Table of Contents
दिवाली पर कैसे करें महा लक्ष्मी जी की पूजा?
दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा पूरे भारत में की जाती है. हिंदी माह के अनुसार कार्तिक बदी अमावस्या को हर व्यक्ति अपने रीति-रिवाज के अनुसार श्री महालक्ष्मी जी को का पूजन शुभ लग्न में करते हैं. घरों में रोशनी की जाती है. छोटे बड़ों को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं और परिवार सभी सदस्य एक साथ त्यौहार मनाते हैं. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां सुंदर वस्त्र आभूषण सुहाग की सारी चीजों से सज—धज कर पूजा में हिस्सा लेती हैं. लोग दिवाली के 10—15 दिन पहले से ही सारे घर की सफाई कर लें. गंदगी दूर कर के काम न आने वाली सारी टूटी-फूटी चीजें निकाल दी जाती है. घर में नई वस्तुएं काम में लेना शुरु किया जाता है.
कैसे करें लक्ष्मी जी की पूजा की शुरूआत?
दीपावली के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर श्री महालक्ष्मी जी का व्रत करने का संकल्प लें. सारा दिन उपवास रखें शाम के समय एक बार फिर से घर की दोबारा साफ सफाई करके अपने घर के रीति-रिवाजों से के अनुसार रसोई बनाने में चावल, दाल, हलवा, पूरी, कचोरी पापड़ मीठा और नमकीन व्यंजन शुद्धता से तैयार करें और फिर से नहा धो के सुंदर में नए वस्त्र आभूषण पहनकर गणेश जी और लक्ष्मी जी तथा अपने इष्टदेव और पितर आदि सब के लिए अलग-अलग बनाई हुई रसोई में से हर एक पदार्थ को थोड़ा—थोड़ा निकाल ले. सब के लिए अर्पण करने की भावना करके पूजा में रख दें. फिर महालक्ष्मी जी की पूजा करें उसके बाद ही भोजन करें.
लक्ष्मी जी की पूजा में ले यह सामग्री काम
पूजा करने के लिए मां लक्ष्मी जी तस्वीर, लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, सफेद कपड़ा, फल, फूल, माला, रोली, मोली, कपूर और यज्ञ सामग्री। साथ ही घी का दिया, तिल्ली के तेल का दिया, एक बड़ा दीपक, बड़ी बत्ती, दो गन्ने, पूजन के लिए कुश की चटाई और व्यापारी वर्ग को अपने बही खाते और अन्य गृहस्थों को घर के खर्च की डायरी या कॉपी पेन के साथ पूजा में रखनी चाहिए. साथ ही सोने—चांदी के आभूषण, चांदी के सिक्के, कांसे की थाली, चावल, जोत करके भोग लगाने के लिए कंडा, एक शुद्ध जल का भरा हुआ लोटा, पान का पत्ता डंठल सहित और पांच फल पूजा में रखने चाहिए.
लक्ष्मी पूजा का स्थान घर का आग्नेय कोण होना चाहिए. उस जगह को अच्छी तरह से धो कर शुद्ध कर देना चाहिए. फिर लक्ष्मी जी का स्थान बनाना चाहिए. लक्ष्मी जी के आगे चौकी लगावे, जिस पर दीवार के सहारे गणेश जी तथा लक्ष्मी जी का चित्र लगाया जाता है, उसके आगे दीपक और पूजन की थाली रखें. सारी सामग्री पहले से ही तैयार रखें सबसे पहले बड़ा दिया घी से पूरा भर कर प्रज्वलित करें. इसके बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी को शुद्ध जल के छींटे देकर मोली अर्पण करें और मंत्र उच्चारित करें— वस्त्रम समर्पयामी। अक्षत चावल चढ़ाएं और मंत्र पढ़े— अक्षत समर्पयामी। फल फूल चढ़ाएं, माला पहनाए धूप और अगरबत्ती करें— मंत्र उच्चारित नैवेद्यम समर्पयामी। थाली में स्वास्तिक का निशान बनाएं। थोड़े चावल अर्पित करें।
दीपावली लक्ष्मी पूजा व्रत कथा
एक साहूकार की बहू प्रतिदिन मंदिर जाती. पीपल का पेड़ सिंचती और घर आकर गणेश जी का पूजन करती. एक दिन गणेश जी उसके सपने में आए और बोले मांगो क्या मांगना चाहती हो. उसने कहा कि रिद्धि—सिद्धि देव अटूट भंडार भरो. गणेश जी बोले की कार्तिक में दिवाली पर घर को खूब झाड़—बुहार कर साफ सुथरा करना.
धोने पोंछना और पीपल के नीचे बैठकर भगवान की माला फेरना. रात को बढ़िया रसोई बना कर लक्ष्मी जी की पूजा करना. दीपक जलाकर रोशनी करना और लक्ष्मी जी का इंतजार करना साहूकार के बेटे की बहू ने वैसा ही किया. जैसा कि गणेश जी ने बताया था. रात को लक्ष्मी जी बिल्ली का वेश बनाकर आईं. आ कर रसोई का भोग लगाया रोशनी देखी और लक्ष्मी जी बोली तुम क्या चाहती हो.
साहूकार के बेटे की बहू बोली पाटे पर विराजिए. लक्ष्मी जी बोली मैं आज तक किसी के पाटे पर नहीं विराजी. मैं तो आती ही आती जाती ही रहती हूं पर सेठ की बहु ने कहा मेरे यहां तो बैठना ही होगा. मेरे माता—पिता, भाई— भतीजे, मेरे बेटा—बेटी क्या जानेंगे कि इस के यहां लक्ष्मी जी आई थी. इसलिए 100 पीढ़ियों तक मेरा यहां रूकें. लक्ष्मी जी बोली इतना समय तो बहुत ज्यादा है. कम करें तब वह बोली 50 पीढ़ी फिर बोली 25 पीढ़ी और लक्ष्मी जी नहीं मानी तब वह बोली मैं बाहर जाती हूं और ना आऊं तब तक यहां रहना. ऐसा कहके बहु बाहर जाने के बहाने अपने पीहर जाकर रहने लगी और वापस घर आई ही नहीं और लक्ष्मी जी भी गई नहीं.
लक्ष्मी जी की आरती