Biography of P.V. Sindhu पी.वी. सिंधु

पी.वी. सिंधु भारत की महिला बैडमिंटन खिलाड़ी है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से देश के लिए कई अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं. पी.वी. सिंधु को बैडमिंटन में साइना नेहवाल के बाद अंतराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां अर्जित करने वाली दूसरी महिला प्लेयर हैं. सिंधु को अपने बेहतरीन खेल की वजह से युवाओं में बहुत लोकप्रियता मिली है।

Short Biography of P. V. Sindhu पी.वी. सिंधु की संक्षिप्त जीवनी

पुसारला वेंकटा सिंधु (पीवी सिंधु) भारतीय पेशेवर बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. मौजूदा विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में नम्बर तीन सिंधु पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीता है.

वर्ष 2012 में महज 17 साल की उम्र में विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में शीर्ष 20 खिलाडि़यों में जगह बनाकर सिंधु ने सबको चौंका दिया था. इसके बाद सिंधु लगातार सफलता हासिल करती गईं.

साल 2013 में विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. इसके बाद सिंधु ने 2016 रियो डी जिनेरियो ओलंपिक में रजत पदक जीत कर इतिहास रचा था.

सायना नेहवाल के बाद सिंधु बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय बनीं. सायना ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. सिंधु ने ओलंपिक के बाद 2017 विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीत देश का मान बढ़ाया. विश्व चैम्पियनशिप में भी यह भारत का पहला रजत पदक था.

पी.वी. सिंधु का शुरुआती जीवन Early life of P. V. Sindhu

पी.वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद में हुआ था. उनके पिता पीवी रमन्ना और मां पी. विजया अंतरराष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं. सिंधु के पिता रमन्ना वॉलीबॉल में अपने विशेष योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं.

सिंधु के माता-पिता जहां वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे, वहीं उनकी बेटी ने बैडमिंटन को चुना. वर्ष 2001 में जब पुलेला गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप का खिताब जीता था, सिंधु ने तभी तय कर लिया था कि वह भी बड़ी होकर शटलर बनेंगी.

गोपीचंद से पे्ररित होकर आठ साल की उम्र से ही सिंधु ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. सिंधु ने बैडमिंटन की बेसिक ट्रेनिंग सिकंदराबाद स्थित रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल इंजीनियरिंग ग्राउंड पर महबूब अली की देखरेख में शुरू की थी.

लेकिन जल्द ही उन्होंने पुलेला गोपीचंद की हैदराबाद स्थित गोपीचंद एकेडमी में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था. सिंधु की अपने खेल के प्रति लगन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह रोजाना 56 किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर से गोपीचंद एकेडमी पहुंचती थीं.

उनकी इसी लगन को देखकर कोच गोपीचंद ने एक बार कहा था कि सिंधु के खेल का अहम हिस्सा उनका अंदाज और कभी हार न मानने की प्रवृति है. गोपीचंद एकेडमी से जुडऩे के साथ ही सिंधु का सुनहरा सफर शुरू हो गया था.

उन्होंने उस दौरान अंडर-10  आयु वर्ग में कई खिताब जीते. इस दौरान उन्होंने नेशनल स्कूल गेम्स ऑफ इंडिया में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही अंडर-13 व अंडर-12 एकल व युगल वर्ग में कई राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए.

पी.वी. सिंधु  का करियर Career Of P. V. Sindhu

राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचाने के बाद सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला पदक वर्ष 2009 में जीता. सिंधु ने कोलम्बो में आयोजित सबजूनियर एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत कर अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन सर्किट में कदम रखा.

इसके बाद 2010 में मैक्सिको में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टरफाइनल तक का सफर भी उन्होंने तय किया. 2010 यूबर कप में वह भारतीय महिला टीम की सदस्य भी थीं.

वर्ष 2012 में सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर अंडर-19 यूथ एशियन बैडमिंटन चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम किया. 2012 के चाइना मास्टर्स सुपर सीरीज में भारतीय खिलाड़ी ने बड़ा धमाका करते हुए लंदन ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता ली जुएरुई को पराजित कर सेमीफाइनल में जगह बनाई. हालांकि सिंधु सेमीफाइनल में हार गईं, लेकिन उन्होंने अपने इरादे जता दिए थे कि वह भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां अपने नाम करने में सक्षम हैं.

इसी साल सिंधु ने श्रीनगर में हुई सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप में शिरकत की, लेकिन फाइनल में उन्हें सयाली गोखले के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी. बाद में सिंधु ने खुलासा किया कि चाइना मास्टर्स के दौरान उन्हें घुटने में चोट लग गई थी, जिसे नजरअंदाज करते हुए वह जापान ओपन में और सीनियर नेशनल में खेलने उतर गईं. हालांकि फिर सतर्कता बरतते हुए सिंधु ने विश्व जूनियर चैम्पियनशिप से नाम वापस ले लिया था.

वर्ष 2013 की शुरुआत में ही सिंधु ने मलेशियन ओपन का खिताब हासिल कर वापसी की. यह उनका पहला ग्रांप्री गोल्ड खिताब था. यह साल भारतीय खिलाड़ी के लिए बेहद यादगार रहा, जब उन्होंने गत चैम्पियन चीन की वांग यिहान को हराकर विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के महिला एकल क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया.

18 वर्षीय और 10वीं वरीयता प्राप्त सिंधु ने फिर क्वार्टरफाइनल में चीन की वांग शिजियान को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाने के साथ ही कांस्य पदक भी पक्का कर लिया. सिंधु इसके साथ ही विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं. इसी साल सिंधु ने मकाउ ओपन ग्रांप्री गोल्ड खिताब जीता. वहीं उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया.

वर्ष 2014 में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिंधु सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल रहीं. हालांकि सेमीफाइनल में उन्हें हार झेलनी पड़ी, लेकिन सिंधु ने इसके तुरंत बाद हुई विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में लगातार दूसरा रजत पदक जीत कर इतिहास रच दिया. वह विश्व चैम्पियनशिप में लगातार दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं.

2015 में सिंधु अपने पहले सुपर सीरीज टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची. उन्होंने सेमीफाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन को हराकर डेनमार्क ओपन के फाइनल में जगह बनाई. फाइनल तक पहुंचने के लिए सिंधु ने शीर्ष वरीय खिलाडि़यों को हराया था. हालांकि उन्हें फाइनल में गत विजेता ली जुएरुई के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसी साल सिंधु ने मकाउ ओपन में अपना खिताब भी बरकरार रखा.

वर्ष 2016 में भी सिंधु की सफलता का सिलसिला जारी रहा. शुरुआत में ही मलेशिया मास्टर्स में जीत दर्ज कर उन्होंने रियो डी जिनेरियो ओलंपिक के लिए अपनी तैयारियों का परिचय दिया. रियो ओलंपिक में सिंधु ने शुरुआत से ही बेहद आक्रामक खेल दिखाते हुए क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई, जहां उनका सामना चीन की वांग यिहान से हुआ. सिंधु चीनी खिलाड़ी के सामने भी डिगी नहीं और सीधे सेटों में जीत दर्ज करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना देश के लिए पदक पक्का किया.

सिंधु ने फिर सेमीफाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को मात देकर फाइनल में जगह बनाई, जहां उनका सामना स्पेन की कैरोलिना मारिन से होना था. महिला एकल ओलंपिक फाइनल मुकाबला 85 मिनट तक चला, जिसमें कड़े संघर्ष में सिंधु को मारिन ने पराजित कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया. लेकिन इस मुकाबले के साथ ही सिंधु भारत की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं. उन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया.

साल 2017 में आयोजित इंडिया ओपन में सिंधु का सामना एक बार फिर ओलंपिक चैम्पियन कैरोलिना मालिन से हुआ, लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी ने उसे हराकर बदला चुकता कर लिया. इसके बाद स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में सिंधु, जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा से हारकर रजत पदक जीतने में सफल रहीं.

यह उनके करियर की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही.  आंध्र प्रदेश सरकार ने सिंधु को कृष्णा जिले का डिप्टी कलेक्टर मनोनीत किया. सिंधु ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की. वह दुबई में हुई वल्र्ड सुपर सीरीज फाइनल्स में रजत पदक जीतने में सफल रहीं.

पदक रिकॉर्ड

ओलंपिक खेल

2016 में रजत पदक
2020 में कांस्य पदक

बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप

2013 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक
2014 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक
2017 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक
2018 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक
2019 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक

एशियन गेम्स

2018 एशियन गेम्स में रजत पदक

एशियन चैंपियनशिप

2014 में कांस्य पदक

राष्ट्रमंडल खेल

2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक
2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक

साउथ एशियन गेम्स

2016 में रजत पदक

पी.वी. सिंधु  का निजी जीवन Personal life of P. V. Sindhu

जुलाई, 2013 से सिंधु भारत पैट्रोलियम के हैदराबाद ऑफिस में असिस्टेंट स्पोट्र्स मैनेजर के पद पर कार्यरत थीं. लेनिक रियो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें डिप्टी कलेक्टर के पद पर मनोनीत कर दिया.

पी.वी. सिंधु  को मिले सम्मान

2020 में पद्म भूषण
राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार, 2016
पद्म श्री पुरस्कार, 2015
अर्जुन अवार्ड, 2013

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