Motivational Story: Youngest Author of India
10 साल का नन्हा उपन्यासकार हार्दिक उप्रेती
हार्दिक उप्रेती की प्रेरक कहानी के बारे में बता रहे हैं। दस वर्ष की जिस उम्र में अधिकांश बच्चे मोबाइल पर गेम खेलने और कार्टून चैनल देखने में अपना समय बिताते हैं, उस उम्र में इस बच्चे ने न सिर्फ एक उपन्यास लिख दिया, बल्कि इस उपन्यास को पाठक खूब पसंद भी कर रहे हैं।
इस बच्चे का नाम है हार्दिक उप्रेती Hardik Upreti। इस young author ने A Christmas Miracle नाम से उपन्यास लिखा है जिसे दिल्ली के Bluerose Publisher ने प्रकाशित किया है।
हार्दिक अभी दिल्ली में बीजीएस इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा छह का छात्र है। वह मूल रूप से उत्तराखण्ड के सुदूर जिले पिथौरागढ़ में हुड़ेती गांव का निवासी है।
हार्दिक ने चौथी कक्षा तक की पढ़ाई दुबई से की है जहां वह अपने पिता के साथ रहा करता था। हार्दिक ने 8 साल की उम्र में ही साहित्य में अपना रुझान दिखा दिया था और कहानियां लिखना शुरू कर दिया था।
वह अब तक 10 कहानियां भी लिख चुका है। बहुमुखी प्रतिभा का धनी हार्दिक यूट्यूब पर HNZ gaming Channel का संचालन करता है और फुटबॉल खेलने का भी शौक रखता है।
हार्दिक के पिता लोकेश उप्रेती पेशे से इंजीनियर हैं और एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में डायरेक्टर हैं। हार्दिंक को लेखन के लिए प्रेरित करने में उसके पिता की भी बहुत प्रेरणा है। उसकी मां रश्मि उप्रेती एक गृहिणी हैं।
A Christmas Miracle की कहानी
यह उपन्यास दो बच्चों Phil, Angelina और उनके माता-पिता के एक अमेरिकी परिवार के बारे में है। इस परिवार को शिकागो से करीब तीन हजार किलोमीटर दूर सेन फ्रांसिस्को रहने के लिए आना पड़ता है।
यहां यह परिवार एक पुराने मकान को अपना घर बनाता है, जिसमें कभी एक विकलांग बुजुर्ग रहा करता था। इस मकान के बेसमेंट में एक सीक्रेट रूम है, जहां उस बुजुर्ग ने एक पेंटिंग छुपाई थी।
पेंटिंग की कीमत है 88 मिलियन डॉलर। रविवार के एक दिन जब बच्चों के मम्मी-पापा घर से बाहर जाते हैं, तो कुछ चोर घर को खाली समझकर पेंटिंग चुराने के लिए घुस जाते हैं, लेकिन फिल और एंजेलिना घर पर ही हैं।
इन दोनों को भी सीक्रेट रूम के बारे में पता चल जाता है, लेकिन एंजेलिना उस सीक्रेट रूम में गलती से फंस जाती है। उपन्यास की पूरी कहानी इस बारे में है कि किस तरह फिल अपनी बहन एंजेलिना को बाहर निकालता है और पेंटिंग को चोरी होने से बचाता है।
क्रिसमस के चमत्कार का राज भी उपन्यास को पढ़ने के बाद ही खुलेगा। । 59 पेज के इस उपन्यास में 9 चेप्टर हैं। शीघ्र ही उसका दूसरा उपन्यास भी प्रकाशित होने वाला है।
Syed Arshad हैं प्रकाशक
पुस्तक का प्रकाशित करने वाले Bluerose Publisher के मालिक सैय्यद अरशद की कहानी भी कम प्रेरक नहीं है। पेशे से एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर सैय्यद अरशद ने 23 वर्ष की उम्र में अपनी पहली किताब If It’s Not Love लिखी।
जब वे इस किताब को प्रकाशित करवाने के लिए प्रकाशकों के पास गए तो हर जगह से उन्हें निराशा और उपेक्षा ही हाथ लगी। ऐसे में अरशद ने खुद का ही प्रकाशन शुरू करने की ठानी और bluerose publisher की शुरुआत की।
कड़ी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने अकेले शुरुआत करके अपनी पब्लिशिंग कम्पनी को खड़ा किया। आज उनकी टीम में 46 लोग काम कर रहे हैं और अपने जैसी परिस्थितियों का सामना कर चुके 160 लेखकों की पुस्तकों का वे प्रकाशन कर चुके हैं।
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