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ग्रेटा थनबर्ग की जीवनी – What is Greta Thunberg doing?
ग्रेटा थनबर्ग का नाम पूरी दुनिया के अखबारों और सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. 16 साल की इस लड़की ने पर्यावरण के मुद्दों को लेकर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है. ग्रेटा ने पूरी दुनिया के नेताओं को अपील की है कि वे सब मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिये साफ हवा और शुद्ध पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करें.
ग्रेटा थनबर्ग का प्रारंभिक जीवन -How old is Greta Thunberg?
ग्रेटा का जन्म 3 जनवरी, 2003 को When was Greta Thunberg born? स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ. Who are Greta Thunberg parents? उनकी मां मलेना अर्नमैन एक आपेरा सिंगर हैं और पिता स्वेंटे थनबर्ग एक अभिनेता हैं. उनके दादा ओलोफ थनबर्ग स्वीडन के जानेमाने अभिनेता और निर्देशक है.
ग्रेटा का बचपन बहुत मुश्किलों से गुजरा और कम उम्र में ही उन्हें एस्पर्जर सिन्ड्रोम, आब्सेसिव कम्प्लसिव डिसआर्डर और सेलेक्टिव म्यूटिज्म जैसी बिमारियों ने आ घेरा.
ग्रेटा ने इन बिमारियों का बखूबी सामना किया. आटिज्म को उन्होंने बीमारी मानने के बजाय अपनी ताकत बनाया और आज पूरी दुनिया उनकी इच्छा शक्ति का लोहा मानती है.
ग्रेटा थनबर्ग का पर्यावरण आंदोलन
ग्रेटा थनबर्ग ने अपने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि पहली बार उन्होंने 8 साल की उम्र में पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में सुना. उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि इतनी गंभीर समस्या पर दुनिया कोई कदम क्यों नहीं उठा रही है.
ग्रेटा जब 10 साल की हुई तब उन्होंने अपने परिवार के सामने शाकाहारी बनने की चुनौती रखी ताकि मांसाहर से होने वाल कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाई जा सके.
साथ ही उन्होंने अपने परिवार के सामने हवाई यात्रा ने करने की शर्त भी रखी. इस चुनौती को स्वीकार करने का मतलब था उनकी मां का एक आपेरा सिंगर के तौर पर अंतराष्ट्रीय करिअर खत्म हो जाता.
ग्रेटा के परिवार ने उनकी चुनौती को स्वीकार किया और तमाम मुश्किलों के बावजूद हवाई यात्रा और मांसाहार का त्याग कर दिया. इस परिवार की कहानी को 2018 में आई पुस्तक सीन्स फ्रॉम द हार्ट में प्रकाशित किया गया.
पर्यावरण संरक्षण के लिये स्कूल में की हड़ताल – Greta Thunberg started a school strike for Climate Change
ग्रेटा को लगा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनकी बात पर उस तरह ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जितना इस मुद्दे को लोगों को देना चाहिये. वे सोच रही थी कि ऐसा कौन सा तरीका अपनाये जिससे लोग पर्यावरण चुनौतियों को लेकर गंभीर हों.
इसी बीच फरवरी, 2018 में अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में एक बंदूक धारी ने एक स्कूल में फायरिंग कर 17 लोगों की जान ले ली. इस घटना से ग्रेटा बहुत प्रभावित हुई.
इस घटना के बाद अमेरिका में गल कंट्रोल पॉलिसी को लेकर बहुत से युवाओं ने स्कूल जाने से इंकार कर दिया. ग्रेटा को पहले पहल यहीं से यह विचार आया कि पर्यावरण के मुद्दों पर भी इस तरह का काम किया जा सकता है.
ग्रेटा ने स्वीडिश न्यूजपेपर में एक आर्टिकल भी लिखा. ग्रेटा ने अपने विचार व्यक्त करते हुये इस लेख में कहा कि मैं सुरक्षित महसूस करना चाहती हूं लेकिन मैं अपने को कैसे दिलासा दूं जबकि अभी हम पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं.
2018 में स्वीडन में लू चलने लगी और जंगल में आग की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई. 2018 की गर्मियों ने स्वीडन के 262 साल के गर्मियों के तापमान को तोड़ दिया और इसकी बड़ी वजह पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को माना गया.
इस घटना ने ग्रेटा थनबर्ग के धैर्य को तोड़ दिय और वे अपने स्कूल के बाहर हड़ताल पर बैठ गई. उन्होंने स्वीडन की सरकार से मांग कि की वे पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करें और कार्बन फुटप्रिंटस को लेकर गंभीर कदम उठाये गये.
उनकी हड़ताल तीन हफ्ते तक चली. ग्रेटा ने बयान दिया कि मैं ऐसा करने के लिये इसलिये मजबूर हुई क्योंकि आप बड़े लोगों ने हमारा भविष्य तबाह कर दिया है.
सोशल मीडिया ने ग्रेटा के इस विरोध और हड़ताल को हाथों हाथ लिया और सोशल मीडिया पर उनकी हड़ताल वायरल हो गई. लोग ग्रेटा के समर्थन में आने लगे. अखबारों और न्यूज चैनल्स पर ग्रेटा का चेहरा दिखाई देने लगा और उनके इस नेक काम में पूरे देश से लोग समर्थन की आवाज उठाने लगे.
तीन हफ्ते बाद ग्रेटा ने अपनी स्ट्राइक को हर शुक्रवार को करने का निर्णय लिया. उनकी हड़ताल से पूरी दुनिया के छात्र जुड़ने लगे और दिसम्बर 2018 तक 270 शहरों के 20 हजार से ज्यादा छात्र उनके समर्थन में हड़ताल में हिस्सा लेने लगे.
ग्रेटा को बच्चों के साथ ही कई संगठनों का समर्थन मिला. फरवरी, 2109 में 224 एकेडमीज ने ग्रेटा के समर्थन में एक ओपन लैटर लिखा. ग्रेटा को पूरी दुनिया में क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर बोलने के लिये आमंत्रित किया जाने लगा.
उन्हें क्लाइमेट एक्टिविस्ट बुलाया जाने लगा. पर्यावरण पर काम करने वाली ढेरो संस्थाओं ने उन्हें पुरस्कार प्रदान किये. उनका नाम प्रतिष्ठित नोबल शांति पुरस्कार के लिये प्रस्तावित किया गया.
Greta Thunberg’s emotional speech
ग्रेटा थनबर्ग ने 2019 में दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भी अपनी बात रखी और उनकी बातों को हाथों-हाथ लिया गया. अपने संघर्ष को दुनिया तक पहुंचाने के लिये ग्रेटा ने एक किताब भी लिखी है जिसका नाम दिया है – नो वन इज टू स्मॉल टू मेक अ डिफरेंस.
ग्रेटा थनबर्ग को अपने पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिये वर्ष 2019 का राइट लाइवलीहुड अवार्ड से सम्मानित किया गया. इस पुरस्कार का वैकल्पिक नोबेल भी कहा जाता है. इस लेख में पहले यह बताया गया है कि ग्रेटा नोबेल शांति पुरस्कार के लिये भी नामित हो चुकी है.
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