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global warming essay hindi ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
global warming introduction ग्लोबल वार्मिंग आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है. इससे निपटने के लिये पूरी दुनिया में पर्यावरणविद् लगातार सबका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग ने न सिर्फ पूरी दुनिया में जीवन को प्रभावित किया है बल्कि इसकी वजह से दुनिया खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है.
ग्लोबल वार्मिंग को दुनिया के सबसे बड़े खतरों की सूची में डाला गया है. इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन और समुद्र का जल स्तर बढ़ने जैसे प्रभाव पैदा होंगे और आने वाले कुछ सालों में दुनिया की बड़ी आबादी विस्थापित होगी.
क्या होती है ग्लोबल वार्मिंग?
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वातावरण के औसत तापमान में होने वाली वृद्धि को कहा जाता है. पिछले कुछ दशकों में पृथ्वी का वातावरण लगातार गर्म होता जा रहा है. इस बढ़ते वातावरण के लिये मानव गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
what is global warming
मनुष्य की मशीनों और जीवन शैली के कारण वह जरूरत से ज्यादा कार्बन डाइ आक्साइड का उत्सर्जन कर रहा है. यह कार्बन डाइ आक्साइड पृथ्वी के वातावरण को गर्म कर जलवायु को प्रभावित कर रही है. इसकी वजह से मौसम तंत्र भी प्रभावित हो रहा है.
क्या है ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव? global warming causes
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आंकलन करने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ ने इंटरगवर्नमेंटल पैनल आफ क्लाइमेट चेंज नाम की संस्था बनाई है जो धरती पर ग्लोमिंग वार्मिंग इफेक्ट्स क्या होंगे, इस बात का अध्ययन कर रही है.
इस संस्था ने अपने लंबे अध्ययन के बाद कुछ चौंकाने वाले तथ्य अपनी रिपोर्ट में प्रस्तुत किये हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ने गंभीर रूप 20वीं शताब्दी के मध्य से लेना शुरू किया जब औद्योगिकीकरण ने अंधाधुंध अपना विस्तार किया.
global warming causes and effects
औद्योगिक और वाहन गतिविधियों से पृथ्वी के वातावरण में ग्रीन हाउस गैसेज की मात्रा में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई. कार्बन डाइ आक्साइड, मीथेन और नाइट्रस आक्साइड को ग्रीन हाउस गैस माना जाता है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सामान्य रूप से पृथ्वी के वातावरण में इन ग्रीन हाउस गैसेज की वजह से तापमान में 0.3 डिग्री से लेकर 1.7 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और कुछ इलाकों में जहां इन गैसों का प्रभाव ज्यादा है वहां पर तापमान में 2.6 डिग्री से 4.8 डिग्री तक वृद्धि दर्ज की गई है.
causes of global warming in points – क्यों हो रही है ग्लोबल वार्मिंग?
ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजह वह मानव गतिविधियां है जिनसे कार्बन उत्सर्जन हो रहा है. यहां हम प्रमुख वजहें बता रहे हैं.
1. फैक्ट्रीयों से निकलने वाला प्रदूषित धुंआ.
2. वाहनों से निकलने वाला प्रदूषित धुंआ.
3. कम एफिशियेंट ऊर्जा स्रोतों का उपयोग.
4. एनीमल फार्मिंग की वजह से निकलने वाला मिथेन.
5. रफ्रिजरेशन में काम आने वाले क्लोरो फ्लोरो कार्बन.
क्या होगा ग्लोबल वार्मिंग से परिवर्तन? global warming effects
ग्लोबल वार्मिंग यानी पृथ्वी के तापमान में होने वाली बढ़ोतरी से दुनिया खत्म होने के आसार पैदा हो गये हैं. दरअसल पृथ्वी की जलवायु बहुत हद तक अपने तापमान से संचालित होती है और तापमान में होने वाले मामूली बदलाव से ही मौसम का निर्धारिण होता है. पृथ्वी का मौसम तंत्र बहुत ही संवेदनशील और संतुलित है जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रभावित हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से निम्न प्रभाव दिखाई दे रहे हैं.
essay on global warming in hindi with headings
1. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के ध्रुवों पर स्थित ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. यह पानी समुद्रों में घुल रहा है जिससे समुद्र के लवणीय पानी की सांद्रता बदल रही है और समुद्रों का जल स्तर ऊपर उठ रहा है. इससे निचले द्वीप और समुद्र किनारे स्थित शहरों पर डूबने का खतरा मंडराने लगा है.
2. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम में घातक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जहां अच्छी बारिश होती थी, वहां सूखा पड़ रहा है और सूख इलाको में बाढ़ आ रही है.
3. मौसम में आने वाले इन बदलावों की वजह से रेगिस्तानी इलाके में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.
4. तापमान बढ़ने से जंगल में आग की घटनाओं में बड़ी मात्रा में वृद्धि हुई है.
5. मौसम प्रभावित होने से फसलों के उत्पादन पर असर पड़ना शुरू हो गया है. इसको अगर जल्दी नहीं रोका गया तो दुनिया भुखमरी की चपेट में आ जायेगी.
6. तापमान में परिवर्तन होने की वजह से जीव जगत भी प्रभावित होने लगा है. बायो डाइवर्सिटी घटती जा रही है. ठंड में रहने वाले जीवों लुप्त होने की कगार पर पहुंच गये हैं.
7. समुद्र में कोरल रीफ लगातार नष्ट हो रही है और दुनिया अभी तक 75 प्रतिशत तक मुंगा चट्टाने खत्म हो चुकी है.
कैसे रोक सकते हैं ग्लोबल वार्मिंग? How we prevent Global Warming
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिये पूरी दुनिया अब गंभीर होती जा रही है. संयुक्त राष्ट्र संघ सहित दुनिया भर के संगठन अब गंभीर हो गये हैं और हरेक मंच इसके रोकथाम के लिये कई उपाय कर रहे हैं. इस दिशा में पहला गंभीर प्रयास संयुक्त राष्ट्र संघ की युनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेन्शन आन क्लाइमेट चेंज में किया गया.
इस कन्वेंशन में इस बात पर जोर दिया गया की पूरी दुनिया के देश ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का प्रयास करेंगे. इस उत्सर्जन को कम करने के लिये एक प्रोटोकॉल का निर्धारण किया गया. इस प्रोटोकॉल को जापान के क्योटो शहर में 11 दिसम्बर 1997 को निर्धारित किया गया, इसलिये इस प्रोटोकाल को क्योटो प्रोटोकॉल कहते हैं.
क्या है क्योटो प्रोटोकॉल? kyoto protocol summary
क्योटो प्रोटोकॉल दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग से मुक्त करवाने के लिये उठाया गया वैश्विक कदम है. इस प्रोटोकाूल में 6 गैसों कार्बन डाइ आक्साइड, मिथेन, नाइट्रस आक्साइड, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन्स, परफ्लोरो कार्बन्स और सल्फर हेक्साफ्लोराइड को शामिल किया गया है.
क्योटो प्रोटोकॉल को देशों की आर्थिक प्रगति के अनुसार जिम्मेदारी का विभाजन किया गया. आर्थिक रूप से मजबूत देशों पर ज्यादा प्रतिबंध लगाये गये और गरीब देशों पर प्रतिबंध की संख्या कम रखी गई. साथ ही अमीर देशों पर गरीब देशों को इन प्रतिबंधों से होने वाले नुकसान की भरपाई करने की शर्त भी रखी गई.
क्योटो प्रोटोकॉल को पहली अवधि 2008 से 2012 रखी गई. इस अवधि के पूरा होने के बाद दोहा में आयोजित सम्मेलन में दूसरी बार के अवधि को 2020 तक बढ़ा दिया गया. दूसरी बार में कई देशों ने इसका विरोध किया और कनाडा जैसे कई मुल्कों ने इन प्रतिबंधों को मानने से इंकार करते हुये खुद को क्योटो प्रोटोकॉल से अलग कर लिया.
मतभेद बढ़ने पर 2015 में क्योटो प्रोटोकॉल को समाप्त कर पेरिस एग्रीमेंट कर लिया गया जिसमें सभी देशों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया था.
ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिये हम क्या कर सकते हैं?
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में नागरिक समाज भी दुनिया की मदद कर सकता है. हम एक इंसान और पृथ्वीवासी के तौश्र पर अपना योगदान देकर भी ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम कर सकते हैं.
1. अपने वाहन की सही समय पर सर्विसिंग करवायें.
2. छोटी दूरियों के लिये साइकिल का प्रयोग करें.
3. एनर्जी इफिशियेंट लाइट्स और इक्वीपमेंट्स का उपयोग करें.
4. मांसाहार का उपयोग कम से कम करें. एनीमल फार्मिंग की वजह से कार्बन डाइ उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है.
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