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डेंगू बुखार से जुड़ी सभी जानकारियां – Dengue Fever Full Information in Hindi
Dengue Fever Information – कोरोना बीमारी के चलते आज दुनिया में हर आदमी अपनी हैल्थ को लेकर जागरुक हो चुका है। कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं, जो हर साल एक ख़ास समय में दस्तक देती है। इन बीमारियों में से एक है Dengue Fever। हर साल मानसून के समय डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। हजारों की संख्या में लोग बीमार होते हैं और बहुत से लोगों की तो मृत्यु तक हो जाती है। अगर पहले से सावधान रहा जाये और डेंगू बुखार के लक्षण और उपचारों के बारे में जानकारियां जुटा ली जाये, तो इस बीमारी से अपने आप को और अपने परिवार को बचाया जा सकता है।
कैसे होता है डेंगू बुखार- Dengue Fever is caused by ?
जब वायरस वाला एडीज़ मच्छर किसी को काटता है, तो वह व्यक्ति डेंगू की चपेट में आ जाता है। डेंगू का वायरस शरीर में जाने के बाद श्वेत रक्त कणिकायें (White Blood Cells) से जुड़ जाता है और धीरे धीरे पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। श्वेत रक्त कणिकाओं का काम शरीर में होने वाली बीमारियोँ से लड़ना होता है। लेकिन जब वे ही संक्रमित हो जाती है, तो धीरे धीरे मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। वायरस शरीर में तेजी से अपने प्रतिरूप बनता जाता हैं।
पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए यह ज्यादा हानिकारक होता है। डेंगू को लेकर लोगो में यह भ्रान्ति है कि बीमार आदमी के संपर्क में आने से यह रोग स्वस्थ व्यक्ति को भी चपेट में ले लेता है। कोरोना के उलट यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे में साथ रहने से सीधे तौर पर नहीं पहुँचती है। संक्रमित व्यक्ति को जब मच्छर काटते हैं, तो यह संक्रमण मच्छर में पहुंच जाता है और फिर जब या संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटते हैं तो वो व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है।
शरीर पर डेंगू संक्रमण का प्रभाव
डेंगू वायरस शरीर में जाकर लीवर और बोनमेरो पर असर डालता है। बोनमेरो शरीर के लिए श्वेत रक्त कणिकाओं, लाल रक्त कणिकाओं और प्लेटलेट्स का निर्माण करता है। जब वायरस उसके काम में बाधा डालने लगता है, तो प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं। ऐसे में लो ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती हैं और साथ ही प्लेटलेट्स की कमी के कारण रक्तस्राव भी शुरू हो सकता है, क्योंकि प्लेटलेट्स रक्त का थक्का जमाने में अहम् भूमिका निभाते हैं।
डेंगू बुखार के लक्षण – Dengue Fever Symptoms in Hindi
साधारण बुखार की तरह डेंगू में भी शुरू में मरीज़ को बुखार आता है। ज्यादातर लोग इसे आम बुखार समझने की भूल कर लेते हैं। 8 से 10 दिन के बाद डेंगू के लक्षण (Symptoms) सामने आने लगते हैं। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –
- बहुत तेज बुखार
- हड्डियों में तेज दर्द
- उलटी आना
- उलटी और मल मूत्र में खून आना
- सिर में बहुत तेज दर्द होना
- त्वचा पर दाने निकल आना या लाल रंग के निशान बन जाना
डेंगू बुखार के उपचार – Dengue Fever treatment in Hindi
आम तौर पर मरीजों में प्लटेलेट्स की कमी होने लगती है। दवाइयों के साथ डॉक्टर ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं। दवाइयों के साथ कुछ घरेलु नुस्खे भी ऐसे में काफी फायदेमंद होते हैं। इनमे से कुछ नुस्खे इस प्रकार हैं –
पपीते के पत्ते का रस
पपीते के पत्तों को धोकर इनका जूस निकाल कर मरीज़ को थोड़ी थोड़ी मात्रा में देना चाहिए। इससे शरीर में प्लटेलेट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके साथ ही यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
गिलोय का रस
गिलोय को पानी में उबाल कर मरीज़ देना चाहिए। गिलोय की तासीर होती है कि यह मेटाबॉलिज़म को मजबूत बनाता है, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
नारियल पानी
मरीज़ को दिन में 2 – 3 बार नारियल का पानी देने से शरीर हाइड्रेड रहता है। इसमें उपस्थित आवश्यक तत्व जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स शरीर को मजबूत बनाते हैं।
डेंगू से बचाव के तरीके – Prevention from Dengue Fever
ऐसा कहा जाता है कि बचाव उपचार से बेहतर होता हैं “Prevention is better then Cure”. अगर हम कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखे तो डेंगू से सुरक्षित रहा जा सकता है।
- डेंगू मच्छरों से होता हैं तथा इसी कारण से फैलता भी है। मच्छर ठहरे हुये पानी में पनपते हैं। नालियों, कूलर, बाल्टी, गमलों इत्यादि में पानी को नहीं ठहरने देना चाहिए। इनकी नियमित रूप से सफाई करके बचा जा सकता है।
- बाहर निकलते समय पूरी आस्तीन की शर्ट पहने और कोशिश करें कि शरीर का कम से कम हिस्सा खुला हो।
- छोटे बच्चे जब बाहर खेलने निकले तो उनके कपड़ों या शरीर पर एंटी मॉस्किटो लोशन लगा दें।
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