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क्या है निपाह वायरस लक्षण व बचाव के उपाय- All about Nipah virus
निपाह वायरस Nipah virus का इंफ़ेक्शन Infection इन्सेफेलाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुक़सान होता है. सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट के अनुसार ये एक खतरनाक और तेज़ी से उभरता वायरस है. इस वायरस का संबंध चमगादड़ Bats से है. इससे पहले इस वायरस Virus का वाहक एवं कारण सूअर Pig हुआ करते थे.
Nipah virus के चपेट में आये लोगों की अब तक हुई जांच से पता चला है कि ये वायरस चमगादड़ की वजह से है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है. इस वायरस की वजह से अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है. हाल ही में भारत के केरल में इसका दुष्प्रभाव देखने को मिला है.
क्या है निपाह वायरस ? Nipah Virus
निपाह वायरस सबसे पहले चमगादड़ों में फैलता है. इसके बाद यह फलों और इसके बाद इनके जरिए इंसानों तक पहुँचता है. 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह नामक जगह पर पहली बार इस वायरस का पता चला था. वहीं से इस वायरस को ‘निपाह’ नाम मिला है. निपाह वायरस को NiV इंफेक्शन भी कहा जाता है.
ये इंसान और जानवरों में तेज़ी से फैलने वाला वायरस है. डॉक्टरों और इस वायरस से बचने के उपाय खोज रहे वैज्ञानिकों के अनुसार ये वायरस तेजी से फैलता है और जानलेवा साबित हो रहा है.
मलेशिया में फैला था पहली बार ये वायरस
WHO की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार 1998 में मलेशिया के काम्पुंग सुंगई में पहली बार निपाह वायरस (NiV) इंफेक्शन का पता चला था. इस वायरस का नाम भी उस सुंगई निपाह गांव के नाम पर ही पड़ा जहां पहली बार इस वायरस का पता चला था.
भारत में पश्चिम बंगाल में पहली बार वायरस का पता चला
Nipah virus in India भारत में पहली बार निपाह वायरस की मौजूदगी साल 2001 और 2007 में पश्चिम बंगाल के बांग्लादेश से सटे हुए इलाक़ो में पाई गई थी. तब इस वायरस के लगभग 70 से अधिक लोगों प्रभावित हुए थे.
जिसमें 50 लोगों की मौत का कारण Nipah virus ही था. इसके अलावा साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग की जांच में भी निपाह वायरस की मौजूदगी पाई गई थी.
निपाह वायरस के लक्षण क्या? Nipah virus Symptoms
Nipah virus से ग्रसित होने पर सांस लेने में गंभीर दिक्कत होती है. दिमाग में सूजन और मांसपेशियों में दर्द होता है. अब तक के अध्ययन में पाया गया है की 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द की वजह बन सकता है.
दिमाग या सिर में तेज जलन और दर्द होता है. तेज बुखार आता है और चक्कर आना वे बेहोशी जैसी स्थित हो जाती है.और सही इलाज के अभाव में जान जाने का खतरा बना रहता है. 24-48 घंटों में इस वायरस से ग्रसित मरीज़ कोमा में पहुंच जाते है.
Nipah virus से कैसे बचें
मेडिकल साइंस के अनुसार फ्रूट बैट्स की वजह से यह बीमारी फैलती है. फ्रूट बैट्स फल खाने वाले चमगादड़ों को कहा जाता है. डॉक्टरों के अनुसार जब कोई इंसान या जानवर चमगादड़ों द्वारा छुए हुए या झूठे किए फलों और सब्जियों को खाते हैं तो उनमें भी यह वायरस फैल जाता है. फ्रूट बैट्स के मुंह का लार या इनका मूत्र इन फलों पर लग जाता है, जिसमें निपाह वायरस भी होता है.
इन फलों को खाने वाले व्यक्ति में निपाह वायरस प्रवेश कर जाता है. इसलिए निपाह वायरस के प्रकोप से बचने के लिए ऐसे फलों को खाने से बचना चाहिए और जमीन पर गिरे फल भी नहीं खाने चाहिए. खास कर ऐसे क्षेत्र जहां फलों और सब्जियां के आस-पास चमगादड़ों की मौजूदगी हो.
साथ ही इस खतरनाक वायरस से संक्रमित इंसानों, सूअर, चमगादड़ से दूरी बना के रखनी चाहिए ताकि यह वायरस कम से कम फैले. ताड़ी जैसे नशीले पदार्थों से बिल्कुल दूर रहें और सांस लेने में दिक्कत या सिर में जलन, तेज दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. निपाह वायरस की वजह से जिनकी मौत हुई हो, उनके शव से भी दूर रहना चाहिए .
क्या है निपाह वायरस का इलाज? Nipah Virus Treatment
मेडिकल साइंस में Nipah virus से निपटने के लिए फिलहाल किसी तरह का वैक्सीन नहीं है. लेकिन समय पर इस वायरस का पता चलने से साथ ही संबंधित दवाओं से इस बीमारी का इलाज किया जा रहा है.
केरल में निपाह वायरस का प्रकोप Nipah Virus in kerala
केरल के कोझिकोड जिले में Nipah virus की चपेट में आकर अब तक 12 लोगों की मौत हुई है. इस वायरस से पीड़ित 2 दर्जन से भी अधिक मरीजों को निगरानी में रखा गया है. केरल में लोगों के शरीर में इस वायरस के लक्षण पाए जाने के बाद मरीजों के ब्लड सैम्पल नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट पुणे भेजे गए जहां जांच रिपोर्ट में इस वायरस की पुष्टि हुई है.
प्रारम्भिक रिपोर्ट के अनुसार केरल में ताड़ी पीने या जमीन पर गिरे फल खाने से निपाह वायरस फैला है. साथ ही इस वायरस से संक्रमित लोगों के आस-पास के इलाकों में भारी मात्रा में चमगादड़ों की मौजूदगी भी पाई गई है.
भारत सरकार ने इस पूरे मामले में Nipah virus से जुड़ी और जानकारियाँ हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमों को संबंधित इलाकों में भेज दिया है ताकि लोगों को इस ख़तरनाक वायरस से बचाया जा सके.
निपाह वायरस मामले में इस बात का रखें खास ध्यान
Nipah virus के बार में जब तक पुष्ट न हो तब तक इसके दुष्प्रचार से बचना चाहिए. सोशल मीडिया पर फिर चाहे व्हाट्सअप, फेसबुक या अन्य कोई माध्यम हो सही जानकारी ही शेयर करनी चाहिए. समय से डॉक्टरी सलाह के साथ ही इस बीमारी में बचाव ही सही और सफल इलाज होता है.
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