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भगत सिंह की जीवनी Biography of Bhagat Singh in Hindi
भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी और विचारक थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी स्वीकार की. भगत सिंह ने न सिर्फ भारती की आजादी के लिए प्राणों का बलिदान दिया बल्कि युवाओं के लिए खुद को एक रोलमॉडल की तरह स्थापित किया.
उन्होंने न सिर्फ अपने कार्यकलापों से बल्कि अपने विचारों से भारत की पीढ़ियों को प्रेरित करने का काम किया है. उनका जीवन उनकी मृत्यु की तरह ही कई प्रेरक घटनाओं से भरा हुआ है.
संक्षिप्त जीवनी Short Biography of Bhagat Singh
भगत सिंह का जन्म पंजाब में एक सिख परिवार में bhagat singh birthday 27 सितम्बर, 1907 को हुआ. सिर्फ 13 साल की उम्र में ही उन्होंने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.
उन्होंने भारत को आजाद करवाने के लिए गांधी के अहिंसा के मार्ग को छोड़कर सशस्त्र क्रांति के मार्ग को चुना और आखिर में उन्हें अंग्रेज सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और अपने अफसर सांडर्स की हत्या के जुर्म में 23 मार्च को उन्हें फांसी दे दी गई.
आरंभिक जीवन Early life of Bhagat Singh
भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर, 1907 को सिख परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. उनका पूरा परिवार भारत की आजादी की लड़ाई में अपना योगदान कर रहा था. उनके चाचा उधम सिंह ने लंदन जाकर क्रूर जनरल डायर की हत्या कर जलियांवाला बाग हत्याकांड का प्रतिशोध लिया था.
भगत सिंह के जन्म के समय भी उनके पिता एक राजनीतिक आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से जेल में थे. भगत सिंह पर अपने पारिवारिक मूल्यों का प्रभाव पड़ा और 13 साल की उम्र तक आते-आते देश आजाद करवाने के लिए उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया.
उनके बचपन के बारे में एक विख्यात है कि एक दिन भगत सिंह खेत बनाकर उसमें कुछ डंडिया लगा रहे थे. जब उनके दादा ने उनसे पूछा कि वे क्या कर रह हैं तो उनका जवाब था, मैं बंदूक की खेती कर रहा हूं ताकि अंग्रेजों को अपने देश से भगा सकूं.
क्रांतिकारी भगत सिंह
भगत सिंह ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाया. वे आयरलैण्ड की क्रांति से बहुत प्रभावित थे और उनका मानना था कि आयरलैण्ड की तरह ही भारत में भी क्रांति संभव है.
अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने 1926 में नौजवान भारत सभा की स्थापना की और साथ ही हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बने जो बाद में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन बन गया. इसी संगठन में उनकी मुलाकात राजगुरू, सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से हुई.
वैवाहिक जीवन
1927 में भगत सिंह के माता-पिता ने भगत सिंह का विवाह तय करने की कोशिश की. भगत सिंह इससे साफ इंकार कर दिया और जब परिवार का दबाव बढ़ा तो उन्होंने घर छोड़ दिया और देश की सेवा के लिए निकल गये.
क्रांति से फांसी तक का सफर
भगत सिंह को सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 1927 में पहली बार गिरफ्तार किया गया. उन पर बम ब्लास्ट का में शामिल होने का आरोप लगाया गया. कई हफ्तो की छानबीन के बाद जब कोई सबूत नहीं मिलता तो उन्हें रिहा कर दिया गया.
इसके बाद भगतसिंह ने कलम से अलख जगाने का काम शुरू किया और कई अखबारों में लेख लिखे. 1928 में साइमन कमीशन भारत आया. कांग्रेस सहित सभी भारतीय राजनीतिक पार्टियों ने कमीशन का विरोध करने का फैसला लिया. भगत सिंह ने भी लाला लाजपत राय के साथ विरोध मार्च में हिस्सा लिया.
पुलिस ने भीड़ पर लाठी चार्ज किया जिसमें लाला लाजपत राय को बहुत चोट लगी. उन्होंने कहा कि उनके शरीर पर लगने वाली हरेक चोट ब्रिटिश राज के ताबूत की कील साबित होगी. घातक चोटों की वजह से लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई.
इस पुलिस दल का नेतृत्व जेम्स ए. स्काॅट कर रहा था. भगत सिंह ने लाला जी की मृत्यु का बदला लेने की कसम ली और स्काॅट की हत्या की योजना बनाई गई. इस योजना में गड़बड़ी हो गई और स्काॅट की जगह दूसरा पुलिस आफिसर जाॅन पी. सांडर्स मारा गया. भगत सिंह और उनके साथी इसके बाद भूमिगत हो गये और अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे.
अंग्रेज सरकार अप्रेल 1929 में पब्लिक सेफ्टी बिल लेकर आई जिसे काला कानून कहा गया और इसका चैतरफा विरोध हुआ. भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरू तथा सुखदेव ने इस कानून का विरोध करने के लिए सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली मे बम धमाका करने की ठानी और योजना बनाकर इसमें सफलता भी हासिल की.
उन्होंने एसेम्बली के उस हिस्से मे बम विस्फोट किया जहां कोई बैठा हुआ नहीं था. इससे जान का नुकसान नहीं हुआ. भगत सिंह ने कहा कि बहरी सरकार को अपनी बात सुनाने के लिए उन्होंने यह धमाका किया. किसी की जान लेना उनका उद्देश्य नहीं था. उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया.
भगतसिंह को इस धमाके के माध्यम से एक मंच मिल गया और इसके माध्यम से वह अपनी बात जन-जन तक पहुंचाने लगे. भगत सिंह तेजी से लोकप्रिय होने लगे. उन्होंने अपने ट्रायल के दौरान अपने बचाव में कोई तर्क नहीं दिया. उन्हें दोषी करार दिया गया और उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
इसके बाद पड़ताल आगे बढ़ी तो सांडर्स की हत्या का रहस्य खुल गया और उन पर हत्या का मामला दर्ज कर एक बार फिर से मुकद्मा चलाय गया. अपने ट्रायल के दौरान उन्होंने जेल में भारतीय कैदियों की बेहतर सुविधाओं के लिए भूख हड़ताल कर दी. उनकी मांगे मान ली गई. ट्रायल पूरा होने पर उन्हें हत्या का दोषी माना गया और उन्हें अपने साथियों राजगुरू और सुखदेव के साथ फांसी देने का आदेश दिया गया.
भगत सिंह की मृत्यु Death of Bhagat Singh
23 मार्च, 1931 को महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने हंसते-हंसते फांसी को गले लगा लिया. पूरा देश उनकी शहादत पर रोया और भगत सिंह क्रांति के प्रतीक बन गये.
भगत सिंह के कथन Famous Quotes of Bhagat Singh
वे मुझे मार सकते हैं लेकिन मेरे विचारों को नहीं. वे मेरे शरीर का दमन कर सकते है लेकिन मेरी आत्मा का नहीं.
प्रेम सदैव आपके व्यक्तित्व को ऊपर उठाता है. ये कभी आपको नीचा नहीं दिखा सकता इसलिए प्रेम पाने के लिए प्रेम दीजिए.
व्यक्ति को मारना संभव है लेकिन विचार को नहीं.
जिंदगी अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधों का इस्तेमाल सिर्फ मुर्दे करते हैं.
बहरों को सुनाने के लिए तेज चिल्लाना पड़ता है.
मैं मानव हूं और मानववाद को प्रभावित करने वाली हरेक बात मुझे प्रभावित करती है.
हमारे लिए समझौते का मतलब आत्मसमर्पण नहीं है बल्कि यह एक कदम आगे बढ़ने जैसा है.
प्रेमी, पागल और कवि एक ही मिट्टी के बने होते हैं.
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