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अमरनाथ यात्रा की तैयारी कैसे करें
यदि आप अमरनाथ की यात्रा करने की सोच रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें, जिससे आपकी अमरनाथ यात्रा ना केवल सुगम हो पायेगी, बल्कि अविस्मरणीय व आनन्दमय भी होगी।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अमरनाथ यात्रा की तारीख तय हो चुकी है। इस वर्ष एक जुलाई से 15 अगस्त, 2019 तक (amarnath yatra 2019 dates) अमरनाथ यात्रा की जा सकेगी।
यात्रा का रजिस्ट्रेशन व स्वास्थ्य प्रमाण पत्र amarnath yatra registration form and amarnath yatra medical form
सबसे पहले तो अमरनाथ जाने वाले यात्री अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें ताकि यात्रा करने में परेशानी ना हो। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए अमरनाथ साइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से फार्म डाउनलोड करने के पश्चात् डाॅक्टर से स्वास्थ्य जांच करवाकर स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें।
उसके बाद साइन बोर्ड द्वारा निर्धारित आपकी नजदीकी बैंक शाखा में 6 फोटो व आईडी प्रूफ के साथ संबंधित अधिकारी से मिलकर अपना फार्म जमा करायें व अपनी यात्रा की तारीख ले लें।
जो तारीख यात्रा की दी जायेगी उसी निर्धारित तारीख को ही यात्री अपनी यात्रा प्रारम्भ कर सकता है। जैसे कि बालटाल से अमरनाथ तक यात्रा के लिए आपको 25 जून की तारीख दी गई और आप 23 जून को ही बालटाल पहुच गये, तो आपको दो दिन बालटाल में ही गुजारने पडेंगे।
इसलिए आप अपना यात्रा को प्रोग्राम ऐसा बनायें कि आप का समय भी बच सके। बैंक में फार्म भरते समय यह भी सुनिश्चित कर लें कि आपको यात्रा बालटाल से करनी है या पहलगाम से।
यात्रा की तैयारी
यदि आपने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है या करवाने की सोच रहे हैं तो प्रतिदिन व्यायाम शुरू कर दे साथ ही अपने आस-पास किसी पहाड़ी क्षेत्र में पैदल चलने की आदत बना लें ताकि यात्रा के दौरान पहाड़ी क्षेत्र से गुजरते हुए बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शनों में आपको कोई शारीरिक समस्या उत्पन्न न हो।
यदि आप पहलगाम और बालटाल किसी एक रास्ते को चुनते हो तो तकरीबन 10 से 15 किमी अपना बैग लेकर पैदल चलना पड़ेेगा। इसलिए यदि आप अभी से ही व्यायाम और सुबह जल्दी उठकर दौड़ना शुरू कर दें तो यात्रा के समय आपको हाईबीपी, अनिन्द्रा, सांस लेने की तकलीफ, पैरों के दर्द जैसी अन्य शारीरिक समस्याओं से रू-ब-रू नहीं होना पड़ेगा।
कैसे करें तैयारी
क्या – क्या ले जायें
- पीछे टांकने वाला बैग (पिट्ठू बैग) जो कि वाटरप्रुफ हो तो और अच्छा होगा।
- विंडशीटर (पेंट-शर्ट वाला)
- छोटी छतरी
- यदि पुरुष हैं तो टी-शर्ट व लोवर का इस्तेमाल करे ताकि चलने में सुविधा रहे।
- महिलाएं भी यदि लोवर व टी-शर्ट पहने तो अच्छा होगा या फिर सलवार सूट को प्राथमिकता दें क्योंकि साड़ी में चलना मुश्किल होता है, इसलिए सलवार सूट व पेंट-शर्ट बेहतर हो सकते हैं।
- महिला व पुरूष दोनों ही अच्छे व उच्च गुणवत्ता के ग्रिप वाले जूतों का उपयोग करे, जिससे चलने में आसानी रहे।
- एक लाइटर व मोमबत्ती अपने साथ ले लें क्योंकि बर्फीला क्षेत्र होने के कारण माचिस चलाने में परेशानी होती है।
- कुछ गर्म कपड़े भी अपने साथ लें, लेकिन याद रहे वो ज्यादा वजनदार नहीं होने चाहिए।
- यदि आपको ज्यादा सर्दी लगती है तो टोपी व वाटरप्रुफ दस्ताने अपने साथ ले लें।
- खाने में चना, ड्राई फ्रूट्स व बिस्किट जैसी चीजें भी अपने साथ रख लें, जिससे कि भूख लगने पर अपने बैग से निकालकर खा भी सके और अपने साथियों को खिला भी सके।
- एक टार्च जिसमें अच्छी गुणवत्ता के सेल हो।
- हो सके तो एक केमरा भी अपने साथ ले जाए ताकि इस अविस्मरणीय यात्रा को केमरे में कैद किया जा सके।
- जरुरी व जीवन रक्षक दवाइयां।
- पासपोर्ट साइज के 5—10 फोटो, आईडी प्रूफ व साथ ही आईडी प्रूफ की फोटोकॉपी भी साथ रखे।
- एक फोटो लगा कर कार्ड भी बना ले जिस में आप का नाम पता वे मोबाइल नंबर लिखा हो इसे कार्ड में यात्री अपने घर का व घर के नजदीकी पुलिस स्टेशन का नंबर भी लिख के रखे इस कार्ड को यात्रा के समय डोरी से बांध कर अपने गले में लटका ले।
- बालटाल वे पहलगांव पहुंच करे वहा लगे सहायता काउंटर से एके सीम कार्ड इशू करवा ले क्योकि वहां पर आप का नेटवर्क काम नहीं करेगा इस सीम के लिए यात्री को पैसे देने पड़ेंगे।
किस रास्ते से करें अमरनाथ यात्रा amarnath yatra route
सबसे पहले आप जम्मू-कश्मीर पहुंच जायें उसके बाद बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शन के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं पहला जम्मू से बालटाल से दोमेल बरारी होते हुए लगभग 15-16 किमी पैदल चलने के बाद बाबा अमरननाथ बर्फानी के दर्शन कर सकते है।
जिन लोगों के पास समय का भाव है वो लोग इस रास्ते को चुन सकते हैं इस रास्ते में आप सुबह बालटाल से रवाना होकर शाम तक बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शन कर रात्रि विश्राम वहीं करे व दूसरे दिने सुबह पुनः रवाना होकर शाम तक बालटाल आ सकते हैं।
अमरनाथ जान के लिए दूसरा जो मुख्य मार्ग है वो जम्मू से पहलगांव से होते हुए चंदनबाडी जाता है। पहलगांव से चंदनबाडी तक यात्री लोकल टैक्सी का उपयोग कर सकते है जो कि 30 से 40 मिनिट में 13-14 किमी की दूरी को तय करते हुए चंदनबाड़ी पहुंचा देते है।
चंदनबाडी से पिस्सू टॉप होते हुआ आप अपनी अमरनाथ दर्शन के लिए पैदल यात्रा शुरू कर शेषनाग झील तक पहुंचेंगे जिसकी दूरी लगभग 15 किमी है।
रात्रि विश्राम वहीं आधार शिविर में करें और दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर आगे की यात्रा प्रारम्भ कर गणेश टाॅप की चढ़ाई को चढ़ते हुए फिर थोड़ा ढ़लान के मार्ग से होते हुए पंचतरणी पहुंचेंगे।
यदि आप दिन के ढाई से तीन बजे तक पंचतरणी पहुंच जाते है तो उसी दिन तकरीबन 6 किमी दूरी तय कर अमरनाथ गुफा तक पहुंच सकते हैं। यदि आप पंचतरणी में ही रात्रि विश्राम कर दूसरे दिन अपनी यात्रा प्रारम्भ करना चाहते है तो ऐसा भी कर सकते है।
हेलिकॉप्टर से भी जा सकते है अमरनाथ amarnath yatra By helicopter
यदि आप हेलिकॉप्टर से यात्रा करना चाहते हैं तो पहले से ही अपनी बुकिंग करले बालटाल व पहल गांव दोनो ही जगह से हेलिकॉप्टर की सेवाएं उपलब्ध है यहां से हेलीकॉप्टर उड़ान भर कर पंचतरणी पे उतारते हैं।
वहां से अमरनाथ गुफा की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है जिसे यात्री पैदल, घोड़े से या पालकी में भी कर सकते हैं। यदि आपको पैदल चलने में तकलीफ है तो यात्रा कि शुरूआत से ही एक घोड़ा, बग्गी किराए पर ले सकते है।
जो कि आपको अमरनाथ गुफा तक ले जायेंगे। घोड़ा,बग्गी दोनों ही रास्तों बालटाल व पहलगांव की शुरूआत मे ये साधन आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे।
भंडारे व चंदा
यात्रा की शुरू से अन्त तक भोले के भक्तों के लिए ढेरों भंडारे लगते है. जहां आपकों खाने पीने की सभी सुविधाएं मुफ्त उपलब्ध होतीे है. इन भंडारों में सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता हैै.
यहां पर सेवादार भी बड़े मन से भक्तों की सेवा करते हैं। कई संस्थाएं वर्षों से यहां भक्तो के लिए मुफ्त भंडारे की व्यवस्था करते है ऐसी संस्थानो को यात्री चंदा भी दे सकते है.
जयकारे
भूखे को अन्न प्यासे को पानी जय हो बाबा अमरनाथ बर्फानीबाबा तेरा रूप निराला अमरनाथ में डेरा डालाजय भोले जय भोले आते भी बोलो जाते भी बोलो जय भोले जय भोलेएक दो तीन चार अमरनाथ बाबा की जय जयकार
किन—किन बातों से बचें
सेना का सहयोग
अमरनाथ यात्रा के दौरान सेना के लोगो का बहुत सहयोग होता है। हर समस्या में वो आपके साथ खडें दिखाई देगे। इसलिए बीना किसी भय से सेना की सुरक्षा में अमरनाथ यात्रा का आनंद ले सकते है।
कई सालों से लगातार अमरनाथ यात्रा पे जाने वाले राजेश कुमावत ने अपना अनुभव साँझा करते हुए बताया की रास्ते में आप को जो भी सेना के जवान मिले उनका मुस्कुराकर अभिनन्दन करेंगे तो यात्रा का मजा ही कुछ और होगा क्योकि सेना के इन जवानो के बिना ये यात्रा इतनी आसान नहीं.
कौन नहीं कर सकता है अमरनाथ यात्रा
महत्वपूर्ण तथ्य
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