Table of Contents
कजरी तीज: महत्व, पूजा विधि, और पौराणिक कथा
कजरी तीज का महत्व कजरी तीज, जिसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर भारत में विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह तीज श्रृंगार और सुख-संपन्नता का प्रतीक है।
इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
कजली तीज का महत्व क्या है?
कजली तीज का महत्त्व महिलाओं की आस्था और समर्पण से जुड़ा हुआ है। इसे विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन सुंदर परिधान पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, और झूला झूलकर गीत गाती हैं।
कजरी तीज की पूजा विधि और सामग्रियां
कजरी तीज की पूजा विधि काफी सरल होती है, लेकिन इसे पूरे विधि-विधान से करना आवश्यक है। इस दिन, महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं निर्जला रहती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करती हैं।
पूजा के लिए एक साफ चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से उनका अभिषेक किया जाता है।
पूजा के बाद कथा का श्रवण करना अनिवार्य माना जाता है। पूजा समाप्ति के बाद, महिलाएं अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ प्रसाद का वितरण करती हैं।
कजरी तीज की पौराणिक कथा
कजरी तीज की पौराणिक कथा भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
कजली तीज का व्रत इसी कथा को ध्यान में रखते हुए मनाया जाता है, ताकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना कर सकें। कहा जाता है कि जो महिलाएं इस दिन विधिपूर्वक व्रत करती हैं, उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
कजरी तीज का त्योहार महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें वे अपने परिवार के सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और देवी-देवताओं की पूजा करती हैं। इस पर्व का सही तरीके से पालन करने से न केवल महिलाओं को आंतरिक शांति मिलती है, बल्कि उनके परिवार में भी सुख-समृद्धि का वास होता है।
कजरी तीज 2024: शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कजरी तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तीसरी तिथि, जो कि 1 सितंबर की रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और 2 सितंबर की रात 8 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी, इस पर्व के लिए निर्धारित है।
यह भी पढ़े:
लक्ष्मी सुक्तम हिंदी अर्थ सहित
देवास टेकरी वाली माताजी की कहानी