X

Biography of Javed Akhtar जावेद अख्तर

Lohri Festival

जावेद अख्तर प्रख्यात कवि एवं गीतकार हैं. वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं और विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं.

जावेद अख्तर की संक्षिप्त जीवनी Short Biography of Javed Akhtar

जावेद अख्तर, भारतीय कवि, गीतकार और पटकथा लेखक हैं. उनकी गिनती देश के शीर्ष कवियों में होती है और उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई बेहतरीन गाने लिखे हैं. अगर उन्हें कलम का जादूगर कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी. जावेद ने सलीम खान के साथ मिलकर 1971 से 1982 के दौर में हिन्दी सिने जगत को कई हिट फिल्में दी हैं.

सलीम-जावेद के नाम से इस जोड़ी ने करीब 24 फिल्मों की पटकथा लिखी और उनमें से 20 फिल्में जबरदस्त हिट रहीं. सलीम-जावेद की सबसे बड़ी हिट फिल्म शोले रही. सलीम खान से अलग होने के बाद से जावेद गाने लिखने लगे और आज वह बहुत सफल गीतकार हैं.

जावेद को उनके बेहतरीन काम के लिए अब तक पद्म श्री, पद्म भूषण, साहित्य एकेडमी और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. वर्ष 2009 में जावेद को राज्य सभा के सदस्य के तौर पर भी मनोनीत किया गया था.

नाम- जावेद अख्तर
जन्म व स्थान-  17 जनवरी, 1945, ग्वालियर (भारत)
व्यवसाय- कवि, गीतकार एवं पटकथा लेखक, शिक्षा ग्रेजुएशन

जावेद अख्तर का शुरुआती जीवन Early Life of Javed Akhtar

वर्ष 1945 में जावेद अख्तर का जन्म ग्वालियर में हुआ था. जावेद के पिता जां निसार अख्तर उर्दू के कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार थे, जबकि उनकी मां साफिया अख्तर गायिका और लेखक होने के साथ ही संगीत की शिक्षिका भी थीं.

लेखन का हुनर जावेद को विरासत में मिला था. उनके दादा मुज्तार खेराबादी भी उर्दू भाषा के कवि थे. बचपन से ही जावेद को घर में ऐसा माहौल मिला जिसमें उन्हें कविताओं और संगीत का अच्छा खासा ज्ञान हो गया.

वैसे उनके माता-पिता उन्हें जादू कहकर पुकारा करते थे. यह नाम उनके पिता की लिखी कविता की एक पंक्ति.. लम्हा, लम्हा किसी जादू का फसाना होगा… से लिया गया था. बाद में उन्हें जावेद नाम दिया गया. बेहद कम उम्र में जावेद की मां का इंतकाल हो गया था और इसके बाद उनके पिता ने दूसरा निकाह कर लिया था.

जावेद कुछ दिन अपने पिता के साथ रहे, लेकिन फिर वह अपने नाना-नानी के घर लखनऊ आ गए. बाद में वह अपनी खाला के घर अलीगढ़ आ गए और वहीं उनकी शुरुआती शिक्षा पूरी हुई. बाद में उन्होंने भोपाल के साफिया कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.

1964 में जावेद काम की तलाश में मुम्बई गए. हालांकि उनके लिए मुम्बई में जीवनयापन करना बेहद मुश्किल था, उनके पास न रहने को जगह थी और न ही खाने के लिए पैसे. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

जावेद ने कई रातें खुले आसमान के नीचे बिताईं. बाद में उन्हें कमाल अमरोही के स्टूडियो में रहने का ठिकाना मिला. फिल्म सेट पर छोटे-मोटे काम करते-करते आखिरकार जावेद को अपना मकाम मिल ही गया और आज वे एक सफल हस्ती हैं.

जावेद अख्तर का करियर Career of Javed Akhtar

जावेद ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म सरहदी लुटेरा से की थी. इस फिल्म में जावेद क्लैपर ब्वॉय के तौर पर काम कर रहे थे. सेट पर उनकी मुलाकात सलीम खान से हुई जो कि उस फिल्म में छोटी सी भूमिका निभा रहे थे. इस फिल्म के निर्देशक एस.एम. सागर को काफी कोशिशों के बावजूद भी संवाद लेखक नहीं मिल रहा था और उनकी यह तलाश अंत में जावेद पर जाकर खत्म हुई.

जावेद जो कि पहले भी कुछ फिल्मों के लिए संवाद लिख चुके थे, उन्होंने तुरंत हां कर दी और इस तरह उनके फिल्मों में लेखन की शुरुआत हो गई. इस फिल्म में साथ काम करते-करते सलीम खान और जावेद की दोस्ती गहरी हो गई.

सलीम, जावेद को नए-नए सुझाव दिया करते थे और जावेद उन पर संवाद लिखा करते थे. सलीम को भी लेखन का अनुभव था, वह निर्देशक अबरार अल्वी के सहायक के तौर पर काम करते थे, वहीं जावेद कवि कैफी आजमी के सहायक हुआ करते थे.

यह भी एक इत्तेफाक ही था कि अबरार और कैफी पड़ोसी थे और उनके घर लगातार जाते रहने से सलीम और जावेद की दोस्ती पनपने लगी. अकेले सफलता न मिलते देख उन दोनों ने जोड़ी के रूप में काम करना शुरू किया.

बस फिर क्या था, यह जोड़ी लगातार सफलता की सीढिय़ा चढ़ती गई. जावेद उर्दू में स्क्रिप्ट लिखते थे और बाद में उसका हिन्दी में रुपांतरण किया जाता था. यह पहली लेखक जोड़ी थी, जिसे स्टार का दर्जा दिया गया.

पटकथा लेखक के रूप में जावेद का सफर Screenplay by Javed Akhtar

70 के दशक में फिल्मों के पोस्टर पर पटकथा लेखक का नाम नहीं हुआ करता था. लेकिन इस जोड़ी के एक के बाद एक हिट देने से इनका नाम पोस्टरों पर छपवाया जाने लगा. इन दोनों ने मिलकर हिन्दी सिनेमा को कई हिट फिल्में दीं.

जिनमें 1971 में आई अंदाज, हाथी मेरे साथी, 1972 में सीता और गीता, 1973 में यादों की बारात, जंजीर, 1975 में दीवार, शोले, 1978 में त्रिशूल व डॉन, 1981 में क्रांति और 1987 में आई मि. इंडिया मुख्य हैं. इनमें से शोले, दीवार, डॉन और मि. इंडिया हिन्दी सिनेमा के लिए मील का पत्थर साबित हुईं.

वर्ष 1987 में आई फिल्म मि. इंडिया के बाद सलीम-जावेद की यह जोड़ी अलग हो गई. हालांकि इससे पहले 1981 में आई यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला से जावेद ने गाने लिखने की शुरुआत कर दी थी.

उन्हें इसमें काफी सफलता मिली. सलीम खान से अलग होने के बाद जावेद ने अपना पूरा ध्यान गाने लिखने पर लगा दिया. साथ ही वे फिल्मों में संवाद भी लिखा करते थे. वर्ष 1999 में साहित्य जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया. वहीं 2007 में जावेद अख्तर को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

जावेद अख्तर का पारिवारिक जीवन Family Life of Javed Akhtar

फिल्म सीता और गीता के सेट पर जावेद की मुलाकात हनी ईरानी से हुई और दोनों में प्यार हो गया. विवाह बंधन में बंधने के बाद जावेद और हनी के दो बच्चे हुए, फरहान और जोया. जावेद अपने पसंदीदा कवि कैफी आजमी के घर अक्सर आया जाया करते थे. इस दौरान उनकी कैफी आजमी की बेटी शबाना आजमी से दोस्ती प्यार में बदल गई.

जब जावेद की पत्नी हनी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने जावेद को छोड़ दिया. तलाक के बाद जावेद ने वर्ष 1984 में अभिनेत्री शबाना आजमी से शादी कर ली. मुस्लिम परिवार में जन्मे जावेद बाद में नास्तिक हो गए और उन्होंने अपने दोनों बच्चों की परवरिश भी ऐेसे ही की है.

जावेद के बेटे फरहान अख्तर सफल निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, लेखक और गायक हैं. फरहान ने दिल चाहता है, लक्ष्य, रॉक ऑन जैसी फिल्में बनाई हैं, वहीं भाग मिल्खा भाग जैसी सुपरहिट फिल्मों में अभिनय भी किया है. वहीं जावेद की बेटी जोया ने जिंदगी न मिलेगी दोबारा जैसी सुपरहिट फिल्म दी है.

जावेद अख्तर को मिले सम्मान और पुरस्कार

  • पद्म श्री 1999
  • पद्म भूषण 2007
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार 2013 कविता संग्रह ‘लावा’ के लिए
  • सर्वश्रेष्ठ संवाद का फिल्मफेयर अवार्ड 1990 मैं आजाद हूं
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड 1991 इक लड़की को देखा (1942 ए लव स्टोरी)
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1996 साज
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड 1997 घर से निकलते ही (पापा कहते हैं)
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1997 बॉर्डर
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1998
    गॉडमदर
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड 1998 संदेशे आते हैं (बॉर्डर)
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2000 रिफ्यूजी
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2001 लगान
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड 2001 पंछी नदिया (रिफ्यूजी)
  • सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड 2002 राधा कैसे न जले (लगान)

क्या आप जानते हैं कि:

प्रसून जोशी को किससे मिली लिखने की प्रेरणा?

नेहा कक्कड़ क्यों आई डिप्रेशन में?

क्या है गुलजार का असली नाम?

इरफान खान ने अपने लंदन के खत में क्या लिखा?

क्या है सिद्धार्थ शुक्ला की मौत का राज?

admin: