महात्मा गांधी के प्रेरक प्रसंग Motivational Stories of Mahatma Gandhi

Inspiring Stories of Mahatma Gandhi Life महात्मा गांधी प्रेरक कहानियां

महात्मा गांधी की प्रेरक कथा— कम-अधिक

महात्मा गांधी इंग्लैड की महारानी से मिलने अपनी चिर-परिचित छोटी-सी धोती और सादी चादर में गए थे। इस पर पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया और पूछा, ‘महात्मा जी, आप महारानी से मिनले गए और वह भी इतने कम कपडे़ पहनकर! आपको बुरा नहीं लगा क्या?

‘महात्मा गांधी ने कहा, ‘इसमें बुरा लगने की क्या बात है? स्वयं महारानी ने ही इतने कपडे़ पहन रखे थे कि वे दोनों के लिए काफी थी।

महात्मा गांधी की प्रेरक कहानी — भोजन

पतला-सा दिखने वाला आदमी काले कंबल पर बैठा है और उसके पास प्याले में मसले हुए टमाटर और जैतून का तेल रखा हुआ है। पास ही पिचके हुए डिब्बे में मूंगफली और कोले के बेस्वाद बिस्कुट रखे हैं। यह देखकर सरोजिनी नायडू जोर से हंसी पड़ी।

हंसी सुनकर गांधीजी नेउसकी ओर देखा और कहा, ‘तुम शायद सरोजिनी नायडू हो! भला और किसकी हिम्मत हो सकती है इस तरह ठहाका लगाने की। आओ, भोजन करो। ऐसी अनोखी थी उनकी पहली मुलाकात।

बापू का प्रेरणादायक प्रसंग – पछतावा

गांधीजी ने बिहार के चंपारन में किसानों को एकत्र कर आंदोलन छेड़ दिया। एक एंग्लो इंडियन ने गांधीजी की हत्या करने की योजना बनाई किसी व्यक्ति ने उन्हें खबर दे दी। वह रात को बारह बजे उस एंग्लो-इंडियन के घर पहुंच गए। उसने पूछा,‘‘आप कौन हैं?‘‘

गांधीजी ने कहा, ‘‘आपने जिसकी हत्या करने का निश्चय किया है, मैं वही गांधी हूं। अकेला आया हूं। मेरे पास कोई हथियार नहीं है। आप अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए।‘‘ एंग्लो-इंडियन शर्म से पानी-पानी हो गया। उसने गांधीजी के चरण पकड़ लिए और क्षमा मांगने लगा।

inspirational story of mahatma gandhi in hindi – शांत चित्त

शाम का समय था। गांधीजी प्रार्थना कर रहे थे। तभी एक सांप वहां आ गया और उनकी ओर बढ़ने लगा। उनके साथी एकदम घबरा गए। इस हलचल के कारण सांप डर गया और गांधीजी की गोद में चढ़ गया। उन्होंने सबको शांत रहने का इशारा कर प्रार्थना जारी रखी। सांप गोद से उतरा और चुपचाप चला गया।

गांधीजी से लोगों ने पूछा, ‘‘सांप के चढ़ने पर आपको कैसा लगा?‘‘

गांधीजी ने उत्तर दिया, ‘‘पहले तो मैं घबरा गया, पर बाद में शांत चित्त हो गया। अगर सांप मुझे काट भी लेता, तो मैं कहता कि इसे मत मारो, इसे जाने दो।‘‘

inspirational story of mahatma gandhi – उपहार

गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका के दमनकारी तानाशाह जनरल स्मट्स ने बार-बार जेल भेजा। गांधीजी ने जेल में एक मोची से जूते बनाना सीखा। जब गांधीजी को रिहा किया गया, तो उन्होेंने एक पैकेट स्मट्स को भेंट किया।

‘‘क्या इसमें कोई बम है?‘‘ कहते हुए स्मट्स ने पैकेट खोला।

गांधी जी ने कहा, ‘‘यह मेरी तरफ से आपको विदाई का उपहार है।‘‘ उसमें गांधीजी के बनाए हुए सैंडिल थे।

वर्षों बाद गांधीजी के जन्मदिन पर जनरल स्मट्स ने उन्हें पत्र लिखा-मैंने उन सैडिलों को गर्मियों के दौरान पहना, हालांकि मैं महसूस करता हूं कि मैं उन्हें पहनने का पात्र नहीं हूं।

Funny Story of Mahatma Gandhi – माइनस फोर

महात्मा गांधी गोलमेज सम्मेलन से अपने देश वापस आ रहे थे। फ्रांस के एक बदरगाह पर कुछ पत्रकार उनसे मिलने आए। पत्रकार उस समय की फैशनेबल पोशाक ‘प्लस फोर‘ सूट पहने थे, लेकिन गांधीजी धोती पहने हुए थे।

पत्रकार उन्हें उस पोशाक में देखकर हैरान रह गए, क्योंकि उन्होंने तो यह कल्पना भी नहीं की थी कि गांधीजी धोती पहने होंगे। गांधीजी उनकी परेशानी समझ गया और हंसते हुए बोले, ‘‘आप लोग फ्रांस की पोशाक ‘प्लस फोर‘ पहने हैं और मैं भारत की पोशाक ‘माइनस फोर‘ पहने हूं।‘‘

Mahatma Gandhi and Vinoba Bhave Story- विनोबा कैसे बने

विनोबा भावे का नाम विनायक नरहर भावे था। एक बार वे गांधीजी से मिलने अहमदाबाद गए। साबरमती आश्रम में उन्होंने काफी समय बिताया। बहुत दिनों बाद गांधीजी को पता चला कि भावे घर में बिना कुछ बताए ही यहां चले आए हैं।

गांधीजी ने तुरंत उनके पिता को पत्र लिखा- आपका विनोबा भावे हमारे पास है।

यह पहला अवसर था, जब विनायक नरहर भावे के लिए विनोबा शब्द का प्रयोग किया गया था। तभी से लोग उन्हें विनोबा भावे नाम से पुकारने लगे। यह उसी पंरपरा का निर्वाह था, जिसके अंतर्गत संत ज्ञानेश्वर का ज्ञानोवा और संत तुकाराम को तुकोवा कहा जाता है।

Mahatma Gandhi inspirational story- पहला गिरमिटिया

महात्मा गांधी ने जब दक्षिण अफ्रीका में अपनी वकालत आरंभ की, तो थोड़े दिन बाद ही एक गिरमिटिया मजदूर, जिसका नाम बालसुंदरम् था, बड़ी बुरी हालत में गांधीजी के पास आया।

उसके कपडे़ फटे हुए थे और सामने के दो दांत टूटे हुए थे। उसके शरीर पर चाटों के निशान थे। यह देखकर गांधीजी को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने एक गोरे डाॅक्टर से उसका इलाज करवाया और उसी डाॅक्टर से चोट का प्रमाण-पत्र लेकर मजदूर के मालिक के खिलाफ मुकदमा चलाया।

मजदूर को उन्होंने जितवा दिया और इसके साथ ही उसके लिए एक नेक मालिक भी ढूंढ़कर दिया। इसके बाद गांधीजी गरीब भारतीय मजदूरों में लोकप्रिय हो गए और उन्हें असहायों के रक्षक के रूप में प्रतिष्ठा मिली।

Mahatma Gandhi inspirational story from his life- दूसरों का सुख

महात्मा गांधी साथियों के साथ रेल से यात्रा कर रहे थे। जिस डिब्बे मेें गांधीजी बैठे थे, उसकी छत थोड़ी टूटी हुई थी। बरसात का मौसम था। जब बारिश शुरू हुई, तो छत टपकने लगी।

पानी गिरता देखकर उनके साथियों ने बापू जी का सामान और कागज संभालकर एक ओर रख दिए। अगले स्टेशन पर एक साथी गार्ड के पास पहुंचा और डिब्बे की हालत बयान की। गार्ड तुरंत डिब्बे में आया और बोला, ‘‘बापू जी, आपके लिए दूसरा डिब्बा खाली करवाने का आदेश दे दिया है। आप उसमें बैठ जाइएगा।‘‘

‘‘और उस डिब्बे के यात्री कहां बैठेंगे?‘‘ गांधीजी ने प्रश्न किया।

‘‘हमारे पास और कोई डिब्बा नहीं है। इसलिए उस डिब्बे के यात्री इस डिब्बे में बैठे जाएंगे।‘‘ गार्ड ने कहा।

गार्ड की बात सुनकार बापू बहुत दुःखी हुए और उन्होंने कहा, ‘‘मैं सुख से बैठूं और मेरे लिए सुख से बैठे हुए लोग परेशान हों, यह मेरे लिए लज्जा की बात है। पहले वे सुख से बैठेंगे, तब मैं बैठूंगा। मैं उनके डिब्बे में जाऊंगा, ऐसा कभी नहीं हो सकता‘‘। बापू ने कहा। गार्ड ने उनके दृढ़निश्चय को समझ लिया और क्षमा मांगी।

Short Stories of Mahatma Gandhi – अनेक अर्जुन

महात्मा गांधी सन् 1930 में जेल में थे। साबरमती आश्रम के बच्चे हर हफ्ते उन्हें पत्र लिखा करते। पत्रों में वे अजीब-अजीब प्रश्न पूछते। गांधीजी उनका जवाब संक्षेप में देते।

एक बार एक बच्चे ने शिकायत लिखी-बापू, आप गीता की चर्चा बहुत करते हैं, लेकिन गीता में अर्जुन बहुत संक्षेप में प्रश्न पूछने थे और श्रीकृष्ण अनेक वाक्यों में उसका जवाब देते थे, किंतु आप हमारे लंबे-लंबे प्रश्नों का जवाब एक ही वाक्य में दे देते हैं ऐसा क्यों?

गांधीजी ने उत्तर में लिखा-कारण स्पष्ट है। श्रीकृष्ण के पास एक अर्जुन था, जबकि मेरे पास अर्जुनों का पूरा झुंड है। उत्तर लिखते हुए गांधीजी मुस्करा रहे थे।

Mahatma Gandhi Stories – करूणा

गांधीजी करूणा के सागर थे। इंसानों के लिए उनके मन में अपार करूणा भरी थी। एक बार गांधीजी दक्षिण अफ्रीका की जेल में थे। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था।

इसलिए उनके काम के लिए एक नीग्रो को रखा गया, जो हिंदी नहीं जानता था। लेल अधिकारी उस नीग्रो के माध्यम से उन्हें परेशान करना चाहते थे। एक दिन नीग्रो दर्द से कराहता हुआ गांधीजी के पास पहुंचा। वह हिंदी तो जानता नहीं था, इसलिए उसने इशारे में गांधीजी को बताया कि उसके हाथ में बिच्छू ने काट लिया है।

गांधीजी सारी बात समझकर बोले, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें अभी ठीक किए देता हूं।‘‘ और उन्होंने घाव पर मुंह रखकर डंक का विष चूसना शुरू कर दिया। गांधीजी के चूसने के साथ-साथ जहर और पीड़ा कम होती गई। कैदी को आराम मिला। इस घटना के बाद वह नीग्रो गांधीजी का भक्त हो गया।

महात्मा गांधी की कहानी — समर्पण

गांधीजी के मन में माता-पिता और देश के लिए अपना सब कुछ समर्पित करने की भावना कूट-कूटकर भरी थी। जब वह छोटे थे, तब एक अध्यापक ने सभी से एक प्रश्न पूछा, ‘‘तुम अपने माता-पिता के साथ कहीं जा रहे हो और रास्ते में तुम्हें शेर मिल जाए, तो तुम क्या करोगे?

सभी ने अपने-अपने ढंग से उत्तर दिए, लेकिन एक बच्चे का उत्तर सुनकर हैरानी से उनकी आंखें फैल गई।

उस बच्चे ने कहा, ‘‘मैं शेर से कहूंगा कि वह मुझे खा जाए, पर मेरे माता-पिता को छोड़ दे।‘‘ यही बालक आगे चलकर महात्मा गांधी के रूप में सर्वप्रिय बन गया।

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