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मिर्च से होता है कई बीमारियों का उपचार – Chilly Benefits in Hindi
मिर्च के औषधीय गुण – कोई भी वस्तु हो, दोष के साथ उसमें गुण भी होते हैं. एक अच्छी कही जाने वाली वस्तु भी अनुचित ढंग से उपयोग करने पर हानिकारक सिद्ध होती है. मिर्च पर भी यही चरितार्थ होता है. कोई रोग और कष्ट हो, इसका परहेज बतलाते समय मिर्च का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है.
परन्तु इतनी बदनाम होने पर भी मिर्च खाने में खूब इस्तेमाल की जाती है. भारत के कई भाग तो ऐसे हैं कि वहां के लोग बिना मिर्च के अपना जीवन कष्टदायक समझते हैं.
यदि कोई ऐसा व्यक्ति, जो मिर्च खाने का आदी न हो, दक्षिण भारत की और चला जाए तो मिर्चों के कारण उसकी जान पर आ बनती है. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी मिर्च का भरसक उपयोग होता है. मिर्च का औषधि के रूप में इस प्रकार उपयोग किया जा सकता है.
ayurved ke gharelu nuskhe in hindi- मिर्च के औषधीय गुण
बीज निकाली हुई सूखी मिर्च का चूर्ण 15 ग्राम, रेक्टीफाइड स्पिरिट 450 ग्राम, दोनों को मिलाकर शीशी में मजबूती से रखें. प्रतिदिन शीशी को हिला दिया करें. पन्द्रह दिन के पशचात स्पिरिट को छान कर रख दें, मैला फेंक दे-बस रामबाण दवा तैयार हो गई. इसके गुणधर्म इस प्रकार हैं-
(1) हैजे के रोगी को दस-दस बूंद एक-एक चम्मच पानी में मिलाकर जब तक आराम न आए, तब तक आधे-आधे घंटे पश्चात पिलाएं.
(2) जिन लोगों को आवश्यकता से अधिक नींद आती हो, उनको पांच-पांच बूंद प्रात: व शाम पानी के साथ पिलाएं.
(3) बलगमी खांसी में रोगी को गुनगुने जल में पांच-पांच बून्द मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं. इन रोगियों के लिए यह दवा अमृत से कम नहीं.
(4) बदहजमी और भूख की कमी में पांच-पांच बूंद दोनों समय भोजन से पहले थोड़े पानी में मिलाकर पिलाएं gharelu nuskhe
(5) पचहत्तर ग्राम गर्म जल में दस बूंद मिलाकर पिलाने से आफरा दूर हो जाता है.
(6) मिर्गी, हिस्टीरिया और पागलपन के दौरे में तथा बेहोशी में इसकी कुछ बूंदें नाक कान में टपकाने से तुरन्त होश आ जाता है. यह दवाई जोरदार परन्तु हानिहीन है. जब तमाम दवाईयां बेकार सिद्ध हों तो इस ‘‘तुछ’’ सुखी मिर्च को अवसर दीजिए.
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यदि दाढ़ में बहुत दर्द हो रहा हो और किसी इलाज से बन्द न होता हो तो एक खूब पकी हुई लाल मिर्च लेकर उसके ऊपर का दांड और अन्दर के बीज निकालकर अलग करें. बाकी का भाग पानी के साथ पीस कर कपड़े में दबाकर रस निकाल लें.
इस रस को जिस ओर की दाढ़ दुखती हो उस ओर के कान में दो-तीन बूंद टपका देने से दाढ़ का दर्द तुरन्त दूर हो जाता है. मिर्च का रस कान में डालने से थोड़ी देर तक जलन होती है. यदि यह जलन पसन्द न हो तो थोड़ी-सी शक्कर पानी में डालकर इसकी दो-तीन बूंद कान में टपकाने से जलन मिट जाती है.
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हैजे के रोग में भी सूखी मिर्च आश्चर्यजनक प्रभाव दिखाती है. लाल मिर्च के बीज निकाल कर इसके छिलकों को खूब बारीक पीस कर कपड़े से छान लें और इस चूर्ण को मधु (शहद) के साथ घोट कर दो-दो रत्ती की गोलियां बना कर छांव में सुखाएं.
हैजे के रोगी को बिना किसी अनुमान के एक गोली वैसे ही निगलवा देनी चाहिए. जिस रोगी का शरीर ठण्डा पड़ गया हो, नाड़ी डूबती जा रही हो, ठण्डा पसीना चल रहा हो, इस दवा के सेवन से शरीर में दस मिनट में ठण्डा पसीना बन्द होकर गर्मी पैदा होने लगती है और नाड़ी अपनी साधारण गति पर आ जाती है.
ayurved ke gharelu nuskhe upchar
हैजे की गोली
मिर्च के औषधीय गुण- एक और आसान नुस्खा
एक बोतल पानी में अनबुझा चूना मिलाकर हिला दें और फिर रख दें. जब चूना नीचे बैठ जाए तो पानी को निथार कर दूसरी बोतल में डाल लें, साथ ही पांच बारीक सूखी मिर्च (बीज रहित) डाल दें. चौबीस घंटे फिल्टर कागज द्वारा अच्छी तरह छान कर रखें. हैजे के रोगी को एक-एक चम्मच यह दवाई अर्क पोदीना में मिलाकर आधे-आधे घंटे के पश्चात सेवन कराएं.
नोट : ऊपर दिये गए नुस्खे अनुभव और पुरातन ज्ञान पर आधारित है. इनको उपयोग में लेने से पहले किसी अनुभवी वैद्य से परामर्श लें. हिन्दी हाट पर यह जानकारी केवल सूचनार्थ है. कृपया उपयोग में लेने से पहले अपने विवेक का उपयोग करें.