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वर्षा ऋतु पर निबंध
आषाढ़ का महीना है. सूर्य देव जिन्होंने सर्दियों में ठण्ड से हमारी रक्षा की थी अपने ताप से सब कुछ भस्म करने पर आमादा है. धरती तप रही है और प्रचंड गरमी से प्राणियों का हाल बेहाल हो रहा है. लू के थपेड़े चेहरे को जला रहे हैं और पेड़ की छांव में भी राहत का एहसास नहीं होने दे रही है. सारी दुनिया अपने घर में सिमटी हुई और घर को एसी और कूलर से ठंडा करने का प्रयास कर रही है. चारो ओर सन्नाटा छाया हुआ है. सबके मन में एक ही चाहत है कि बरसात हो और धरती को इस झुलसाने वाली गर्मी से राहत मिले.
वर्षा ऋतु का महत्व
जब गरमी सभी सीमाएं तोड़ देती है तो वातावरण में ऊमस बढ़ जाती है और आसमान काले बादलों से भर जाता है. इन बादलों को देकर सबका मन प्रफुल्लित हो जाता है और सब उम्मीद के साथ आसामान की ओर देखने लगत हैं. मेघों की गड़गड़ाहट किसी मधुर ध्वनि के समान लगती है. मोर नाचने लगते हैं, कोयल कूकने लगती है और प्रकृति का संगीत आरंभ हो जाता है. वर्षा अपने साथ ढेर सारा प्राकृतिक संगीत और खुशी लेकर आती है. वर्षा का पहला दिन बहुत ही आनंदमय और राहत देने वाला होता है। चारों ओर पानी ही पानी नजर आता है. गरमी कम हो जाती है. हवा में भी ठंडक का एहसास होता है. प्रकृति में नव जीवन का संचार होता है.
वर्षा ऋतु के लाभ
वर्षा ऋतु किसी भी तरह वसंत से कम सुहावनी नहीं लगती है. उसका रूप भी वसंत की तरह ही आकर्षक होता है. प्रकृति हरी चादर ओढ़ लेती है और चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है. अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे फूल खिलने लगते हैं. मिट्टी की सुगंध से मन प्रसन्न हो जाता है. बागों में झूले डाल दिए जाते हैं, जिस पर झूलते ही ग्राम्य सुंदरिया नाना प्रकार के गीत गाती हैं. बागों में रंग-बिरंगी बीर बहुटियां निकलने लगती है. पक्षियों का कलरव सुनाई देता रहता है. तालाबों में हंसों और बगुलों के किलोल करते दृश्य आम हो जाते हैं.
वर्षा न होने से नुकसान
भारत के लिए तो वर्षा ऋतु वरदान है क्योंकि भारत एक कृषिप्रधान देश है और भारत का किसान सिंचाई के लिए वर्षा पर ही निर्भर करता है. जिस वर्ष वर्षा कम होती है, हमारे देश का किसान संकट में आ जाता है. पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं और अकाल की वजह से जान-माल का नुकसान होता है.
रात्रि में मेघों की गर्जन से अधिक दामिनी की चमक दिखाई देती है. मेंढकों की टर्राने की आवाज से सारा वातावरण गुंजायमान हो जाता है. जहां वर्षा ऋतु इतने सुख लाती है, वहीं कुछ परेशानियां भी अपने साथ लेकर आती है. भीषण वर्षा से बाढ़ आ जाती है और अतिवृष्टि से प्रलय आ जाता है. जान-माल का नुकसान होता है. बिजली गिरने से नुकसान होता है तो नदियां अपने साथ सबकुछ बहा कर ले जाती है. विषैले सर्प और कीड़ो की भरमार हो जाती है. हैजा, मलेरिया और इसी तरह के दूसरे रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है लेकिन इतने पर भी निष्कर्ष यह निकाला जा सकता है कि बिना वर्षा के जीवन संभव नहीं है.
वर्षा पर ही मानव और जीव जंतुओं का जीवन निर्भर करता है इसलिए मानव देवताओं की पूजा करता है ताकि वर्षा के देवता समयानुकूल बरसे और चारों और सुख तथा शांति का वातावरण बनें.