Baisakhi Festival History and Importance in Hindi- बैसाखी का महत्त्व कब और क्यों मनाई जाती है

बैसाखी उत्सव की जानकारी

बैसाखी उत्सव Baisakhi Festival हिंदी पंचांग के अनुसार वैशाख माह में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है. अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार 2019 के अप्रैल महीने की 14 तारीख को बैसाखी उत्सव धूम-धाम से मनाया जायेगा. वैसाखी परंपरागत रूप से सिख नव वर्ष रूप में भी मनाते है. Baisakhi का त्यौहार पंजाब, हरियाणा के साथ पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है. दक्षिण में बिशु, बंगाल में पैला बैसाख, केरल, तमिलनाडु, असम आदि राज्यों में बिहू के नाम से Baisakhi उत्सव मनाया जाता है.

क्यों मनाई जाती है बैसाखी

वैशाख माह से सूर्य की स्थिति परिवर्तन के कारण इस दिन के बाद गर्मी शुरू हो जाती है. इन गर्म किरणों से रबी की फसल पक जाती है और पकी हुई फसल को काटने की शुरुआत इस दिन से हो जाती है. इसके साथ ही यह दिन मौसम में बदलाव का प्रतीक माना जाता है.रबी की फसल के पकने की खुशी में ये पर्व धूम धाम से प्रतिवर्ष मनाया जाता है. पंजाब, हरियाणा सहित जहा-जहा पंजाबी समाज के लोग रहते है वो Baisakhi के दिन को खालसा पंथ की स्थापना दिवस के रूप में भी मनाते है.

बैसाखी का ऐतिहासिक महत्व

जब मुगल शासक औरंगज़ेब द्वारा अन्याय,अत्याचार और ज़ुल्म की सारी हदे पार कर दी और सिखों के नवें धर्म गुरु श्री गुरु तेग बहादुरजी को दिल्ली में शहीद कर दिया. तब सिखों के दसवें धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म व नेकी के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए अपने अनुयायियों को संगठित कर 1699 को श्री केसगढ़ साहिब आनंदपुर में गुरु गोविंदसिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना कर अत्याचार को समाप्त किया. खालसा सम्बत के अनुसार, खालसा कैलेंडर की सुरवात खलसा -1 वैसाख 1756 विक्रमी 30 मार्च 1699 के दिन से शुरू होता है. इस लिए बैसाखी के दिन को उत्साह पूर्वक मनाया जाता है.

ऐसे मनाई जाती है Baisakhi

खालसा पंथ की स्थापना से जहां यह सिक्खों के लिये पवित्र दिन है. वही इस दिन फसल के पकने और बाजार से किसानों को फैसले से अच्छी आमदनी होने की खुशी में परंपरागत परिधान में लोग गुरुद्वारों में अरदास के लिए इकट्ठे होते हैं .इस दिन आनंदपुर साहिब में भव्ये आयोजन होता है.सुबहे जल्दी से देर शाम तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. लाखों की संख्या में लोग यहाँ पहुंचते है. देश भर में सिख समुदाय नगर कीर्तन का आयोजन करते हैं. साथ ही शाम को आग के आसपास इकट्ठा होकर लोग नई फसल की खुशी में परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिद्दा का आनंद लेते है.जगह -जगह मेल लगते है और चौतरफा खुशिओ माहौल होता है.

Happy Baisakhi शायरी 2019

Baisakhi की शुभकामनाएं…

 

लो जी, फौजी मौज में आ गया पहन के वर्दी खाकी,डाल भांगड़ा, नच मेरे साथी, छोड़ के ये बैसाखी..जट्टा आई बैसाखी, हो जट्टा आई बैसाखी.. 

 

बैसाखी आई, साथ में ढेर सारी खुशियां लाई,तो भंगड़ा पाओ, खुशी मनाओ, मिलकर सब बंधु भाई. बैसाखी की बधाई

नाचो-गाओ,खुशी मनाओ,आई है बैसाखी,चलो जश्‍न मनाओ,रखकर सब चिंताओं को एक आरे मिलकर गीत खुशी के गाओ और बैसाखी का त्‍योहार मनाओ…

बैसाखी आई,साथ में ढेर सारी खुशियां लाई,तो भंगड़ा पाओ,खुशी मनाओ,
बैसाखी की शुभकामनाएं.

मुक गई फसलां दी राखी जट्टा आई बैसाखीजट्टा आई बैसाखी

 

ओह खेतां दी महक,ओह झूमरां दा नचना,बड़ा याद आउंदा है, तेरे नाल मनाया होया हर साल याद औंदा है,दिल करदा है तेरे कोल आके वैसाखी दा आनंद लै लां,की करां काम्म दी मजबूरी,फिर वी दोस्त तूं मेरे दिल विच रेहंदा हैं..हैप्पी बैसाखी

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