Table of Contents
बर्ड फ्लू की सम्पूर्ण जानकारी
बर्ड फ्लू या एवियन इंफ्लूएंजा पक्षियों में टाइप ए वायरस की वजह से फैलने वाला फ्लू है. आमतौर पर यह वायरस वन्य पक्षियों को ही संक्रमित करता है और उन्हीं के माध्यम से पॉल्ट्री फार्म्स और पालतू जानवरों तथा पक्षियों में फैलता है. इस वायरस के मामले हर साल दुनिया में जब—तब सुनाई देते है।
क्या होता है बर्ड फ्लू?- Bird flu meaning
एवियन इंफ्लूएंजा या बर्ड फ्लू एच5एन1 (H5N1) वायरस की वजह से होता है. यह वायरस पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. यह वायरस तेजी से फैलता है इसलिए जब पक्षियों में इस तरह का संक्रमण फैलता तो उनके मरने की संख्या बहुत ज्यादा होती है।
इन वन्य पक्षियों से यह वायरस मुर्गीपालन उद्योग में आसानी से पहुंच सकता है और मुर्गिया तथा बतख इससे संक्रमित हो जाते हैं। संक्रमित पक्षियों की लार, नाक से निकलने वाले तरल और बीट से फैलता है। यह वायरस उन सतहों पर भी जिंदा रहता है, जहां संक्रमित पक्षी बैठा है या फिर उनका तरल गिरा है।
कितने तरह का होता है एवियन इंफ्लूएंजा?
वैज्ञानिकों ने संक्रमण और मृत्यु दर के आधार पर बर्ड फ्लू को दो हिस्सों में बांटा है। पहले को लो पैथोजेनिक या कम रोगजनक और दूसरे को हाइली पैथोजोनिक या अत्यधिक रोगजनक कैटेगरी में रखा जाता है।
लो पैथोजोनिक एवियन इंफ्लूएंजा ज्यादातर पॉलट्री फार्म्स में होता है और इसमें कोई विशेष लक्षण सामने नहीं आते हालांकि इस संक्रमण से अण्डे कम मिलते हैं और पंखों को नुकसान पहुंचता है। इसमें मृत्यु दर न के बराबर होता है।
हाइली पैथोजेनिक बर्ड फ्लू ज्यादा तेजी से फैलता है और इसमें मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है। इस तरह के बर्ड फ्लू की वजह से लाखों पक्षियों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।
मनुष्य को कैसे प्रभावित करता है बर्ड फ्लू? bird flu in humans
पक्षियों से यह बीमारी मनुष्यों में आ सकती है हालांकि यह बहुत सामान्य नहीं है और ज्यादातर मामलों में इस तरह का संक्रमण नहीं देखा गया है कि पक्षियों की इस बीमारी से मानव को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ हो लेकिन 1997 में हांगकांग में फैले बडफ्लू के दौरान मानवीय संक्रमण के मामले सामने आए।
तब से लेकर अबतक इस तरह 700 मामले दर्ज किए जा चुके हैं जहां बर्ड फ्लू ने इंसानों को संक्रमित किया। उनमें एशियाई स्ट्रेन पाया गया। 2013 में चीन में इस वायरस से इंसानों के संक्रमित होने के मामले सामने आये, इस साल करीब 1300 लोगों में संक्रमण दर्ज किया गया, जिनमें सैकड़ो लोगों की मौत हो गई।
बर्ड फ्लू में मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है और सबसे बड़ा खतरा इस बात का होता है कि मानव को संक्रमित करने के बाद यह अपना स्ट्रेन बदल सकता है। स्ट्रेन बदल जाने पर बर्ड फ्लू महामारी भी बन सकती है और इससे होने वाले नुकसान का आंकलन नहीं किया जा सकता है। इस संभावना से इसलिए भी इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि फ्लू वायरस आमतौर पर अपना स्ट्रेन बदलते रहते हैं।
अगर कोई व्यक्ति बर्ड फ्लू के वायरस से संक्रमित होता है तो उसमें बुखार, खासी, खराश और शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देंगे। इसके अलावा पेट में दर्द, छाती में दर्द और दस्त भी इस संक्रमण के लक्षण है।
समय के साथ लक्षण और ज्यादा गंभीर होते जाएंगे और श्वसन तंत्र में समस्या बढ़ती जाएगी। सांस फूलना, निमोनिया और न्यूरोलॉजिक परिवर्तन के साथ मौत भी हो सकती है।
bird flu के दौरान चिकन का मांस और अण्डा खाना कितना सुरक्षित है?
अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि अच्छी तरह पकाए हुए मांस और अण्डों से यह वायरस किसी को संक्रमित कर सकता है क्योंकि यह वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील हाता है और 70 डिग्री से ज्यादा तापमान पर पकाए गए खाद्य पदार्थ में नष्ट हो जाता है।
बर्ड फ्लू के दौरान मांस से संक्रमित होने की संभावना कच्चे मांस को प्रोसेस करने के दौरान ही हो सकती है। ऐसे में हमारी सलाह है कि कच्चे मांस को उपयोग में लेने से बचना चाहिए।
क्या बर्ड फ्लू का इलाज संभव है?- Bird flu Vaccine- bird flu treatment
बर्ड फ्लू एक वायरसजनित रोग है और इससे संक्रमित लोगों का एंटीवायरल ड्रग के माध्यम से इलाज किया जाता है लेकिन इसका इलाज अस्पताल में चिकित्सकीय देखरेख में ही किया जाता है।
एंटीवायरल दवाएं जैसे ओस्लेटमवीर इसकी तीव्रता को कम करने में सक्षम है और इसकी मदद से मृत्यु दर को कम करने में सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने बर्ड फ्लू वायरस से बचने का टीका भी विकसित कर लिया है लेकिन इसका कभी बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया गया है।
भारत में कब-कब फैला है बर्ड फ्लू?
दुनिया में बर्ड फ्लू ने तो 18वीं शताब्दी से ही दस्तक देनी शुरू कर दी थी लेकिन भारत में इसका पहला मामला 15 फरवरी 2005 को गुजरात और महाराष्ट्र में दर्ज किया गया। इसके बाद दूसरा बड़ा मामला मध्यप्रदेश में मार्च-अप्रेल 2006 में सामने आया। इस चुनौती से निपटने के लिए 10.44 लाख पक्षियों को मार दिया गया। इन प्रयासों की वजह से अगस्त, 2006 में बर्ड फ्लू का प्रकोप खत्म हो गया।
भारत में एवियन फ्लू का तीसरा आउटब्रेक मणिपुर के पूर्वी इम्फाल जिले में जुलाई 2007 में दर्ज किया गया। चार लाख मुर्गों और बतखों को निस्तारित कर इस आउटब्रेक को नियंत्रित कर लिया गया। 7 नवम्बर, 2007 को भारत को बर्ड फ्लू से मुक्त घोषित किया गया।
भारत में एवियन फ्लू का चौथा आउटब्रेक पश्चिम बंगाल के बीरभूम और दक्षिण दिनाजपुर जिलों में 15 जनवरी, 2008 को सामने आया जो समय के साथ 13 और जिलों में फैल गया। इस बार के आउटब्रेक के दौराना करीब 42.62 लाख पक्षियों को मारा गया और इसे पश्चिम बंगाल तक ही सीमित कर दिया गया।
भारत में बर्ड फ्लू – Bird Flu in India
- फरवरी-अप्रेल 2006 – महाराष्ट्र के 28 और गुजरात के 1 जिले में फैला।
- मार्च 2006- मध्यप्रदेश
- जुलाई, 2007- मणिपुर
- जनवरी-मई, 2008- पश्चिम बंगाल के 68 स्थानों पर फैला।
- अप्रेल, 2008- त्रिपुरा में 3 स्थानों में फैला।
- नवम्बर-दिसम्बर, 2008- आसाम के 18 स्थानों पर फैला।
- दिसम्बर2008-मई 2009- पश्चिम बंगाल के 11 स्थानों पर मामले दर्ज हुए।
- जनवरी, 2009- सिक्किम
- जनवरी, 2010- पश्चिम बंगाल में 12 स्थानों पर मामले दर्ज हुए।
- फरवरी-मार्च, 2011- त्रिपुरा में 2 स्थानों पर मामले दर्ज हुए।
- सितम्बर, 2011- आसाम और पश्चिम बंगाल में 2 स्थानों पर मामले दर्ज।
- जनवरी-अप्रेल 2012- ओडिशा, मेघालय, त्रिपुरा में मामले देखे गए।
- अक्टूबर, 2012- कर्नाटक
- मार्च, 2013- बिहार
- अगस्त, 2013- छत्तीसगढ़
- नवम्बर, 2014-जनवरी, 2015- केरल में 6 स्थानों पर मामले दर्ज किए गए।
- दिसम्बर, 2014- छत्तीसगढ़
- जनवरी, 2021- राजस्थान, मध्यप्रदेश, केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मामले दर्ज किए गए।
यह भी पढ़ें:
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में क्या अंतर होता है?