Hindu Months Name Mahatv In Hindi-हिन्दू कैलेंडर

हिन्दू कैलेंडर के महीनों के नाम व उनका महत्व | Hindu Months Name Mahatv In Hindi

हिन्दू कैलेंडर पंचाग आधारित होता है. पंचांग के 5 अंग की वजह से यह नाम मिला है.  यह पांच अंग हैं- वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण. इन्‍हीं की गणना के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है.

हिन्दू कैलेंडर को सनातन कैलेंडर या भारतीय तिथि दिग्‍दर्शिका भी कहा जाता है. भारत में हिन्दू कैलेंडर का इस्तेमाल वैदिक काल से ही होता आ रहा है. समय के साथ गणना पद्धतियों में कुछ परिवर्तन होता रहा और इस वजह से भारतीय पंचाग की कई शाखायें विकसित हो गईं.

पंजाबी कैलेंडर, बंगाली कैलेंडर, ओड़िया कैलेंडर, मलयालम कैलेंडर, तमिल कैलेंडर, कन्नड़ और तुलु कैलेंडर  मूल भारतीय पचांग के ही विविध प्रचलित रूप हैं. हिन्दू कैलेंडर में गणना का आधार चंद्रमा की गति यानी चंद मास है. चंद्र मास सूर्य की मास की तुलना में कम समय का होता है. इसी वजह से हिन्‍दू कैलेण्‍डर में अधिक मास की व्‍यवस्‍था की गई है.

क्या है शक सम्वत और विक्रम संवत में अन्तर?

शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है. यह संवत 78 ईसा पूर्व शुरू किया गया था जबकि विक्रम संवत 57 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था. इन दोनों संवतों में समय की गणना चंद्रमा के आधार पर की जाती है.

शक और विक्रम संवत के महीनों के नाम समान हैं और दोनों संवत में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष भी हैं लेकिन अंतर केवल महीने की शुरुआत में है. विक्रम संवत में नया महीना कृष्ण पक्ष से शुरू होता है, जो पूर्णिमा के बाद आता है, जबकि शक संवत में नया महीना शुक्ल पक्ष से शुरू होता है, जो अमावस्या के बाद आता है.

इसीलिए इन संवतों की शुरुआत की तारीखों में अंतर है. शक संवत में चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा महीने की पहली तिथि है, जबकि यह विक्रम संवत की सोलहवीं तिथि है यानी विक्रम संवत शक संवत की तुलना में 15 दिन पूर्व शुरू हो जाता है.

हिन्दू कैलेंडर के महीनों के नाम व उनका महत्व ( Hindu Months Name Mahatv In Hindi)

हिन्दू कैलेंडर में भी अंग्रेजी या ग्रिगेरियन  कैलेंडर के बराबर ही 12 महीने होते हैंं, लेकिन चंद्र मास सौर मास की तुलना में छोटा होता है और यह सिर्फ 29.5 दिन का होता है.  हर महीने में दो पखवाड़े होते हैं जो 15 दिन के होते है.

हर महीने में एक अमावस्या और एक पूर्णिमा आती है. उत्तर भारत में पूर्णिमा को पहला दिन मानते है, जबकि दक्षिण भारत में अमावस्या को महीने का पहला दिन माना जाता है.

हिन्दू कैलेण्डर में खगोलीय राशियों को आधार बना कर महीने का नाम रखे गये है. उस माह में आकाश के मध्यम में वही राशि आपको दृष्टिगोचर होती है. जैसे चैत्र का आधार मेष राशि है.

मेष राशि को ज्योतिष विज्ञान में पहली राशि माना जाता है और ज्योतिषाचार्य इसी राशि को स्थिर बिन्दु मानते हुये इसे अपनी गणना का आधार बनाते हैं इसीलिये हिन्दू कैलेण्डर में भी पहला महीना चैत्र मेष राशि का महीना माना गया है.

हिन्दू कैलेण्डर के महीने और उसमें आने वाले प्रमुख त्यौहार तथा तिथियां

चैत्र माह

  • यह मेष राशि का महीना है. साथ ही ये हिन्दू कैलेंडर का पहला महिना भी होता है.
  • इस महीने से गर्मियों की शुरूआत होती है. अंग्रेजी कैलेण्डर के हिसाब से यह महीना मार्च और अप्रेल में आता है.
  • इसी महीने में होली का त्यौहार मनाया जाता है. इसके अलावा महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, तमिलनाडु में चैत्री विशु और कर्नाटक व आंध्रप्रदेश में उगडी त्यौहार मनाया जाता है.
  • इसी महीने में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है जो वर्ष का पहला नवरात्र होता है. रामनवमी भी इसी माह में आती है. चैत्र की पूर्णिमा को ही हनुमान जयंती भी मनाई जाती है.

वैशाख माह

  • इस माह की राशि वृषभ है. इसी माह में सूर्य विशाखा नक्षत्र के नजदीक होता है इसलिये इस माह को वैशाख कहा जाता है. इसे बैसाख या बैसाखी भी कहा जाता है. यह हिन्दू कैलेण्डर का दूसरा महीना होता है.
  • वैशाख अंग्रेजी कैलेण्डर के हिसाब से अप्रेल—मई महीने में आता है. इस माह में गर्मियां अपने पूरे जोर पर होती हैं.
  • इस महीने में ही बंगाल में बैसाख नववर्ष मनाया जाता है. पंजाब का मशहूर त्यौहार बैसाखी भी इसी महीने में आता है. फसल की कटाई के अवसर पर यह त्यौहार मनाया जाता है.
  • वैशाख की पूर्णिमा को ही बु​द्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है.

जयेष्ट माह

  • इस मास की राशि मिथुन मानी जाती है. ज्येष्ट को स्थानीय भाषा में जेठ भी कहा जाता है. जेठ अपने गर्म दुपहरी के लिये जाना जाता है. जेठ की दोपहरी कहावत अपनी गर्मी की वजह से ही कही जाती है क्योंकि इस महीने में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है.
  • ज्येष्ठ माह अंग्रेजी कैलेण्डर के हिसाब से मई-जून में आता है. दक्षिण भारत में इस महीने को आणि मास कहते है.
  • जयेष्ट मास की अमावस्या को शनि जयंती और दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है. जयेष्ट माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी मनाया जाता है जो वर्ष में पड़ने वाली से पुण्य वाली 24 एकादशी में सबसे ज्यादा महत्व वाली मानी जाती है.
  • ऐसा इसलिये कहा जाता है कि भीषण गर्मी में बिना पानी के रहना सबसे ज्यादा मुश्किल काम होता है. इसी माह में वट पूर्णिमा या वट सावित्री का व्रत महिलायें रखती हैं.जगन्नाथ पुरी में जयेष्ट पूर्णिमा को ही यात्रा निकाली जाती है.

आषाढ़ मास

  • आषाढ़ मास की राशि कर्क है. इस मास को दक्षिण भारत में आदि कहते है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह महीना जून-जुलाई महीने में आता है.
  • अषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाते है. आषाढ़ मास से ही शुभ कार्य शुरू होते हैं क्योंकि इसी माह में देव शयनी एकादशी या देव उठनी एकादशी आती है.
  • तमिलनाडु में आषाढ़ मास की अमावस्या का विशेष धूमधाम से मनाते हैं.
  • इस महीने से ही हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार बर्षा ऋतु की शुरूआत होती है.

श्रावण मास

  • आषाढ़ मास की राशि सिंह है क्योंकि इस मास में सूर्य सिंह राशी में प्रवेश कर जाता है. श्रावण को ही सामान्य भाषा में सावन का महीना कहा जाता है.
  • यह महीना अंग्रेजी कैलेण्डर के हिसाब से जुलाई-अगस्त महीने में आता है. इस महीने में वर्षा ऋतु अपने पूरे जोर पर होती है।
  • सावन महीने को शिव की पूजा की जाती है. सावन महीने में रक्षाबंधन, नागपंचमी और जन्माष्टमी के त्यौहार मनाये जाते हैं. यह माह प्रकृति को समर्पित है और इसी माह में हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या मनाई जाती है.
  • दक्षिण भारत में सावन माह में अवनी, अवित्तम, पोला मनाये जाते है. सावन माह में ही​ शिव की अर्चना के लिये कावण यात्रा निकाली जाती है.

भाद्रपद मास

  • भाद्रपद मास कन्या राशि को समर्पित है. आम भाषा में भाद्रपद मास को भादो कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेण्डर के हिसाब से यह महीना अगस्त-सितम्बर महीने में आता है.
  • इस महीने को दक्षिण भारत में पुरात्तासी कहते है. भाद्रपद महीने में मनाये जाने वाले मुख्य त्यौहार हरितालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी मनाई जाती है. अष्टमी के दिन राधा अष्टमी, चौदस के दिन अनंत चतुर्दशी मनाते है.
  • इसी माह में 15 दिन का पितृ पक्ष आता है, इस अवधि के दौरान पितरों को तर्पण दिया जाता है.

अश्विन मास

  • अश्विन मास की राशि तुला है. इस महीने को आम भाषा में उत्तर भारत में कुआर भी कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह महीना सितम्बर- अक्टूबर महीने में आता है.
  • अश्विन मास में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार नवरात्री, दुर्गापूजा, कोजागिरी पूर्णिमा, विजयादशमी दशहरा, दिवाली, धनतेरस, काली पूजा है.
  • अश्विन मास में वर्षा ऋतु चली जाती है और सर्दियों की आहट सुनाई देने लगती है.

कार्तिक मास

  • इस मास की राशि वृश्चिक है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मास अक्टूबर-नवम्बर महीने में आता है.
  • कार्तिक मास में गोवर्धन पूजा, भाई दूज, गुरु नानक जयंती और कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है.
  • कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी मनाई जाती है. इस माह से एक बार फिर से शुभ कार्य शुरू हो जात है और कार्तिक एकादशी को देव उठनी एकादशी मनाते है.
  • इसी एकादशी को तुलसी विवाह भी किया जाता है.

अगहन मास

  • इस मास की राशि धनु राशि है. अगहन महीने की एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी कहा जाता है. उत्तर भारत में इसे मोक्ष एकादशी भी कहते है.
  • अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मास नवम्बर – दिसम्बर महीने में आता है. इस माह से सर्दी की शुरूआत हो जाती है.

पौष मास

  • पौष मास की राशि मकर है क्योंकि सूर्य इस मास में मकर राशि में प्रवेश कर जाता है. अंग्रेजी कैलेण्डर में पौष मास दिसम्बर-जनवरी के समय आता है.
  • इस समय उत्तर भारत में सर्दी अपने पूरे जोर में होती है. राते इतनी ठण्डी होती है कि पूस की रात को कहावत के तौर पर उपयोग में लिया जाता है.
  • पौस को आम भाषा में पूस कहा जाता है. पूस महीने में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार लौहड़ी, पोंगल और मकर संक्राति है.

माघ मास

  • माघ मास में सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश कर जाता है इसलिये इस मास की राशि कुंभ है. दक्षिण भारत में इस मास को मासी कहा जाता है.
  • अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मास जनवरी-फरवरी महीने में आता है.
  • माघ महीने में बसंत पंचमी, महा शिवरात्रि, रथ सप्तमी जैसे त्यौहार मनाये जाते है. माघ माह में यूपी और बिहार में मेला भी लगाया जाता है.

फाल्गुन मास

  • फाल्गून मास में सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है इसलिये इस मास की राशि मीन है. आम भाषा में इस माह को फागुन कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मास फरवरी- मार्च महीने में आता है.
  • फागुन माह में सबसे बड़े हिन्दु त्यौहारों में से एक होली मनाई जाती है. इस माह में बांग्लादेश में पोहेला मनाया जाता है.

पुरषोत्तम माह

  • इस मास को अधिक मास कहा जाता है. यह हर साल नहीं आता बल्कि 32 महीने, 16 दिन के बाद आता है.
  • चंद्रमा की गति के कारण इस समय अवधि में एक मास का समय बच जाता है. अधिक मास का हिन्दु संस्कृति में बहुत महत्व है.

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