करवा चौथ व्रत 2023 – तिथि, मुहूर्त, पूजा की विधि, सामग्री और कथा – Karwa Chauth 2023

2023 में करवा चौथ कब है – Karwa Chauth 2023

करवा चौथ का व्रत प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलायें अपने पति की लम्बी आयु के लिए इस व्रत को करती हैं। वे दिन भर अन्न और जल ग्रहण नहीं करती और शाम को चन्द्रमा देखने के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करती करती हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह तिथि  31अक्टूबर 2023 को मंगलवार सायं 9 बजकर 30 मिनट से 1 नवम्बर बुधवार सायं 9 बजकर 19 मिनट तक तक रहेगी।

करवा चौथ की पूजा की विधि – Karwa Chauth Pooja Vidhi in Hindi

महिलाएं सूर्योदय से पूर्व ही स्नान कर लेती हैं। इसके बाद सास के द्वारा दी गई सरगी ग्रहण करती हैं और दिन भर भूखी रहती हैं और जल तक नहीं पीती हैं। शाम को अन्य महिलाओं के साथ बैठ कर व्रत की कथा सुनती हैं तथा शिव,पार्वती, गणेश तथा कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं। रात में चाँद निकलने के बाद अर्ध्य दिया जाता है। इसके बाद छलनी में दीपक जला कर उसमे से चाँद को और फिर पति को देखा जाता है। फिर सुहागिन औरतें अपने पति के हाथों से सात बार पानी पीती हैं और इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है। पति द्वारा पत्नी को मिट्टी के करवे से पानी पिलाया जाता है।

करवा चौथ की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

मिट्टी का करवा, छलनी, मिट्टी का दिया, बत्ती, अगरबत्ती, कपूर, सिंदूर, कच्चा दूध, दही, मिठाई, चन्दन, रोली तिलक तथा मोली।

कौन है करवा माता – कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत – Karwa Mata Story

मान्यता है कि करवा नाम की स्त्री का पति नदी में स्नान गया। वहाँ एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और पानी में खींचने लगा। जब करवा ने यह देखा तो अपने सतीत्व की ताकत से उन्होंने मगर को साडी के सूत से बाँध दिआ और क्रोध में आकर उसे सीधा यमराज के पास ले गई। जब यमराज ने यह दृश्य देखा और इसका कारण पूछा तो करवा ने बताया कि यह मगर उसके पति को मारना चाहता था। करवा ने यमराज से कहा कि आप इस मगर को मृत्यदंड और मेरे पति को चिरायु होने आशीर्वाद दीजिये।

यमराज ने असमर्थता जताते हुए कहा कि अभी मगर आयु पूरी नहीं हुई है। इस पर करवा ने कहा कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं अपने सतीत्व के बल से आप को भी नष्ट दूंगी। इस पर यमराज ने चित्रगुप्त से विचार विमर्श किया और करवा की बात मान ली। मगर को नरक में भेजकर करवा के पति को चिरायु आशीर्वाद दे दिया। साथ ही वरदान दिया कि आज के दिन जो भी महिला करवा का व्रत करेंगी, उनके सुहाग की रक्षा की जाएगी। तभी से इस व्रत का नाम करवा चौथ पड़ा।

करवा चौथ की कथा – Karva Chauth Vrat Story in Hindi

करवा चौथ की पूजा करते समय महिलाएं एक कथा सुनती हैं। यह कथा पौराणिक काल से चली आ रही है। एक बार एक नगर में एक साहूकार रहता था। साहूकार के सात बेटे तथा एक बेटी थी। एक वर्ष करवा चौथ के दिन बेटी अपनी पिता के घर आई। जब वह अपनी भाभियों के साथ मिलकर करवा चौथ के व्रत का पालन कर रही थी, तभी रात में उसके भाइयों ने उसे भोजन करने के लिए कहा।

इस पर उसने अपने भाइयों को कहा कि वह व्रत कर रही है और चांद निकलने से पहले ना कुछ खायेगी और ना ही कुछ पीएगी। भाइयों से बहन की दशा देखी नहीं गई और उन्होंने घर के बाहर लकड़ी जला कर बहन को कहा कि देखो चांद निकल आया है।

बहन ने लकड़ी कि आग को चांद को रोशनी समझा और भाभियों को भी बताया। भाभियों ने उसे समझाया कि यह सब उसके भाईयों को युक्ति है, लेकिन वह लड़की नही मानी और पूजा संपन्न करके भोजन करने बैठ गई।

इसके पश्चात तो जैसे लड़की पर विपदाओं का पहाड़ ही टूट पड़ा। उसका पति बीमार हो गया तथा सारा धन उसके इलाज में लग गया। जब लड़की को अपनी गलती का भान हुआ तो उसने विधि विधान के साथ दोबारा व्रत किया। भगवान ने उस पर दया दिखाते हुए उसके पति को फिर से ठीक कर दिया।

इस प्रकार जो भी इस व्रत को श्रद्धा भाव से करता है, भगवान उसके पति को दीर्घायु देते हुए घर परिवार को धन, धान्य और उत्तम स्वास्थ का आशीर्वाद देते हैं।

करवा चौथ पर महिलाओं का श्रृंगार – Karwa Chauth Make up

महिलाओं में इस त्यौहार के लिए बहुत उत्साह रहता है। नए कपड़े खरीदे जाते हैं। महिलाएं बहुत दिन पहले से ही व्रत की तैयारियां शुरू कर देती हैं। श्रृंगार के लिए पार्लर पहले से ही बुक कर लिए जाते हैं। पतियों द्वारा पत्नियों को उपहार दिए जाते हैं।

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