छठ पूजा पर सूर्य उपासना विधि – How to do chhath puja vidhi

छठ पर्व पर कैसे करें सूर्य की अराधना?

छठ पूजा भगवान सूर्य की अराधना का पर्व है. इस पर्व पर व्रती प्रत्यक्ष देव सूर्य को अपने व्रत अनुशासन और भक्ति भाव से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं.

सूर्य की उपासना के दौरान छठ का व्रत करने करने वाले श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्ध्य का अर्पण करते हैं. विविध स्थानों पर पूजा के लिये विविध विधियों का प्रयोग किया जाता है लेकिन हम यहां सूर्य की उपासना की शास्त्रोक्त विधि देने का प्रयास कर रहे हैं.

छठ व्रत पर कैसे करे सूर्य का स्मरण?

सूर्य प्रत्यक्ष देव है जो हमें रोज दर्शन का लाभ देते हैं. छठ का व्रत करने वाले भक्तों को व्रत के दौरान या प्रातःकाल उठते ही नीचे दिये गये मंत्र के माध्यम से भगवान सूर्य का स्मरण करना चाहिये. जिन्हें संस्कृत नहीं आती है, वे हिंदी भाषा में इस मंत्र का पठन कर सकते हैं.

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मण्डलमृतोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि वस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम।।

भावार्थः सूर्य का वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद तथा किरणे सामवेद हैं. जो सृष्टि का आदिकारण है, ब्रह्मा और शिव के स्वरूप हैं तथा जिनका रूप अचिन्त्य और अलक्ष्य है, प्रातः काल मैं उनका स्मरण करता हूं.

छठ पूजा पर सूर्य ध्यान का मंत्र

छठ पूजा के दिन सूर्य के ध्यान का विशेष महत्व है. व्रती से यह अपेक्षा की जाती है कि छठ व्रत के दौरान वह पूर्ण भक्तिभाव से भगवान सूर्य का ध्यान करें और उनका अराधन करें. सूर्य का ध्यान करने के लिये शास्त्रोक्त मंत्र का प्रावधान किया गया है. मंत्र इस प्रकार है.

रक्ताम्बुजासनशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।
पद्यद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जै
र्माणिक्यमौलिमरूणाडंगरिूचं त्रिनेत्रम्।।
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ओम श्री सूर्याय नमः।

भावार्थः लाल कमल आसन पर समासीन सम्पूर्ण गुणों के रत्नाकर, अपने दोनों हाथों में कमल और अभयमुद्रा धारण किये हुये, पद्यराग तथा मुक्ताफल के समान सुशोभित शरीर वाले, अखिल जगत के स्वामी, तीन नेत्रों युक्त भगवान सूर्य का मैं ध्यान करता हूं।

छठ पूजा पर सूर्य को अर्ध्य देने का मंत्र और तरीका?

सूर्य को अर्ध्य देकर उनकी आराधना देने का नियम शास्त्रों में बताया गया है. अर्ध्य को देने का तरीका, मंत्र और विधि का वर्णन भी शास्त्रों में वर्णित किया गया है. हम यहां आपको सूर्य को अर्ध्य देने की शास्त्रोक्त विधि का तरीका बता रहे हैं.

सूर्य को अर्ध्य देने के लिये वेदों में वर्णित मंत्रों का उपयोग करते हैं. वेदों में सूर्य को एक प्रमुख देवता के तौर पर रूपायित किया गया है. सूर्य को अर्ध्य देते समय गायत्री मंत्र का उच्चारण श्रेष्ठ माना गया है. स्नान के बाद इस मंत्र के माध्यम से सूर्य को अर्ध्य दें.

अर्ध्य देने वाले जल में चंदन और फूल को मिश्रित कर लें. अगर आप सुबह उगते हुये सूर्य को अर्ध्य दे रहे हैं तो सीधे खड़े होकर पंजे के बल अर्ध्य देना चाहिये.

यदि उदय होने के बाद अर्ध्य दे रहे हैं तो एड़ी के बल खड़े होकर कुछ आगे की तरफ झुक कर अर्ध्य देना चाहिये. यदि संध्या के समय सूर्य के अस्त होने के समय अध्र्य दे रहे हैं तो बैठकर अर्ध्य देना चाहिये.

अर्ध्य पवित्र नदी के जल में देना चाहिये, यदि नदी या बहता हुआ जल स्रोत उपलब्ध नहीं हो तो ऐसे स्थान पर जल देना चाहिये जो पवित्र हो और किसी गंदे कार्य के लिये उपयोग में न लिया गया हो.

साथ ही अर्ध्य देने के लिये एक पवित्र पात्र का उपयोग करना चाहिये और अर्ध्य देने के बाद एकत्र हुये जल को किसी पौधे की जड़ में डाल देना चाहिये. इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह जल तुलसी और पीपल में न डाला जाये.

छठ पूजा पर सूर्य को अर्ध्य देने से पहले निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिये.

1. ओमकारस्य ब्रह्मा ऋषिर्गायत्री छन्दः परमात्मा देवता अर्ध्यदाने विनियोगः।

2. ओम भूर्भुवः स्वरिति महा व्याहृतीनां पमरेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दांस्ग्निवायुसूर्या देवताः अर्ध्यदाने विनियोगः।

3. ओम तत्सवितुरित्यस्य विश्वामित्र ऋषिर्गायत्री छन्दः सविता देवता सूर्यार्ध्यदाने विनियोगः।

इन मंत्रों को पढ़ने के पश्चता नीचे लिखे गये मंत्र को पढ़ते हुये सूर्य को अर्ध्य प्रदान करें-

ओम भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्।

इस मंत्र को पढ़ने के बाद निम्न मंत्र को पढ़ कर अर्ध्य का समापन करना चाहिये-

ब्रह्मास्वरूपिणे सूर्यनारायणाय नमः।

सूर्य नमस्कार की विधि

सूर्य को नमस्कार करने का बहुत महत्व माना गया है. एक वर्णन के अनुसार एक दिन की सूर्य की पूजा का पुण्य सौ गायों के दान के बराबर होता है.

सूर्य की जो लोग विधिवत पूजा न कर सकते हों, वे केवल भक्तिभाव से भगवान मार्तंण्ड को बाहर बार नमस्कार कर लें तो भी उन्हें पूजा का पुण्य प्राप्त हो जाता है.

वैसे तो सूर्य के बारह नमस्कार की अलग मुद्रायें हैं लेकिन वृद्ध और इस न कर पाने में सक्षम व्यक्ति केवल 12 बार भगवान सूर्य के विविध नाम लेकर साष्टांग प्रमाण भी कर सकता है.

भगवान सूर्य के बारह नाम

  1. ओम मित्राय नमः।
  2. ओम रवये नमः।
  3. ओम सूर्याय नमः।
  4. ओम भानवे नमः।
  5. ओम खगाय नमः।
  6. ओम पूष्णे नमः।
  7. ओम हिरण्यगर्भाय नमः।
  8. ओम मरीचये नमः।
  9. ओम आदित्याय नमः।
  10. ओम सवित्रे नमः।
  11. ओम अर्काय नमः।
  12. ओम भास्काराय नमः।

नमस्कार करने से पहले भगवान सूर्य का स्मरण का उनका एक नाम उच्चारित करें और दण्डवत होकर उन्हें प्रणाम करें. दण्डवत होने के बाद निम्न मंत्र का उच्चारण कर भगवान मार्तण्ड की अराधना करें.

एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजोराशे! जगत्पते!
अनुकम्पय मां भकत्या गृहाणाघ्र्यं दिवाकर।

इस प्रकार विधिपूर्वक पूजन कर छठ पूजा के व्रती भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने परिवार सहित सुखपूर्वक इस लोक में जीवन यापन करने में सक्षम हो पायेंगे. छठ पूजा के इस तीन दिवसीय पर्व पर सभी व्रती लोगों को शुभकामनायें। छठी मैया आपके सभी मनोरथ पूरे करेंगी, ऐसी हमारी आशा है.

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