tableeghi jamaat in hindi क्या है तबलीगी जमात

कैसे काम करता है तबलीगी जमात?

तबलीगी जमात इस्लाम के प्रमुख समुदायों में से एक है. इसे आम बोलचाल में सिर्फ जमात ही कह कर बुलाया जाता है. यह दक्षिण एशिया में प्रमुख इस्लामिक संस्थाओं में से एक मानी जाती है, जिससे पूरी दुनिया में 25 से 30 करोड़ लोग जुड़े हुये हैं.

तबलीगी जमात प्रमुख रूप से इस्लाम के पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जीवन और इस्लाम के नियमों को जीवन में लागू करने के लिये प्रेरित करने का काम करता है.

वह इस्लाम के अनुयायियों को इस्लाम के नियमों के हिसाब से जीवन बिताने पर जोर देता है और इसके लिये वह बैठक और सम्मेलनों में धार्मिक उपदेशों से बातचीत के जरिये अपनी बात रखता है.

किसने स्थापित किया तबलीगी जमात? Tablighi jamaat history in hindi

तबलीगी जमात की स्थापना सन 1927 में मुहम्मद इलियास अल कांधलवी ने शुरू किया था. वे भारत के ही रहने वाले थे. मुहम्मद इलियास अल कांधलवी पर अपने गुरू राशिद अहमद गंगोही का बहुत असर था.

राशिद अहमद गंगोही भारत में देवबंद धारा के प्रमुख विद्वान और इस्लामिक स्कॉलर थे. इसी वजह से तबलीगी जमात को देवबंद आंदोलन का विस्तार भी माना जाता है.

इस काम की प्रेरणा अल कांधलवी को अपने दूसरे हज यात्रा के दौरान 1926 में मिली जब उन्हें महसूस हुआ कि भारतीय मुसलमान को इस्लाम के बारे में और अधिक जानने की जरूरत है. भारत लौटने के बाद उन्होंने यह महसूस किया कि भारतीय मुसलमान को धार्मिक नियमों की जानकारी देना जरूरी है.

इस काम को पूरा करने के लिये उन्होंने सहारनपुर स्थित मदरसा मजाहिर उलूम में अपने शिक्षण काम को छोड़ दिया और तबलीगी जमात की नींव डालने के लिये दिल्ली के निजामुद्दीन चले आये.

तबलीगी जमात के काम की शुरूआत Tablighi jamaat meaning in hindi

शुरूआत में उन्हें थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन जल्दी ही वह अपनी बात अपने लोगों को समझाने में सफल हुये. मोहम्मद इलियास ने नारा दिया कि मुसलमानो सच्चे मुसलमान बनों.

उन्होंने अपने प्रयासों से मस्जिदों की एक श्रृंखला तैयार की जिसमें धर्म प्रचारकों को तैयार करने का काम शुरू किया जो मुसलमानों को यह बताने का काम करने लगा कि एक सच्चा मुसलमान किस तरह अपना जीवन यापन करता है.

उनकी सफलता तब सामने आई जब 1941 में दिल्ली में हुये तबलीगी जमात के सम्मेलन में 25 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठे हो गये. इसके बाद तो जमात ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इससे बड़ी संख्या में मुसलमान जुड़ते चले गये. आज जमात का प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया के साथ दुनिया के 180 देशों तक है.

इसके अलावा इसे 20वीं सदी के इस्लाम के सबसे प्रभावशाली संगठनों में से एक माना जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर मेंं इस संगठन को बहुत ज्यादा जनसमर्थन प्राप्त है।

जमात के उसूल और काम करने का तरीका tablighi jamaat hindi mein

तबलीगी जमात के छह उसूल है, जिन्हें सिफत भी कहा जाता है. इसमें कलिमा, सलात, इक्राम—ए—मुस्लिम, इख्लास ए निय्यत, दावत—ओ—तबलीग कहा जाता है. जमात के लोग इन छह उसूलो का पालन करते हैं. जमात अपना धर्म प्रचार करने के लिये जमात निकालने का काम करती है.

जमात निकालने के लिये 10 या ज्यादा लोगों का एक समूह बनाया जाता है जो मस्जिदों मे जाकर धार्मिक नियमों का पालन करने के लिये लोगों को प्रेरित करती है. इन समूहों के काम करने के दिन निर्धारित होते हैं और 3 दिन से लेकर 40 दिन तक की जमाते निकालने का काम किया जाता है.

इसके अलावा तबलीग का एक बड़ा आयोजन साल में एक बार किया जाता है. यह एक तरह का सम्मेलन होता है जिसमें उस जमात से जुड़े क्षेत्र के लोगों के साथ ही जमात के प्रमुख लोग आते हैं. इस आयोजन को इज्तिमा या इज्तेमा कहा जाता है.

क्या होता है मरकज?

मरकज एक तरह से तबलीगी जमात का मुख्यालय होता है, जहां से जमात निकालने के लिये लोगों का समूह बनाया जाता है और जमात के आयोजनों के लिये संगठन के प्रमुख लोग विचार—विमर्श करते हैं. दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का केन्द्र यानी मुख्य मरकज है. जहां दुनिया भर से जमाती आते हैं और धर्म प्रचार के लिये प्राप्त निर्देशों का पालन करते हैं.

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