batla house encounter true story hindi – बटला हाउस एनकाउंटर

बटला हाउस एनकाउंटर की सच्ची कहानी

बटला हाउस एनकाउंटर पुलिस और भारतीय राजनीति के इतिहास में हुए सबसे विवादित एनकाउंटर्स में से एक रही है. आइये जानते हैं इस एनकाउंटर की तारीख दर तारीख कहानी.

बटला हाउस एनकाउंटर की कहानी – batla house history in hindi

19 सितम्बर 2008 की सुबह दिल्ली के जामिया नगर के नजदीक बटला हाउस इलाके में दिल्ली पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहनचंद शर्मा के नेतृत्व में एक टीम ने एक मकान पर दबिश दी. पुलिस को शक था कि इंडियन मुजाहिदिन के कुछ आतंकवादी यहां छुप हुये हैं.

दरअसल इस घटना से 5 दिन पहले 13 सितम्बर 2008 को दिल्ली में एक के बाद एक पांच सीरियल बम धमाके हुए जिनमें 30 लोग मारे गये और 100 से ज्यादा लोग घायल हुये थे. धमाको के बाद पुलिस संदिग्धों की धर-पकड़ में जुट गई. दिल्ली पुलिस का सुराग मिला की सिरियल बम धमाको का एक संदिग्ध बटला हाउस में एक फ्लैट में किराये पर रह रहा है. जानकारी पुख्ता होने पर इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा अपनी 7 सदस्यों की टीम लेकर बटला हाउस के मकान नम्बर एल-18 पर पहुंचे.

सुबह के करीब साढ़े 10 बजे का वक्त था. पुलिस ने दूसरी मंजिल पर स्थित फ्लैट में घुसने की कोशिश की तो आतंकवादियों ने गोली-बारी शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें 2 आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गये. आतिफ अमीन इण्डियन मुजाहिदिन का कमाण्डर था. 2 अन्य आतंकवादियों मोहम्मद सैफ और जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि एक अन्य आतंकवादी भागने में सफल रहा.

दिल्ली पुलिस के दो जवान बलबीर सिंह और राजवीर सिंह भी इस बटला हाउस आपरेशन में जख्मी हुये और इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को पेट, जांघ और दाहिने हाथ में गोली लगने के बाद गंभीर स्थिति में पास ही स्थित होली फैमिली अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां काफी देर संघर्ष करने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया.

इंटेलीजेन्स टीम ने जांच में पाया कि गिरफ्तार किये गये आतंकवादियों के तार दुबई से जुड़े हुये थे. बाद में यह पता चला कि मृत आतंकवादियों में जिसे मोहम्मद साजिद समझा जा रहा था, वह कोई और व्यक्ति था. सूचना मिली कि मोहम्मद साजिद सीरिया में आईएसआईएस के लिए भर्ती एजेन्ट का काम कर रहा है.

क्यों विवादित हुआ बटला हाउस एनकाउंटर?

बटला हाउस एनकाउंटर के बाद दिल्ली पुलिस तथाकथित मानवअधिकार वादी कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गई. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे फर्जी एनकाउंटर batla house fake encounter कहा, जिससे कांग्रेस पार्टी ने सहमत होने से साफ इंकार कर दिया. कई एनजीओ और संस्थाये इस एनकाउंटर के विरोध में सड़कों पर उतर आई.

कुछ लोग इस एनकाउंटर की जांच के लिए अदालत की शरण में चले गये. अदालत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले की जांच सौंप दी. 2 महीने की जांच प्रक्रिया के बाद 22 जुलाई, 2009 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली पुलिस को इस मामले में क्लीन चिट दे दी.

इस आधार पर हाई कोर्ट ने न्यायिक जांच के प्रस्ताव को रद्द कर दिया. कुछ संगठन इस निर्णय के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट चले गये. सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के आधार पर न्यायिक जांच की मांग को ठुकरा दिया.

क्या रहा बटला हाउस एनकाउंटर विवाद का आखिरी परिणाम?

बटला हाउस एनकाउंटर के हीरो मोहन चंद शर्मा मरणोपरांत कई पुरस्कार दिये गये. 2009 में उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया. 26 जनवरी 2009 को उन्हें भारत के शांतिकालीन सर्वोच्च सैन्य मेडल अशोक चक्र से नवाजा गया.

इस मामले में गिरफ्तार किये गये आतंकवादी शहजाद अहमद को दोषी पाया गया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई. इसी मामले में संदिग्ध दो और आतंकी अबु राशिद और मोहम्मद साजिद एनकाउंटर के बाद से ही फरार चल रहे हैं. इनमें से मोहम्मद साजिद पर जयपुर में हुये बम धमाको का भी आरोप लगा.

बटला हाउस फिल्म की कहानी – batla house movie

बटला हाउस के विवाद और इस एनकाउंटर में आये उतार—चढ़ाव से प्रभावित होकर निखिल आडवानी ने जॉन अब्राहम के साथ मिलकर इस घटना पर batla house film फिल्म बनाने की घोषणा की. इस फिल्म में जॉन अब्राहम एक पुलिस अफसर संजीव कुमार यादव की भूमिका निभायेंगे.

batla house cast

इस फिल्म में इंस्पेक्टर चंद्र मोहन शर्मा का किरदार प्रख्यात भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन निभा रहे हैं. नोरा फतेही भी इस फिल्म में प्रमुख किरदार के तौर पर नजर आयेगी. यह फिल्म एनकाउंटर के बाद हुये विवाद और चंद्र मोहन शर्मा को मिलने वाले न्याय के इर्द—गिर्द बुनी गई है. फिल्म 15 अगस्त 2019 को सिनेमा घरो में प्रदर्शित हुई.

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