फिल्म सेंसर बोर्ड- Central Board of Film Certification

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड Central Board of Film Certification

सेंसर बोर्ड समय-समय पर फिल्मों के रिलीज पर रोक लगाने और कई हिस्सों को काटने के कारण खबरों का हिस्सा बनता रहा है। भारत में फिल्मों के प्रदर्शन के लिए इस संस्था के द्वारा किया जाने वाला प्रमाणीकरण अनिवार्य है।

इस संस्था को लेकर भारत की सिविल सोसाइटी समय-समय पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसमें आने वाली बाधा को लेकर भी सवाल उठाती रही है। इस ऐतिहासिक संस्था का उद्भव और विकास खासा दिलचस्प और ऐतिहासिक रहा है।

कैसे बना सेंसरबोर्ड?- History of Film censorship in India

पहले पहल जब भारत में आजादी की लड़ाई अपने चरम पर थी। भारतीय परिदृश्य में महात्मा गांधी का प्रवेश हो चुका था, अपनी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अखबार के साथ-साथ फिल्म को भी जरिया बनाया। ऐसे प्रयासों को रोकने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1918 लेकर आई।

इस एक्ट के पहले तक भारतीय फिल्मकार कुछ भी दिखाने के लिए स्वतंत्र थे लेकिन इसके बाद उन्हें फिल्म प्रदर्शन के लिए भारत के बड़े शहरों में स्थापित सेंसर बोर्ड से की स्वीकृति लेनी होती थी।

ये सेंसर बोड्र्स फिल्मों में से ऐसे दृश्य निकाल देती थी जिनसे यूरोपियन्स की छवि खराब होती थी। आजादी के बाद सिनेमेटोग्राफी एक्ट में बदलाव कर नया सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 अस्तित्व में लाया गया। इस एक्ट में अभिव्यक्ति को ज्यादा प्रसार दिया गया।

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या सेंसर बोर्ड के काम करने का तरीका- how film Censor Board Works

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को अपना यह नाम जून 1983 में​ मिला इससे पहले तक इसे केन्द्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना मुंबई में की गई । शुरूआत में इस संस्था के क्षेत्रीय कार्यालय तीन महानगरों मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में ही स्थित थे।

वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर नौ हो गई है, वर्तमान में यह कार्यालय मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बैंगलूर, हैदराबाद, तिरूवनन्तपुरम, नई दिल्ली, कटक और गोहाटी में स्थित है जो क्षेत्रीय सिनेमा के प्रमाणीकरण का कार्य करते हैं।

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का ढांचा चलचित्र अधिनियम 1952 तथा चलचित्र प्रमाणन नियम 1983 के उपबन्धों के आधार पर बनाया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा बोर्ड में एक अध्यक्ष और कम से कम बारह से लेकर पच्चीस तक सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।

इनकी नियुक्ति तीन साल से अधिक समय के लिए नहीं होती है। ये सदस्य समाज के कई क्षेत्रों से सम्बन्ध रखते हैं जैसे समाजसेवा, शिक्षा, कला, फिल्म आदि। क्षेत्रीय कार्यालयों में फिल्म प्रमाणीकरण के लिए केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड परामर्शदाता पैनल की सहायता लेता है।

इन पैनलों के सदस्य विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे विशेषज्ञ होते हैं। क्षेत्रीय सदस्यों के लिए पद की अवधि 2 साल से अधिक नहीं होती है। हालांकि जरूरत महसूस होने पर इनके दोबारा नियुक्त किया जा सकता है।

अगर किसी फिल्मकार को पैनल के निर्णय पर आपत्ति है तो इसके लिए चलचित्र अधिनियम 1952 की धारा 5(घ) के तहत फिल्म प्रमाणीकरण अपील अधिकरण का गठन किया गया है। बोर्ड के किसी आदेश के विरूद्ध अपील की सुनवाई इस में की जाती हैं। यह अधिकरण नई दिल्ली में स्थित है।

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या सेंसर बोर्ड फिल्म प्रदर्शन के लिए वर्तमान में चार तरह के प्रमाणपत्र जारी करती है। प्रारंभ में प्रमाणपत्रों के दो वर्ग थे ’अ’- अनिर्बन्धित सार्वजनिक प्रर्दशन और ’व’-वयस्क दर्शकों के लिए निर्बन्धित।

जून,1983 में दूसरे दो वर्ग शामिल किए गये हैं ’अव’-अनिर्बन्धित सार्वजनिक प्रर्दशन के लिए किन्तु इस चेतावनी के साथ कि 12 वर्ष से कम आयु के बालक/बालिका को माता-पिता के मार्गदर्शन के साथ फिल्म देखेंगे और ’एस’ किसी विशिष्ट व्यक्तियों जैसे डाक्टर आदि के लिए प्रमाणित करते हैं।

क्या सेंसर करता है सेंसर बोर्ड?- Censor Board Rules and Regulation

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्मों में सेंसर किए जाने वाले कुछ मूलभूत मुद्दों को नियमबद्ध कर रखा है, जिनसे संबंधित दृश्यों पर कैंची चलाई जाती है और उनके सार्वजनिक प्रदर्शन को रोका जाता है। ये नियम इस प्रकार हैं:

1. हिंसा जैसी समाज विरोधी क्रियाएं अच्छी या न्यायोचित न ठहराई जाएं।

2. अपराधियों की कार्यप्रणाली, अन्य दृश्य या शब्द जिनसे कोई अपराध का करने के लिए प्रतिर होने की संभावना हो, चित्रित न की जाए।

3. ऐसे दृश्य न दिखांए जाएं जिनमें:-

(क) बच्चों को हिंसा का शिकार या अपराधकर्ता के रूप में, अथवा हिंसा के दौरान दर्शक के रूप में शामिल होते दिखाया गया हो या बच्चों का किसी प्रकार दुरूपयोग किया गया हो।

(ख) शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के साथ दुव्र्यवहार किया गया हो अथवा मजाक उड़ाया गया हो।

(ग) पशुओं के प्रति क्रूरता या उनका दुरूपयोग के दृश्य अनावश्यक रूप से न दिखाए जाए।

4. मूलतः मनोरंजन प्रदान करने के लिए हिंसा, क्रूरता और आतंक के निरर्थक दृश्य और ऐसे दृश्य न दिखाए जाएं जिनसे लोग संवेदनहीन या अमानवीय हो सकते हों।

5 वे दृश्य न दिखाए जाएं जिनमें मद्यपान को उचित ठहराया गया हो या उसका गुणगान किया गया हो।

6. नशीली दवाओं के सेवन को उचित ठहराने वाले या उनका गुणगान करनेवाले दृश्य न दिखाए जाएं। इसके अलावा तंबाकू सेवन या धूम्रपान को बढ़ावा देने, न्यायोचित ठहराने या उसे गौरवान्वित करनेवाले दृश्य न दिखाए जाए।

7. अशिष्टता, अश्लीलता और दुराचारिता द्वारा मानवीय संवेदनाओं को चोट न पहुंचाई जाए।

8. द्विअर्थी संवाद या शब्द न रखे जाएं जिनसे नीच प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता हो।

9. महिलाओं के लिए किसी भी प्रकार का तिरस्कारपूर्ण या उन्हें बदनाम करने वाले दृश्य न दिखाए जाएं।

10. महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा या किसी अन्य प्रकार का उत्पीड़न या इसी किस्म के दृश्यों से बचा जाना चाहिए तथा यदि कोई ऐसी घटना विषय के लिए प्रासंगिक हो तो ऐसे दृश्यों को कम से कम रखा जाना चाहिए और उन्हें विस्तार से नहीं दिखाना चाहिए।

11. काम-विकृतियों दिखानेवाले दृश्यों से बचा जाना चाहिए। यदि विषयवस्तु के लिए ऐसे दृश्य दिखाना संगत हो तो इन्हें कम से कम रखा जाना चाहिए और इन्हें विस्तार से नहीं दिखाया जाना चाहिए।

12. जातिगत, धार्मिक या अन्य समूहों के लिए अवमाननापूर्ण दृश्य प्रदर्शित या शब्द प्रयुक्त नहीं किए जाने चाहिए।

13. सांप्रदायिक, रूढ़िवादी, अवैज्ञानिक या राष्ट्रविरोधी प्रवृत्तियों को दिखानेवाले दृश्यों या शब्दों को प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।

14. भारत की प्रभुसत्ता और अखंडता पर संदेह व्यक्त नहीं किया जाना चाहिए।

15. ऐसे दृश्य प्रस्तुत नहीं किए जाने चाहिए जिनसे देश की सुरक्षा जोखिम या खतरे में पड़ सकती हो।

16. विदेशों से मैत्रीपूर्ण संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए।

17. कानून व्यवस्था खतरे में नहीं पड़नी चाहिए।

18. ऐसे दृश्य या शब्द नहीं प्रस्तुत किए जाने चाहिए जिससे किसी व्यक्ति, संस्था या न्यायालय की मानहानि या अवमानना होती हो।

19. संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम 1950 के उपबन्धों के अनुरूप से अन्यथा राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक न दिखाए जाए।

सेंसर बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष और अध्यक्षों की सूची – Name & Tenure of the current Chairperson of Censor Board

 अध्यक्षों के नाम और कार्यकाल

क्रमांक अध्यक्ष का नामदिनांक सेदिनांक तक
1प्रसून जोशी 11-08-2017अब तक
2पहलाज निहलानी21-01-201511-08-2017
3लीला सैमसन01-04-201119-01-2015
4शर्मिला टैगोर13-10-200431-03-2011
5अनुपम खेर16-10-200313-10-2004
6अरविंद त्रिवेदी20-07-200216-10-2003
7विजय आनन्द26-09-200119-07-2002
8आशा पारेख25-06-199825-09-2001
9शक्ति सामंत01-04-199125-06-1998
10बी. पी. सिंघल25-04-199001-04-1991
11मोरेश्वर  वनमाली20-02-198925-04-1990
12विक्रम सिंह08-07-198319-02-1989
13सुरेश  माथुर10-05-198307-07-1983
14शरद  उपासनी15-03-198309-05-1983
15अपर्णा  मोहिले11-08-198214-03-1983
16हृषिकेश  मुख़र्जी01-02-198110-08-1982
17के.एल. खंडपुर01-07-197631-01-1981
18वीरेंदर  व्यास11-02-197230-06-1976
19आर. श्रीनिवासन20-10-197015-11-1971
20एम.वी. देसाई12-12-196919-10-1970
21आर.पी. नायक23-04-196815-11-1969
22बी .पी . भट्ट23-04-196522-04-1968
23डी .एल. कोठारी02-11-196022-04-1965
24बी .डी . मीरचंदानी25-03-196001-11-1960
25डी .एल. कोठारी22-11-195924-03-1960
26एम.डी. भट्ट10-06-195521-11-1959
27बी .डी . मीरचंदानी15-06-195409-06-1955
28सी.एस. अग्गरवाल15-01-195114-06-1954

यह भी पढ़ें:

क्या करता है नीति आयोग?

यूनिसेफ कैसे करता है काम?

आसियान के बारे में रोचक जानकारी

एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भारत में क्यों लगा प्रतिबंध?

Leave a Reply