लिवरपूल एफसी फूटबाॅल क्लब पूरी दुनिया में अपने बेहतरीन खिलाड़ियों और खेल के लिए मशहूर है. लिवरपूल फुटबाॅल क्लब का मुख्यालय इंग्लैण्ड के लिवरपूल शहर में है.
लिवरपूल एफसी को दुनिया के सफलतम फुटबाॅल क्लब्स में से एक माना जाता है. यहां हम लिवरपूल एफसी के बारे में जानकारी हिंदी में उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहे हैं.
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लिवरपूल एफसी का इतिहास
लिवरपूल को द रेड्स के नाम से भी जाना जाता है. इस क्लब का गठन आज से 127 साल पहले 15 मार्च 1892 को लिवरपूल शहर में किया गया. लिवरपूल का गठन दरअसल एक विवाद की उपज था.
एवर्टन एक फुटबाॅल क्लब था जो लिवरपूल शहर का प्रतिनिधित्व किया करता था. एवर्टन जिस स्टेडियम एनफील्ड को अपना होमग्राउंड मानता था, उसके मालिक जाॅन हाउल्डिंग थे.
एक समय ऐसा आया जब जाॅन हाउल्डिंग और एवर्टन के बीच झगड़ा हो गया. एवर्टन ने अपना होम ग्राउंड बदलकर गुडीसन पार्क को बना लिया.
जाॅन हाउल्डिंग ने इस बात से व्यथित को अपना खुद का फुटबाॅल क्लब बना लिया और अपने शहर के नाम पर इस फुटबाॅल क्लब को लिवरपूल नाम दे दिया.
पहले उन्होंने अपने क्लब को एवर्टन नाम देने की कोशिश की लेकिन जब फुटबाॅल एसोसिएशन ने इस नाम के दूसरे क्लब को मान्यता देने से मना कर दिया तो 1892 में लिवरपूल एफसी को अपना वर्तमान नाम मिला.
लिवरपूल एफसी ने अपने डेब्यू इयर में ही धमाल मचा दिया और प्रतिष्ठित लंकाशायर लीग जीत ली. इसके बाद तो लिवरपूल ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और जल्दी ही वह फर्स्ट डिविजन फुटबाॅल खेलने लगी.
1914 में वह एफए कप के फाइनल तक पहुंच गई. लिवरपूल की शुरूआत शानदार रही और जल्दी वह ब्रिटिश फुटबाॅल का प्रतीक चिन्ह बन गया.
लिवरपूल एफसी के मैच टाइटल्स
लिवरपूल एफसी ने 18 फर्स्ट डिविजन लीग टाइटल्स अपने नाम किये है. आखिरी फर्स्ट डिविजन टाइटल क्लब ने 1990 में जीता था.
लिवरपूल ने 4 सेकण्ड डिविजन लीग टाइटल भी जीत रखे हैं. उन्होंने आखिरी बार सेकण्ड डिविजन लीग 1962 में जीती थी.
दुनिया की सबसे पुरानी नेशनल फुटबाॅल प्रतियोगिता एफए कप या फुटबाॅल एसोसिएशन चैलेंज कप सात बार अपने नाम किया है. आखिरी बार उन्होंने यह टाइटल 2006 में जीता था.
लिवरपूल ने 8 बार फुटबाॅल लीग कप जीता है जो कि एक रिकाॅर्ड है. आखिरी बार उसने यह कप 2012 में जीता था.
लिवरपूल अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जानी जाती है. क्लब ने अबतक एफसी पाँच यूरोपीय कप, तीन के यूईएफए कप और तीन यूईएफए सुपर कप खिताब अपने नाम किये हैं.
लिवरपूल के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी
लिवरपूल एफसी के प्रमुख राइवलर्स में एवर्टन का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि उसका जन्म ही एवर्टन से विवाद की वजह से हुआ था. एवर्टन के साथ लिवरपूल मर्सीसाइड डर्बी खेलता है. हालांकि यह मैच अब सद्भावनापूर्वक ही खेले जाते हैं और फैन आपस में भिड़ने से बचते हैं.
लिवरपूल का सबसे प्रबल और प्रख्यात प्रतिद्वंद्वी दरअसल मैनचेस्टर युनाइटेड है. मैनचेस्टर युनाइटेड ही वह फुटबाॅल क्लब है जिसने पहली बार ब्रिटिश फुटबाॅल में लिवरपूल एफसी को चुनौती दी.
अब आलम यह है कि इन दोनों क्लबों के मैच में फैन्स एक दूसरे से भिड़ जाते हैं और हिंसक वारदातें हो जाती हैं. लिवरपूल और मैनचेस्टर युनाइटेड के मैच के दौरान पुलिस को विशेष व्यवस्थायें करनी पड़ती है.
मैच के दौरान खिलाड़ियों के बीच भी झड़प होना आम बात है. इतना सब होने के बावजूद ब्रिटेन के लोग इन दोनो क्लबों को आपस में खेलते हुए देखना बहुत पसंद करते हैं.
लिवरपूल एफसी के मशहूर खिलाड़ी
Liverpool FC के लिए दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी खेलते हैं. लगभग पूरे यूरोप के बेहतरीन खिलाड़ी लिवरपूल से खेलना अपना करिअर की बड़ी उपलब्धि मानते है.
फिनलैण्ड के सामी हापिया, इंग्लैण्ड के डैनी मर्फी, जेमी कारेघर, स्अीवन गेरार्ड, स्पेन के फर्रनांडो टाॅरेस और पेपी रेना, ब्राजील के लुकास लीवा और फिलिप क्वोनटीन्हों, स्लोवाकिया के मार्टिन स्कर्टल, उरूग्वे के लुईस सुआरेज, सेनेगल के सादियो मेनी और मिस्र के मोहम्मद सालेह जैसे खिलाड़ी खेल चुके हैं या फिर खेल रहे हैं.
लिवरपूल एफसी की यूनीफार्म
लाल रंग लिवरपूल एफसी की पहचान है. क्लब ने शुरूआत में एवर्टन के सफेद और नीले रंग को अपनाया लेकिन जल्दी ही उसने लिवरपूल शहर के फेवरेट कलर रेड को अपना लिया.
अपने लोगो या प्रतीक चिन्ह के तौर पर उन्होंने लिवरपूल शहर के प्रतीक लिवर बर्ड को अपना लिया. आगे चलकर लिवरपूल एफसी में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले मैनेजर बिल शैंकली ने लाल रंग को लाल रंग की पट्टियों में तब्दील कर दिया.
लिवरपूल एफसी एंथम
Liverpool FC का एंथम यू विल नेवर वाॅक अलोन अपने प्रशंसकों के साथ ही पूरी दुनिया में बहुत शिद्दत के साथ सुना जाता है.
इस गीत को मूल तौर पर राॅजर्स और हैमरस्टेन म्यूजिकल ने लिखा और कंपोज किया था लेकिन बाद में लिवरपूल एफसी के लिए इसे गैरी और द पीसमेकर्स ने दोबारा रिकाॅर्ड किया था.
1960 में इसे एनफील्ड स्टेडियम में भीड़ ने गाया और यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया. लिवरपूल एफसी ने इस गीत को अपने होमग्राउंड के शैंकली गेट पर भी लिखवाया है.
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