balochistan problems and solutions- बलोचिस्तान समस्या

बलोचिस्तान समस्या- balochistan conflict explained

बलोचिस्तान को लेकर अब पूरी दुनिया में आवाज उठने लगी है. बलोच लोगों ने संगठनों के माध्यम से पाकिस्तान सरकार द्वारा उन पर हो रहे अत्याचारो के खिलाफ आंदोलन चला रखा है.

बलोचिस्तान समस्या सालों पुरानी समस्या है और अब पाकिस्तानी सेना द्वारा बलोचिस्तान के लोगों पर किए जा रहे जुल्म की वजह से यह दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है. यहां हम बलोचिस्तान के इतिहास, बलोचिस्तान की समस्या और बलोच लोगों की प्रमुख मांगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं.

बलोचिस्तान का इतिहास

बलोचिस्तान एक सांस्कृतिक और भाषाई तौर पर परिभाषित क्षेत्र है, जो तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में फैला हुआ है. ऐतिहासिक रूप से ही इस क्षेत्र के लोगों और उनकी मांगों को अनदेखा किया गया.

जब भारत आजाद हुआ और पाकिस्तान बना तब बलोचिस्तान ने अपने आप को स्वतंत्र रखने का फैसला किया. यहीं से परेशानी की शुरूआत होती है. पाकिस्तान को अपने पडोस में स्वतंत्र बलोचिस्तान स्वीकार नहीं था.

बलोचिस्तान पाकिस्तान के चार प्रमुख प्रॉविन्स में से एक है और इस देश का सबसे बड़ा प्रान्त भी है. यह पाकिस्तान के करीब 44 प्रतिशत भूभाग पर फैला हुआ है. यहां की जनसंख्या करीब 1.3 करोड़ है जो पूरे देश की जनसंख्या का करीब 7 प्रतिशत है.

बलोचिस्तान का ज्यादातर भूभाग पहाड़ी और बंजर है, इस वजह से इस प्रांत का जनसंख्या घनत्व अपेक्षाकृत कम है. यहां रहने वाले बलोच लोगों की रहन-सहन और संस्कृति शेष पाकिस्तान की संस्कृति और भाषा से अलग है.

भौगोलिक तौर पर बलोचिस्तान का बहुत अधिक महत्व है. बलोचिस्तान का सबसे बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के पास है तो इसका एक हिस्सा ईरान के पास और कुछ हिस्सा अफगानिस्तान के पास है. यह तीन देशों की सीमाओं को जोड़ता है. इसके अलावा पाकिस्तान में पंजाब, सिंध और फाटा से भी इसकी सीमाएं साझा होती हैं.

क्या है बलोचिस्तान समस्या की जड़?

balochistan की समस्या उसी दिन से शुरू हो गई थी जिस दिन से पाकिस्तान ने इस पर अवैध अधिकार कर लिया था. शुरूआती दौर से ही पाकिस्तान ने बलोचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का जमकर दोहन किया. बलोचिस्तान में प्राकृतिक खनिजों जैसे तांबा और सोना के साथ ही प्राकृतिक गैस भी बहुतायत में पाया जाता है.

पाकिस्तान की आय का यह प्रमुख स्रोत है लेकिन पाकिस्तान ने बलोचिस्तान की कमाई का ज्यादातर उपयोग पंजाब प्रांत के विकास में किया और बलोचिस्तान की अनदेखी ही की गई. बलोचिस्तान आज भी पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा और कम विकसित प्रांत है. इस भेदभाव की वजह से बलोच लोगों के मन में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा बढ़ता गया.

बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी – balochistan liberation army

बड़ी समस्या तब पैदा हुई जब 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ के हाथ में पाकिस्तान की सत्ता आ गई. बलोच लोगों को पंजाबी लोगों के बढ़ते वर्चस्व की वजह से खतरा बढ़ता दिखाई दिया और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ उनके विरोध की आवाज और ज्यादा मुखर हो गई.

बलोच लोगों ने बलोच लिबरेशन आर्मी के नाम से अपना संगठन सन 2000 में बना लिया और पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन शुरू कर दिया. पाकिस्तानी सरकार ने इस संगठन को आंतकवादी संगठन करार किया.

बलोचिस्तान आंदोलन का पाकिस्तानी दमन – balochistan independence

ब्रिटिश शासन के दौरान balochistan में चार प्रांत कलात, लस्बेला, खारान और मकरान आते थे. भारत विभाजन से तीन महीने पहले 11 अगस्त, 1947 को एक प्रस्ताव रखा कि स्टेट आफ कलात को स्वतंत्र एवं स्वायत्तशासी राज्य का दर्जा दिया जाएगा और इस सम्बन्ध में शासकीय सूचना भी जारी की गई लेकिन आजादी​ मिलने के बाद जिन्ना ने अपना स्टैण्ड बदल लिया और कलात को पाकिस्तान में शामिल करने की मांग की.

कलात ने इस मांग का विरोध किया और पाकिस्तान से स्वयं को अलग रखने का फैसला किया. 26 मार्च, 1948 को पाकिस्तानी सेना ने balochistan पर आक्रमण कर दिया और 1 अप्रेल, 1948 को उसे पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया. बलोचिस्तान के लोगों ने हार नहीं मानी और पाकिस्तानी प्रशासन का विरोध जारी रखा.

बलोचिस्तानी आंदोलन 2004 तक आते-आते उग्र हो गया. ऐसे में पाकिस्तान सरकार ने फौज का इस्तेमाल करते हुए इस आंदोलन का दमन करने की कोशिश की. 19 हजार से ज्यादा आदमीयों, औरतों और बच्चों को गिरफ्तार किया गया. उनमें से कई का बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई. 25 हजार से ज्यादा बलोच लोग गायब कर दिए गए.

नवाब अकबर बुग्ती सहित बलोच नेताओं की हत्या

बलोचिस्तान के लोग आज भी कई कबीलों में विभक्त हैं और उनके प्रमुख मिलकर बलोचिस्तान के बारे में बड़े फैसले लेते हैं। balochistan के तीन प्रमुख कबीले मार्री, बुग्ती और मिंगेल माने जाते हैं. इनमें से यहां पर बुग्ती क​बीले का अच्छा प्रभाव है और यह कबीला बलोचिस्तान का सबसे ताकतवर कबीला भी माना जाता है.

उसके नेता नवाब अकबर बुग्ती की हत्या पाकिस्तानी सेना ने 2006 में कर दी। हालांकि पाकिस्तानी सेना ने ऐसा करने से इंकार किया और इसे एक हादसा बताया लेकिन नवाब अकबर बुग्ती की हत्या के बाद भी बलोच नेताओं की हत्या का सिलसिला नहीं थमा और कई बलोच नेताओं को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.

बलोच अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली कनाडा में रहने वाली करीमा बलोच की हत्या के बाद पाकिस्तानी खुफिया संगठन आईएसआई पर भी अंगुलिया उठाईं गईं.

बलोचिस्तान समस्या का भविष्य

पाकिस्तान अपने सेना के उपयोग से balochistan में लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है. बलोच नेता दुनिया भर के मंचों के माध्यम से अपनी आवाज दुनिया तक पहुंचा रहे हैं.

balochistan and india भारत ने पिछले 50 सालों में कभी बलोचिस्तान के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया था लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बलोच लोगों का उल्लेख करके पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया. पाकिस्तान हमेशा से भारत पर रॉ के माध्यम से बलोचिस्तान में दखल की बात करता रहा है लेकिन उसने आजतक कोई सबूत पेश नहीं किया है.

आने वाले समय में पाकिस्तान को balochistan में और ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ सकता है. इमरान खान की सरकार भी बलोच लोगों की बात पर ज्यदा ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में बलोच लोगों में असंतोष और ज्यादा बढ़ेगा.

balochistan के अलावा पाकिस्तान अंदरूनी तौर पर खराब माली हालत का सामना भी कर रहा है, ऐसे में बलोचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और बढ़ेगा. यह कहीं से भी एक बलोच समस्या को हल करते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं.

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