Table of Contents
काजीरंगा नेशनल पार्क के बारे में जानकारी
काजीरंगा भारत के सबसे चर्चित उद्यानों में से एक है. यहां के गैंडे पूरी दुनिया में मशहूर है और दुनिया भर से सैलानी यहां आकर वन्य जीव का आनंद उठाते हैं. काजीरंगा पूरी दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों के लिए हमेशा से ही आकर्षण का विषय रहा है.
काजीरंगा नेशनल पार्क कहां है?
आपको पता है, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है? काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के असम राज्य के नंगाव और गोलाघाट जिले के कालियाबोर और बोकाखाट उपखण्ड में फैला हुआ है. असम अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में असम सबसे बड़ा है. काजीरंगा अब इस राज्य की पहचान बन चुका है.
काजीरंगा पार्क के बारे में जानकारी- kaziranga national park project
काजीरंगा पाक्र करीब 40 किलोमीटर लंबाई और 13 किलोमीटर चैड़ाई में फैला हुआ है. इसका क्षेत्रफल 378 वर्ग किलोमीटर है. ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित होने के कारण इस राष्ट्रीय उद्यान का कुछ हिस्सा हर साल बाढ़ में बह जाता है. अब तक करीब 51 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा बाढ़ के दौरान बह चुका है.
अगर इस हिस्से को भी जोड़ दे तो काजीरंगा का विस्तार 429 वर्ग किलोमीटर में है. ब्रह्मपुत्र के अलावा पार्क में दिफलू और धनसिरी नदियां बहती है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं. यहां ब्रह्मपुत्र की वजह से तालाबों की भरमार है जो वन्य जीवन के साथ ही जंगली जलीय जीवों के लिए इस उद्यान को एक आदर्श जगह बना देती है.
काजीरंगा का वन्य जीवन
काजीरंगा का वन्य जीवन बहुत समृद्ध है और बायोडाइवर्सिटी के मामले में यह भारत के बेहतरीन उद्यानों में से एक है. यह इंडोमलाया इकोजोन का हिस्सा है. यहा प्रमुख रूप से एक सिंग वाला भारतीय गैंडा पाया जाता है.
इसके अलावा यहां हाथी, हिरन, जंगली भैंसा, जंगली सुअर, पैंगोलीन, असमी मकाक बंदर, चीता, काला भालू, लोमड़ी और सियार पाये जाते हैं. काजीरंगा में बाघ भी पाये जाते थे लेकिन 2001 के बाद हुए वन्य जीव गणना में उनकी गिनती शून्य कर दी गई है. यहां बड़ी संख्या में कई तरह के सांप और छिपकलियां भी पाई जाती है.
काजीरंगा की पहचान है भारतीय गैंडा
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की पहचान है, एक सींग वाला भारतीय गैंडा. अंग्रेजी भाषा में इसे कहा जाता है. इसे लुप्त होती प्रजातियों में शामिल किया गया है और इसके सींग के लिए इसका शिकार किया जाता है. इसका वजन तीन टन तक हो सकता है. यह पृथ्वी पर पाया जाने वाला चैथा सबसे बड़ा स्तनपाई है.
पहले यह गैंडे भारत से लेकर नेपाल की तराई तक पाये जाते थे लेकिन अब यह यहीं तक सिमट कर रह गये हैं. इसकी सींग की लम्बाई 30 सेमी तक हो सकती है. अभी पूरे भारत में 3000 एक सींग वाले गैंडे है, जिनमें से 2 हजार सिर्फ काजीरंगा में पाये जाते हैं. देखने में मोटे और थुलथुले लगने वाले ये प्राणी 55 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकते हैं.
इनके देखने की शक्ति बहुत कमजोर होती है, जिसकी भरपाई यह अपने तीव्र श्रवण शक्ति से कर लेते हैं. भारतीय गैंण्डे अपने भाई सफेद अफ्रीकी गैंडो के बराबर ही बड़े होते हैं. उनमें फर्क सिर्फ सींग का होता है. भारतीय गैंडे की एक ही सींग होती है जबकि अफ्रीकी गैण्डों की दो सींगे होती हैं. ये सींग मादा और नर दोनों में पाये जाते हैं जो उम्र के साथ बढ़ते जाते है. मादाओं का आकार नर की तुलना में कम होता है. इनकी उम्र 40 से 45 साल तक होती है.
बर्ड वाॅचर्स के लिए स्वर्ग है काजीरंगा
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि काजीरंगा सिर्फ अपने जानवरों के लिए ही नहीं बल्कि अपने पक्षियों के लिए भी जाना जाता है. यहां बड़ी संख्या में बर्ड लवर्स आते हैं. यहां आपको आसानी से ब्लू.ब्रेस्टेड क्वाइल कोटर्निक्स चिनेंसिसए जापानी बटेरए लाल गैलसए कलिज तीतरए ग्रे मयूर तीतरए व्हिस्लिंग.डकए व्हाइट.फ्रंटेड गोजए ग्रीलागए गूज बार.हेडेड गूस जैसे हजारो किस्म के पक्षी देखने को मिलेंगे.
काजीरंगा का नाम क्यों पड़ा?
काजीरंगा नेशनल पार्क का नाम पड़ने के पीछे कई कहानियां प्रचलित है. एक मान्यता के अनुसार यहां की स्थानीय करबी भाषा मंे काजी का मतलब बकरी होता है और रंगाई का मतलब लाल होता है, यानी लाल बकरी वाला स्थान. दरअसल यहां लाल रंग के हिरण होते हैं. उन्हीं के कारण इस स्थान को काजीरंगाई या काजीरंगा कहा जाने लगा.
एक दूसरी मान्यता के अनुसार इस स्थान पर एक बार महान वैष्णव संत माधबदेव और शंकरदेब ने अपना आसन लगाया. उनके पास काजी और रंगाई नाम के पति-पत्नी आये. उनकी कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने दोनो संतो से आशीर्वाद के तौर पर मांगा कि उनका नाम लोग याद रखें. संतो ने उन्हें यहां एक तालाब खुदवाने का आदेश दिया. काजी और रंगाई ने यहां एक तालाब खुदवाया जिसका नाम नरमोरा बील रखा गया.
करबी भाषा में बील का मतलब तालाब होता है. कुछ समय बाद अहोम राजा स्वर्ग देव प्रताप सिंह यहां से गुजरे तो उन्हें लोगो ने इस तालाब की मछली खाने को दी. वह मछली बहुत स्वादिष्ट थी. राजा ने जब तालाब के बारे में जानकारी प्राप्त की तो उनहें काजी और रंगाई के बारे में बताया गया. तब राजा ने आदेश दिया की अब इस स्थान को काजीरंगा के नाम से जाना जायेगा.
एक तीसरी मान्यता के अनुसार यहां इस स्थान पर दो गांव थे. इसमे एक गांव की लड़की जिसका नाम रंगाई था, उसे दूसरे गांव के लड़के काजी से प्रेम हो गया लेकिन गांव वालों को उनका प्रेम मंजूर नहीं था. गांव वालो के डर से वह जोड़ा कहीं गायब हो गया और तभी से उनकी याद में इस जगह को काजीरंगा कहा जाने लगा.
कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि काजीरंगा शब्द का मतलब करबी भाषा के शब्द समूह काजी-ए-रंगाई से लिया जा सकता है, जिसका मतलब होता है रंगाई का गांव. करबी भाषा में छोटीलड़की को प्रेम से रंगाई कहा जाता है. इतिहासकार यह मानते हैं कि यह संभव है कि इस स्थान पर कभी किसी रंगाई नाम की रानी ने शासन किया था और इसी वजह से इस जगह का नाम काजीरंगा पड़ गया.
काजीरंगा घूमने जाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
काजीरंगा नेशनल पार्क एक बेहतरीन टूरिस्ट स्पाॅट है लेकिन अगर आप यहां घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. सबसे पहली बात यह है कि यह पार्क पूरे साल नहीं खुला रहता है. मई के मध्य से लेकर सितम्बर तक यह पार्क बंद कर दिया जाता है. अक्टूबर में यह सैलानियों के लिये खोल दिया जाता है जो अप्रेल तक खुला रहता है.
काजीरंगा जाने का बेस्ट सीजन
काजीरंगा जाने का सबसे अच्छा समय नवम्बर और फरवरी हैै. इस समय मौसम सुहाना रहता है. वातावरण न ज्यादा गर्म रहता है और न ज्यादा ठंड रहती है. ज्यादातर जानवर खुले में दिखाई देते हैं. बर्ड वाॅचिंग के लिए दिसम्बर और जनवरी अच्छा समय है.
कैसे घूमे काजीरंगा?
काजीरंगा सफारी के लिए दो तरीके हैं. जीप सफारी और एलिफेंट सफारी. एलिफेंट सफारी सुबह 5.15 से शुरू हो जाती है. एक घंटे की इस सफारी में आप काजीरंगा के उन इलाकों को आसानी से देख सकते हैं जो एक सींग वाले गैंडे और बायो डायवर्सिटी से भरपूर है. दूसरी राइड 6.30 से 7.30 तक करवाई जाती है. जीप सफारी उनके लिये है जो कम समय में ज्यादा देखना चाहते हैं. जीप सफारी का समय सुबह 7.30 से 9.30 और 2 बजे से 3.30 तक करवाई जाती है. पार्क आमतौर पर 3.30 पर बंद कर दिया जाता है.
कैसे पहुंचे काजीरंगा?
काजीरंगा तक हवाई मार्ग, सड़क मार्ग और रेल मार्ग से पहुंचा जा सकता है.
हवाई मार्ग
काजीरंगा के सबसे पास जोरहाट एयरपोर्ट है जो काजीरंगा नेशनल पार्क से करीब 105 किलोमीटर दूर है. यहां लैण्ड करने के बाद 2 घंटे की सड़क यात्रा करके काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पहुंचा जा सकता है. कोलकाता एअरपोर्ट से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा असम की राजधानी गौहाटी से भी यहां पहुंचा जा सकता है. गौहाटी एयरपोर्ट से काजीरंगा की दूरी करीब 250 किलोमीटर है और 5 घंटे की सड़क यात्रा से यहां पहुंचा जा सकता है.
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग की बात करें तो काजीरंगा नेशनल पार्क नेशनल हाइवे 37 पर स्थित है. सड़क मार्ग बरसात को छोड़कर पूरे वर्षभर अच्छी स्थिति में रहता है.
रेल मार्ग
रेलमार्ग की बात करें तो काजीरंगा नेशनल पार्क के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन गौहाटी जंक्शन है. यहां से पार्क की दूरी करीब 225 किलोमीटर है, जिसे करीब 5 घंटे में तय किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें:
रानी की बाव के बारे में रोचक जानकारी
मिश्र के पिरामिड का इतिहास और रोचक तथ्य
कोएशिया के बारे में जानकारी और रोचक तथ्य
राजस्थान का हिल स्टेशन माउंट आबू