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वरुथिनी एकादशी पूजा विधि – Varuthani ekadashi Pooja Vidhi

वरुथिनी एकादशी पूजा विधि - Varuthani ekadashi Pooja Vidhi

वरुथिनी एकादशी के दिन भक्त भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं। वरुथिनी एकादशी को बरुथनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।

इस दिन भक्त सख्त उपवास रखते हैं और खाना खाने और पानी पीने से परहेज करते हैं। वे दिन ध्यान और प्रार्थना में बिताते हैं। वरुथिनी एकादशी का व्रत 17 अप्रैल, 2023 को सुबह 05 बजकर 54 से सुबह 08 बजकर 28 मिनट तक किया गया।

एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी को बरूथिनी एकादशी कहते हैं। भविष्य पुराण में इसके सम्बन्ध में निम्नलिखित श्लोक मिलते हैं:

द्यूत क्रीड़ा च निद्रा च ताम्बूल दन्तधावनम्।
परापवाद पैशुन्य स्तेय हिंसा तथा रतिम्॥
क्रोध चानृत वाक्य च एकादश्या विवर्जयेत् ॥

एकादशी के व्रत के दिन जुआ खेलना, निद्रा, ताम्बूल, दंतधावन, दूसरे की निंदा, क्षुद्रता, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध और झूठ इन ग्यारह वातो वा त्याग अवश्य करना चाहिए ।

उपर्युक्त नियमो का पालन करते हुए एकादशी का व्रत करने से सब प्रकार के मनस्ताप दूर होते है । व्रत करने वाले को दशमी को यज्ञ मे अर्पण किया जाने वाला हविष्यान्न भोजन करना चाहिए और रात्रि मे जागरण करके अपने परिवार के लोगो के साथ बैठकर भगवान् के नाम का स्मरण और कीर्तन करना चाहिए। इससे मन के विकार दूर होते है ।

वरूथिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

वरुथिनी एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ वरुथिनी एकादशी का उपवास करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु सभी संकटों से छुटकारा दिलाते हैं।

वरुथिनी एकादशी को कल्याणकारी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी वैशाख के महीने में कृष्ण पक्ष में आती है। इस साल वरुथिनी एकादशी 16 अप्रैल को पड़ रही है।

वरुथिनी एकादशी के दिन, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत करने से करोड़ों वर्ष की तपस्या करने के समान पुण्य प्राप्त होता है।

वरुथिनी एकादशी के दिन, लोग दूध या जल का सेवन कर सकते हैं। वे शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ भी खा सकते हैं।

एकादशी व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए?

वरुथिनी एकादशी के दिन अन्न, जल, तिल और सत्तू का दान करना शुभ माना जाता है। इन चीजों का दान सोना, चांदी, हाथी और घोड़ों के दान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। अन्न और जल दान से मानव, देवता और पितृ सभी को तृप्ति मिल जाती है।

शास्त्रों में इन तीन चीजों के दान को कन्या दान के बराबर माना गया है। तिल दान करने से स्वर्ण दान ​जितना शुभ फल मिलता है। सत्तू के दान से वैवाहिक जीवन में मिठास बढ़ती है,वंश वृद्धि होती है। एकादशी के दिन चावल खाने ही नहीं बल्कि इसका दान करने पर भी मनाही है।

क्या एकादशी के दिन चावल दान करना चाहिए?

एकादशी के दिन चावल दान करना वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर है।

इस दिन दान करना अच्छा माना जाता है, लेकिन चावल का दान नहीं करना चाहिए। आप जरूरतमंदों को चावल के अलावा अन्य चीजें दान कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मृत्यु के बाद मोक्ष नहीं मिलता है।

क्या एकादशी व्रत में चाय पी सकते हैं?

हाँ, आप एकादशी के व्रत में चाय पी सकते हैं। आप चाय में अदरक और काली मिर्च भी मिला सकते हैं। चाय पीने से आपका उपवास नहीं टूटेगा, अगर आप चाय बिना चीनी के बनाते हैं।

हरी और काली चाय में प्राकृतिक स्वाद और कैफीन होता है, इसलिए बिना चीनी वाली चाय पीने से आपका उपवास शक्तिशाली हो सकता है। एकादशी के व्रत में आप दूध भी पी सकते हैं। आप शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, बादाम, अदरक और चीनी भी खा सकते हैं।

वरूथिनी एकादशी व्रत किसको करना चाहिए?

सनातन हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार, एकादशी व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसमें कोई लिंग या व्यक्तिगत बाध्यता नहीं है। घर का कोई भी सदस्य, चाहे वह बच्चा, बूढ़ा, जवान, महिला या पुरुष हो, अपनी इच्छा से एकादशी व्रत कर सकता है।

एकादशी व्रत के नियम

  • अगली रात से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • दशमी के दिन से ही मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • दशमी और एकादशी दोनों दिन भोग-विलास से दूर पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और नहा धोकर विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए।
  • अपने क्रोध पर काबू रखना चाहिए।

एकादशी व्रत के लाभ

  • सौभाग्य की प्राप्ति होगी
  • विवाह में आने वाली अड़चनें समाप्त होंगी
  • मोक्ष की प्राप्ति होगी
  • मन स्थिर और शांत रहेगा
  • दीर्घायु और रोगों से मुक्ति मिलेगी
  • खोया हुआ मान-सम्मान और धन-दौलत मिलेगी
  • लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहेगी
  • शत्रुओं से रक्षा होगी

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