ओम बन्ना Om Banna’s Bullet Temple In Hindi

Om Banna’s Bullet Temple In Hindi ओम बन्ना

ओम बन्ना Om Banna का देवरा विश्व में एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां लोग मोटरसाइकिल की पूजा अर्चना कर अपना शीश नवाते हैं. ओम बना का देवरा (स्थान) राजस्थान Rajasthan के जोधपुर-पाली हाईवे के बीच चोटिला ग्राम में है, जो कि पाली Pali शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर है. 

बड़ी संख्या में श्रद्धालु ओम बना की बुलेट Bullet मोटरसाइकिल की पूजा के लिए आते हैं. स्थानीय लोगो का कहना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से ओम बना की पूजा करता है, ओम बना उसकी सभी मनोकामनायें पूरी करते हैं. इसके अनेक जीवंत उदाहरण और किस्से प्रचलित हैं.

क्यों करते हैं मोटरसाइकिल की पूजा ओम बन्ना की मौत के बाद वे  उनकी दादी समंदर कवर के सपने में आये और दर्शन देते हुए कहा कि मैं आपका पोता झुझार हो गया हूं. जिस जगह हादसे में मेरी मौत हुई थी, वहां मेरा थान बनवाकर मूर्ति स्थापित करवा दो और मेरी बुलेट मोटरसाइकिल को मेरे स्थान के पास रखवा देना.

मैं दीन-दुखियों के दुख दूर करने के लिए ही इस संसार में आया हूं. शुभ दिन देख कर मेरे स्थान की प्राण प्रतिष्ठा कर देना फिर देखना मेरे धाम पर कितने चमत्कार होते है.

ओम बन्ना की दादी सा सारी रात सो ना सकीं. क्योंकि मोटरसाइकिल के अपने आप एक्सीडेंट वाली जगह पर पहुंचने की घटना का उन्हें पहले से ही पता था और फिर पोते का सपने में आ कर स्थान बनाने वाली बात कहने से उनका मन और व्याकुल हो उठा.

अगली सुबह उन्होंने ओम बना के पिता जोगसिंह को सारा वृतांत सुनाया और पोते की मूर्ति बनवा कर एक्सीडेंट वाली जगह पर स्थापित करने के लिये कहा. अपनी माँ के आदेशों की कभी अवहेलना ना करने वाले जोगसिंह ने काम प्रारंभ कर हजारों लोगों की उपस्थिति में मार्गशीर्ष माह की कृष्ण अष्टमी के दिन मूर्ति की स्थापना की.

 

साथ ही ओम बन्ना की मोटरसाइकिल को भी सभी धार्मिक अनुष्ठानों के बाद उनकी मूर्ति के पास रखवा दिया. तब से लेकर आज तक ओम बन्ना के स्थान पर अखंड ज्योत जगमगा रही है. और लाखों दुखी लोगों का दुखड़ा बन्ना और उनकी मोटरसाइकिल की पूजा करने से दूर हो रहा है.

कहते हैं जिस तारीख और समय पर ओम बन्ना का स्वर्गवास हुआ था. हर साल ठीक उसी दिन और समय अपनी जगह पर खड़ी मोटरसाइकिल का इन्जन खुद ब खुद कुछ समय के लिए शुरु हो जाता है.

ग्रामीणों का मानना है कि पहले बड़ाई ग्राम के किनारे जहां अब ओम बन्ना का स्थान है, काफी एक्सीडेंट हुआ करते थे पर ओम बन्ना के यहाँ बिराजने के बाद इस जगह उस दिन के बाद से आज तक कोई बड़ा एक्सीडेंट यहां नहीं हुआ.

उनका मानना है कि ओम बन्ना और उनकी मोटरसाइकिल Motorcycle चमत्कारी तरीके से यहां होने वाले हादसों को टाल देती हैं और ओम बन्ना यहां के अराध्य होने के कारण अब भोमिया जी का दर्जा पा चुके हैं. इसलिए ही लोग ओम बन्ना और मोटरसाइकिल की पूजा करते हैं.

कैसे करें मोटरसाइकिल की पूजा

ओम बन्ना की 350 सीसी की रॉयल एनफ़ील्ड 350cc Royal Enfield बुलेट शीशे के एक आवरण में पूजास्थल पर रखी गई है. जिसका नम्बर RNJ 7773 की हेडलाइट पर माल्यार्पण कर टीका लगाने के बाद पहिये के पास घी का दीपक या धुप-बत्ती कर ओम बन्ना की आरती करने के साथ ही मोटरसाइकिल के पास ही उनका देवरा(स्थान)बना हुआ है.

वहां भी धूप अगरबत्ती कर आरती करने से काम सिद्ध होते हैं. प्रतिदिन यहां सैकड़ों श्रद्धालु मोटरसाइकिल की पूजा के लिए आते हैं. श्रद्धालु बन्ना के फूल, माला, नारियल, मिठाई और दारू पूरी श्रद्धा के साथ चढ़ावे में चढ़ाते हैं.  

हर बरस साल में एक दिन लगता है मोटरसाइकिल की पूजा के लिए मेला 

हर साल 2 दिसम्बर यानी हादसे वाली रात को इस स्थान पर मोटरसाइकिल की पूजा के साथ ही भजन कीर्तन का आयोजन होता है. श्रद्धालुओं की मानें तो कीर्तन के दौरान बन्ना ना होते हुए भी अपनी उपस्थिति का अहसास करवाते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि हादसे वाली रात मोटरसाइकिल बिना सवार के थाने के चारों और चक्कर लगा कर अपनी श्रद्धा ओम बन्ना को अर्पित करती है. ग्रामीणों और बन्ना के भक्त कहते है कि ओम बन्ना की पवित्र आत्मा लोगों को अपनी मौजूदगी का अहसास सदैव कराती है. बन्ना के आशीर्वाद से यहां हादसे नहीं होते हैं और उनके प्रत्यक्ष पर्चे और महिमा दूर-दूर तक फैली है. 

कौन थे ओम बन्ना Om Banna

ओम बन्ना का पूरा नाम ओम सिंह राठौर Om Singh Rathore था. उनका जन्म 5 मई 1954 के दिन ठाकुर जोग सिंह और उर्मिला कंवर के पुत्र के रूप में राजस्थान के पाली और जोधपुर के मध्य स्थित चोटिला ग्राम में हुआ था.

ओम बन्ना पातावत राठौड़ वंश के राजपूत थे. उनकी मौत 2 दिसम्बर 1988 को सड़क हादसे में हुई थी. ओम बन्ना को बचपन से ही मोटरसाइकिल के साथ खेलने का और बड़े हो कर चलाने का शौक था. शायद यही कारण है कि आज भी उनका नाता अपनी मोटरसाइकिल से जुड़ा है.

कैसे हुई ओम बना की मौत

ओम बन्ना एक शाम जब अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से अपने घर चोटिल ग्राम को जा रहे थे तो अँधेरा ज्यादा होने के कारण बड़ाई ग्राम के सड़क किनारे उनकी मोटरसाइकिल पेड़ से टकरा गयी और मोके पे ही उनकी मौत हो गई.

हादसे की खबर के बाद जब पुलिस चोटिला ग्राम पहुंची तो उन्होंने आवश्यक कार्रवाई के बाद ओम बन्ना का शव परिजनों को सौंप दिया और आगे की कार्रवाई के लिए  मोटरसाइकिल को नजदीकी चोटिला पुलिस थाने में ले जा कर खड़ी कर दी. पर अगले दिन ओम बन्ना की मोटरसाइकिल अपने आप ही उसी जगह पहुंच गयी जिस जगह ओम बन्ना ने अंतिम सास ली थी.

पुलिस ने दोबारा मोटरसाइकिल को थाने के एक कमरे में बंद कर बड़ा ताला लगा कर चाबी थानाधिकारी ने अपने पास रख ली परन्तु अगले दिन फिर से मोटर साइकिल और ताला हादसे वाली जगह पर ही मिला.  फिर पुलिस ने कई तरीके अपनाये पर हर बार अगले दिन मोटर साइकिल हादसे वाली जगह ही मिलती.

ग्रामीणों का मानना था कि  उन्होंने ओम बन्ना की मोटर साइकिल को बिना चालक के ही हाईवे पर दौड़ते हुए देखा है. अंततः ग्रामीणों की ओम बन्ना और उनकी  मोटर साइकिल में आस्था को देखते हुए और ओम बन्ना के पिता की समझाईश के बाद पुलिस ने मोटरसाइकिल को हादसा वाले स्थान पे रखने की इजाज़त दे दी. कहते हैं आज भी चोटिला थाना में जो भी नया पुलिस वाला आता है वो पहले बन्ना के ढोक जरूर लगाता है.

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कैसे पहुंचें ओम बना के स्थान पर

बन्ना का देवरा जोधपुर -पाली स्टेट हाईवे संख्या 65 पे है. ओम बन्ना के दर्शन और पूजा के लिए देश के सभी हिस्सों से रेल बस और फ्लाइट से ओम बना के स्थान तक पहुंच जा सकता है.

जोधपुर एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद निजी साधन और बस व ट्रेन से यदि आप आ रहे हैं तो पाली और जोधपुर दोनों में से किसी भी रेलवे स्टेशन तक पहुंच कर बन्ना के स्थान तक पंहुचा जा सकता है.

जोधपुर से पाली और पाली से जोधपुर जाने वाली सभी बस ओम बन्ना के स्थान के सामने से ही गुजरती हैं. साथ ही निजी साधनों से भी इस स्थान तक पहुंचा जा सकता है. 

ओम बना के पर्चे

जोधपुर शहर का एक व्यक्ति ट्रक चला कर अपना गुजर बसर किया करता था. हर दिन वह अपने ट्रक में पत्थर डालकर जोधपुर से पाली आता और शाम को शाम होते-होते ट्रक खाली कर वापस जोधपुर लौट
जाता. सालों से उसका यही नियम था. 

एक शाम जब वो पाली से जोधपुर के लिए रवाना हुआ और रास्ते में ओम बन्ना के धाम के पास से गुजर रहा था. तभी उस रोड के किनारे वहां खड़े एक तेजस्वी व्यक्ति ने हाथ का इशारा कर ट्रक रूकवाया और उससे जोधपुर ले चलने का आग्रह किया. ट्रक वाला उस व्यक्ति को अपने ट्रक में बिठा कर जोधपुर के लिए रवाना हो गया.

ट्रक वाले को पता नहीं था कि आज उसके ट्रक में बैठा व्यक्ति साधारण नहीं बल्कि स्वयं झुंझार ओम बन्ना है. रास्ते में ओम बन्ना ट्रक वाले से बात करने लगे. ओम बन्ना ने ट्रक वाले को कहा अरे भाई मुझे भी ईंट डलवानी है. तुम डाल दाेगे क्या ? ट्रक वाले ने कहा डाल दूंगा. मुझे आप बता देना किस जगह पर डालनी है.

ओम बन्ना ने कहा भाई जिस स्थान से मैं तुम्हारे साथ गाड़ी में चढ़ा था. वहां पर ही तुम ईंट का ट्रक खाली कर देना और दोनों बातें  करते -करते जोधपुर पहुंच गए. ओम बन्ना ने ट्रक रुकवाया और उतर गए. दूसरे दिन ट्रक वाला अपने ट्रक में ईंट  भरकर जोधपुर से पाली  की तरफ रवाना हो गया.

ओम बन्ना के स्थान पर आकर उसने वहां  ईंट उतार दी. वहां उपस्थित लोगों ने ट्रक वाले से पूछा, अरे भाई तुम्हें ईंट लाने के लिए किसने कहा?  उसका नाम बताओ क्योंकि हमारे यहां तो किसी ने ईंट नहीं मंगाई. ट्रक वाला इधर-उधर देखने लग गया.

तब उसकी नजर ओम बन्ना के फोटो पर पड़ी तो उसने तपाक से कहा, कल यह भाई साहब यही से  मेरे साथ जोधपुर गए थे और उन्होंने ही मुझे यहाँ ईंट डालने के लिए कहा था. इतना सुनते ही सभी ग्रामीण चकित रह गए. एक व्यक्ति बोला यह कैसे हो सकता है.

इनका तो स्वर्गवास हुए कई वर्ष हो गए हैं. ये कैसे आदेश दे सकते हैं ट्रक वाले ने कहा आप मानो या ना मानो मुझे इन्होंने ही यहां पर ईंट डालने को कहा था. अब सभी अचंभित हो कर कहने लगे यह तो चमत्कार हो गया. भाई तेरा भाग्य खुल गया है.

स्वयं ओम बन्ना तेरे साथ ट्रक में बैठ कर जोधपुर गए थे. कहते हैं ओम बन्ना की कृपा से आज उस ट्रक वाले के पास कई ट्रक हो गए हैं और उसका कारोबार बुलंदियां छू रहा है. ओम बन्ना का चमत्कार ही था कि वह ट्रक वाला आज सुख पूर्वक जीवन जी रहा है. 

इसी तरह रामदेवरा जाते वक्त रास्ते में एक व्यक्ति ने ओम बन्ना के स्थान पर रुक कर सरपंच बनने की दुआ मांगी थी जो उसकी पूरी हुई. इसके अलावा भाकरवास की बेटी की गोद भरने का पर्चा, कोलपुर, गोडवाड़ और पाली जोधपुर के साथ उनके लोगों को बन्ना ने पर्चा दिया है और उन सभी भक्तों के सभी कार्य सिद्ध किये हैं.

ओम बन्ना के भजन Om Banna Bhajan

ओम बन्ना की आरती Om Banna aarti

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