
सरोजिनी नायडू एक राज नेता थी. उनका जन्म 13 फरवरी, 1897 को भारत के हैदराबाद में हुआ. अपने जीवन के आरंभिक दौर में उन्हें अपनी कविताओं और कहानिओं की वजह से पहचान मिली.
उन्होंने कई नाटक भी लिखे. उस दौर में जब महिला शिक्षा पर कोई खास जोर नहीं था, वे पढ़ाई के लिए इंग्लैण्ड तक गई. 1916 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, उनके प्रभावित होकर उन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में भाग लेना शुरू कर दिया.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने बहुत अच्छा काम किया और 1925 में उन्हें भारत राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. भारत की आजादी के बाद, नायडू उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनी. 2 मार्च 1949 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में नायडू का निधन हो गया।
सरोजिनी नायडू आरंभिक जीवन -education of sarojini naidu
सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला या नाइटेंगल आफ इंडिया भी कहा जाता है. सरोजिनी नायडू के पिता का नाम डॉक्टर अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और माता का नाम वरद सुंदरी था. बालिका सरोजिनी पढ़ाई में बहुत होशियार थी.
साथ ही उसे कविता और कहानी लेखन का भी शौक था. यह गुण उन्हें अपनी माता वरद सुंदरी से मिला था जो एक बेहतरीन बंगाली कवियत्री थी. पिता अघोरनाथ ने भी एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि ली थी.
अपनी आरंभिक शिक्षा के दौरान ही उनके मेधावी होने के लक्षण सामने आने लगे और मैट्रिक की परीक्षा में उन्होंने प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया. माता —पिता ने भी सरोजिनी को आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी और आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें केम्ब्रिज विश्वविद्यालय लंदन तक भेजा.
यह कम ही लोगों को मालूम है कि सरोजिनी नायडू के भाई वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय एक क्रांतिकारी थे और दूसरे भाई हरिन्द्रनाथ एक कवि, कलाकार और अभिनेता थे.
सरोजिनी नायडू का वैवाहिक जीवन – Sarojini Naidu Married life
सरोजिनी चट्टोपाध्याय सिर्फ 19 साल की उम्र में डॉक्टर गोंविन्दराजुलू नायडु के साथ वैवाहिक बंधन में बंध गई. यह एक अन्तर्जातिय विवाह था जो उस दौर में बहुत मुश्किल काम था लेकिन उनके पिता ने अपनी सहमति से अपनी बेटी के अन्तर्जातिय विवाह को अपनी सहमति दी.
सरोजिनी नायडू और गोविन्दराजुलू नायडु को पांच संतान हुई. उन्ही बेटी पैडपति पद्मा ने भी भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया.
सरोजिनी नायडू का राजनीतिक जीवन
सरोजिनी नायडू को राजनेता से पहले एक कवियत्री के तौर पर पहचान मिली. लंदन में अपनी पढ़ाई के दौरान उनका पहला कविता संग्रह गोल्डन थ्रैशोल्ड आया, जिसे बहुत पसंद किया गया.
अपने दूसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम और तीसरे संग्रह ब्रोकन विंग से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली और वे एक बेहतरीन कवि के तौर पर स्थापित हो गई. भारत आने के बाद वे गांधी से बहुत प्रभावित हुई और कांग्रेस का हिस्सा बन गई.
1905 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ली. जहां उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले, रबिन्द्रनाथ टैगोर, एनी बेसेंट और जवाहरलाल नेहरू सरीखे नेताओं के साथ काम करने का मौका मिला. एनीबेसेन्ट के साथ तो उनकी बहुत ही प्रगाढ़ मित्रता हो गई. सरोजिनी नायडू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बद्ध वूमन इंडियन एसोसिएशन को गठित करने में अहम भूमिका का निर्वाह किया.
उन्हें होम रूल लीग की अध्यक्षता करने का भी मौका मिला. उन्होंने मदन मोहन मालवीय के साथ 1931 में हुए गोलमेज कांफ्रेंस में भी हिस्सा लिया. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा.
अपने संघर्ष क्षमता और लोगों की सेवा भावना के कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली और स्वयं महात्मा गांधी भी उनके काम से बहुत प्रभावित हुए. कांग्रेस में उनकी बात को सम्मान दिया जाने लगा.
उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष होने का भी गौरव प्राप्त हुआ. कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रतिनिधी बनाकर दक्षिण अफ्रिका भी भेजा. भारत के आजाद होने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया.
सरोजिनी नायडू की मृत्यु
सरोजिनी नायडू की मृत्यु 2 मार्च, 1949 को हार्ट अटैक के कारण हुई. उनकी स्मृति में भारत सरकार ने ढेरों संस्थान नामित किये हैं, जिनमें सरोजिनी नायडू कॉलेज आफ वूमन, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज और सरोजिनी नायडू स्कूल आफ आर्ट्स एंड कम्यूनिकेशन प्रमुख हैं.
सरोजिनी नायडू की प्रमुख रचनाएं – sarojini naidu as a poet
सिर्फ 12 साल की उम्र में उन्होंने फारसी नाटक मेहर मुनीर की रचना की, जो तत्कालीन नवाब हैदराबाद को बहुत पसंद आई थी.
1905 में उनका पहला कविता संग्रह sarojini naidu poems द गोल्डन थ्रैशहोल्ड प्रकाशित हुआ.
1912 अपने दूसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम और 1917 तीसरे संग्रह ब्रोकन विंग से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली.
1916 में उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना: एन एम्बेसडर आफ युनिटी का प्रकाशन किया.
1943 में द स्क्रिप्टेड फ्लूट: सांग्स आफ इंडिया आई.
1961 में उनकी रचना द फीदर आफ द ड्वान को उनकी बेटी पद्मजा नायडु ने प्रकाशित करवाया.
1971 में उनकी अंतिम रचना द इंडियन वेबर्स प्रकाशित हुई.
पुरस्कार एवं सम्मान
भारत सरकार ने कैसर ए हिन्द पुरस्कार से नवाजा.
1967 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया.
सरोजिनी नायडू के मशहूर कथन- Sarojini Naidu Quotes in hindi
एक देश की महानता प्रेम और बलिदान के अपने आदर्शों में निहित है जो आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.
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हम मकसद की गहरी ईमानदारी चाहते हैं, हमार भाषण और कार्रवाई में ईमानदारी के साथ साहस भी होना चाहिए.
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जब ज़ुल्म होता है, तो केवल आत्मसम्मान ही है जो उठ खड़ा होता है और कहता है कि इस जुल्म को आज ही खत्म होना होगा क्योंकि न्याय मेरा अधिकार है। यदि आप मजबूत हैं, तो यह कमजोर की सहायता करना आपका कर्तव्य बन जाता है.
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एक बार एक रात के स्वप्न में मैं खड़ी था
एक जादुई जंगल के प्रकाश में अकेली,
आत्मा-गहरी दृष्टि में, जो कि अफीम जैसी होती है;
और सच्चाई की आत्मा का पक्षी जो गाता था,
और प्यार की आत्माओं चमक के सितारों थे,
और शांति की आत्माएं प्रवाह की धाराएं थीं
नींद की भूमि में उस जादुई जंगल में
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न्याय की भावना इस्लाम के सबसे बढ़िया आदर्शों में से एक है, क्योंकि जैसा कि मैंने कुरान में पढ़ा है, मैं जीवन के उन गतिशील सिद्धांतों को खोजता हूं, रहस्यमय नहीं बल्कि व्यावहारिक नैतिकता, जो कि पूरे विश्व के
लिए जीवन के दैनिक संचालन के लिए है।
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भारत को अपनी बीमारियों से मुक्त होने के लिए एक नये ढर्रे के इंसान की जरूरत है.
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