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समय का सदुपयोग पर आसान निबंध in hindi
समय चूकि पुनि का पछताने जैसा मुहावरा हम सभी ने जीवन में कभी न कभी तो सुन ही रखा होता है. यह हमारे जीवन में समय के महत्व को इंगित करता है. जीवन में समय का बड़ा भारी मूल्य है. संसार में समय से बड़ा बलवान कोई नहीं है. भगवान कृष्ण ने महाभारत में एक प्रसंग के दौरान कहा था कि इस संसार में समय का धनवान तो कोई हुआ ही नहीं है. वक्त सबके के लिए समान है.
समय का सदुपयोग पर निबंध रूपरेखा सहित
हमारे जीवन में समय का बड़ा भारी मूल्य है. मनुष्य संसार में क्या खोकर प्राप्त नहीं कर सकता, धन-संपदा, ताकत, सौन्दर्य और तो और सावित्री तो अपने सत्यवान के खोये जीवन को लौटा लाई थी लेकिन वक्त ऐसी चीज है जो एक बार हाथ से निकल गई तो वापस लौट कर नहीं आती है. दुनिया में सबकुछ संचित किया जा सकता है लेकिन समय का संचय कोई नहीं कर सकता है, वह तो अपनी गति से ही निकलता रहता है.
समय का महत्व par nibandh
अब पछताय होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत. यह मशहूर कहावत भी हमें वक्त के हाथ से निकल जाने के दुख और उसके सदुपयोग तथा महत्व को समझाने का प्रयास करती है. सब कुछ लौटकर आ सकता है लेकिन बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता है. आप अपने पुरूषार्थ से या तो बीते वक्त को याद करते प्रसन्न हो सकते हैं या फिर अपने आलस्य की वजह से बीते हुए समय का दुख ही मना सकते हैं.
देखा जाये तो समय का मूल्य प्राणों से भी अधिक है. जीवन में हर सांस जितनी कीमती है, गुजरने वाला पल भी उतना ही अधिक मूल्यवान है. वक्त का मोल प्राणों से अधिक इसलिये माना जाता है कि अगर आपने समय रहते अच्छे कार्य किये तो आपके प्राण निकल जाने के बाद भी अपने सद्कार्यों की वजह से आप सदैव लोकमानस में जीवित रहेंगे. व्यर्थ समय और जीवन गंवाने वाले लोगों को न तो अपने जीवन के दौरान सम्मान मिलता है और न ही इस दुनिया को त्याग देने के बाद इसलिए यह हम सबके लिए आवश्यक हो जाता है कि वक्त का सदुपयोग किया जाये.
समय का महत्व paragraph
विद्यार्थी के लिए समय तो सोने से भी अधिक मूल्यवान है. जो विद्यार्थी अपने समय का सदुपयोग नहीं करता है वह न तो कक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर पाता है और न ही जीवन में सफलता कभी उसके मार्ग की सहगामिनी बनती है. विद्यार्थी को अगर सफल होना है तो वक्त के पल-पल का सदुपयोग उसे करना होगा. तुलसी दास जी ने वक्त के महत्व को लेकर एक बहुत ही सुंदर दोहा लिखा है-
का बर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि पुनि का पछताने।
इसका भावार्थ यह है कि कृषि या फसल के सूख जाने के बाद होने वाली वर्षा से कोई लाभ नहीं होता है और ठीक इसी प्रकार समय हाथ से निकल जाने के बाद पछताने से भी कोई लाभ नहीं होता है. इसका आशय यह भी है कि हमें कल का काम आज और आज का काम अभी कर लेना चाहिए क्योंकि समय का कोई भरोसा नहीं है. इसी पर एक मशहूर दोहा कहा गया है कि-
काल करे सो आज कर आज करे सो अब।
पल में परलय होयेगी, बहुरी करेगा कब।
हम अक्सर देखते हैं कि हमारे आस-पास के जीवन में बहुत से लोग बहुत अधिक सफल और मशहूर हैं और बहुत से लोग गरीब और असफल है. आप उनके जीवन का आकलन कीजियेगा तो आपको यह पता चलेगा कि जो लोग वक्त के महत्व को समझते हैं और अपनी दिनचर्या को बहुत नियमित तरीके से जीते हैं, सफलता उनके कदम चूमती है और जो लोग यूंही बिना किसी व्यवस्था और दिनचर्या के अपना जीवनयापन करते हैं, वे दुखी, निराश और असफल रहते हैं.
समय का महत्व कहानी
महात्मा गांधी के तो समय के इतने पाबंद थे कि वे कभी अपनी प्रार्थना सभा में देरी से नहीं आये. वे अपने हरेक काम को एक दिन पहले ही निर्धारित कर लेते थे और ठीक समय पर किया करते थे ताकि वे अपने जीवन का ज्यादा से ज्यादा वक्त देशहित के लिए दे सके. नेपोलियन बोनापार्ट तो समय का इतना अधिक सदूपयोगी था कि वह सोने के लिए घोड़े की पीठ का ही उपयोग कर लेता था और उस समय भी उसकी फौज यात्रा कर लेती थी. नेपोलियन बोनापार्ट तो दिन में सिर्फ 4 घंटे की ही नींद लेता था. वह चाहता था कि उसके जीवन का ज्यादा से ज्यादा वक्त किसी वीरता के कार्य को करते हुए बीते.
समय प्रबंधन का महत्व
वक्त का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि अगर हम परीक्षा के दिन केन्द्र पर एक घंटे की देरी से पहुंचे तो हमारी पूरे एक वर्ष की मेहनत मिट्टी में मिल सकती है. अगर हम परीक्षा में वक्त को महत्व न दे तो तीन घंटे में हल किया जा सकने वाले प्रश्नपत्र समय पर पूरा नहीं हो सकेगा और सवालों के जवाब आने के बावजूद हम उनका उत्तर नहीं लिख पायेंगे. इसलिए अगर जीवन को सार्थक बनाना है तो समय के साथ चलना और समय के साथ बदलना सीखना होगा क्योंकि कहते हैं कि वक्त से बेहतर शिक्षक कोई नहीं होता है.