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apple, iPhone and Steve jobs in hindi- आईफोन और स्टीव जॉब्स

iPhone and Steve jobs in hindi- आईफोन और स्टीव जॉब्स

एपल, आईफोन और स्टीव जॉब्स

आईफोन को बनाने वाली और स्टीव जॉब्स की बनाई हुई एपल दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कम्पनीज में से एक है. इसकी शुरूआत और सफलता का सफरनामा कम दिलचस्प नहीं है. कम्प्यूटर से मोबाइल और स्टीव जॉब्स के उतार-चढ़ाव के साथ इस कंपनी ने अपने ग्राहकों को अपने उत्पादों से हमेशा चौकाया है. आज जबकि मोबाइल हरेक हाथ में है, एपल का आईफोन सिर्फ खास तक सीमित है. आईए जानते है, एपल के सफर के बारे में –

कौन है एपल? Apple inc. in hindi

एपल इंक एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उत्पादों का डिजाइन और निर्माण करता है. एप्पल मैकिन्टौश, आईपॉड और आईफ़ोन जैसे हार्डवेयर उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है.

कंपनी की स्थापना 1 अप्रैल 1976 को हुई और 3 जनवरी 1977 को इसे एप्पल कंप्यूटर इंक के नाम से बनाया गया था. कंपनी नाम से “कंप्यूटर” शब्द 9 जनवरी 2007 को हटा दिया गया था, जिस दिन स्टीव जॉब्स ने पहला आईफ़ोन दुनिया के सामने पेश किया. कंपनी इसके अलावा ऑनलाइन एप्पल स्टोर और आईट्यून्स स्टोर भी चलाती है, जो की दुनिया का सबसे बड़ा संगीत बाज़ार है.

एपल का इतिहास apple and iPhone history in hindi

एप्पल की स्थापना स्टीव जॉब्स, स्टीव वोज़नियाक और रोनाल्ड वेन ने 1 अप्रैल 1976 को, व्यक्तिगत कंप्यूटर किट “एप्पल I” को बेचने के लिए की. एप्पल I, एप्पल का पहला उत्पाद था जिसे एक सर्किट बोर्ड के रूप में कीबोर्ड, मॉनिटर जैसी मूलभूत सुविधाओं के बिना बेचा गया था. इस इकाई के मालिक ने एक कीबोर्ड और एक लकड़ी की एक पेटी खुद ही जोड़ी थी.

यह किट वोज़नियाक हाथ से बनाते थे और इन्हें पहली बार होमब्रीऊ कंप्यूटर क्लब में लोगों के सामने पेश किया गया था. एप्पल I की बिक्री जुलाई 1976 में शुरू हुई और तब उसकी बाज़ार कीमत $666.66 रखी गयी थी. एप्पल को 3 जनवरी 1977 को कंपनी के तौर पर काम करना शुरू किया. कंपनी बनने से पहले ही वेन ने कंपनी में अपना शेयर जॉब्स को अमेरिकी डॉलर $800 के लिए बेच दिया और कंपनी से अलग हो गए.

कंपनी आते ही अमेरिका के बाजार में छा गई और संचालन के पहले पांच वर्षों के दौरान, राजस्व 700% की औसत वृद्धि दर से हर चार महीने में दोगुना होता चला गया. वोज़नियाक द्वारा आविष्कारित एप्पल द्वितीय (एप्पल II) 16 अप्रैल 1977 को पेश किया गया. एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम, विसीकैल्क ने एप्पल द्वितीय के बाज़ार को बढ़ाने में मदद की.

कंपनी ने कॉर्पोरेट एवं व्यापार कंप्यूटिंग बाज़ार में आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट को कड़ी टक्कर देने के उद्देश्य से मई 1980 में एप्पल तृतीय पेश किया. कंपनी का यह प्रयोग सफल रहा.

कंपनी ने और ज्यादा धन जुटाने के लिए 12 दिसम्बर 1980 को, 22 डॉलर प्रति शेयर की कीमत पर आईपीओ लांच कर दिया जिससे एपल एक सार्वजनिक कंपनी बनी. फोर्ड मोटर कंपनी के बाद यह किसी आईपीओ से सबसे अधिक पूंजी सृजन करने वाली कंपनी बनी और इतिहास में किसी भी कंपनी से अधिक, लगभग 300 लोगों को रातों-रात करोड़पति बनाया.

मैकिन्टौश का जादू Macintosh in Hindi

एप्पल ने 1983 में “एप्पल लिसा” लांच किया. लिसा ग्राफीक इंटरफेस (जीयुआई) के साथ बेचा जानेवाला पहला पर्सनल कंप्यूटर था. परंतु ऊँची कीमत और सीमित सॉफ्टवेयर की वजह से लिसा को बाजार में विफलता का सामना करना पड़ा.

इस कदम से कंपनी को झटका लगा. इससे उबरने के लिए उसने 1984 में पहला मैकिन्टौश बाज़ार में उतारा. इसकी घोषणा एक $1.5 मिलियन डॉलर के टीवी विज्ञापन “1984” के द्वारा की गयी. रिडली स्कॉट द्वारा निर्देशित इस विज्ञापन को एक “मास्टरपीस” एवं एप्पल की सफलता में अब एक मील का पत्थर माना जाता है.

शुरूआती दौर में मैकिन्टौश की बिक्री अच्छी थी, पर ऊँची कीमत और सीमित सॉफ्टवेयर के कारण आगे की बिक्री कमज़ोर ही रही. मैकिन्टौश किसी भी प्रोग्रामिंग भाषा के बिना बेचा जाने वाला पहला पर्सनल कंप्यूटर था.

उचित मूल्य के प्रथम पोस्टस्क्रिप्ट लेजर प्रिंटर “लेज़रराइटर”, एवं डेस्कटॉप प्रकाशन सॉफ्टवेयर पेजमेकर के आगमन ने मैकिन्टौश की किस्मत बदल दी. माना जाता है कि उन्नत ग्राफिक्स क्षमता रखने वाले मैकिन्टौश एवं इन दोनों उत्पादों ने ही डेस्कटॉप प्रकाशन बाज़ार की नीव रखी.

एपल की आपसी खींचतान

1985 में जॉब्स और दो साल पहले नियुक्त किये गए सीईओ जॉन स्कली के बीच सत्ता संघर्ष सामने आया. एप्पल के निदेशक मंडल ने स्कली को जॉब्स द्वारा अपरीक्षित उत्पादों पर किये जा रहे खर्च को सीमित करने के निर्देश दिए. स्कली की बात मानने के विपरीत जॉब्स ने उन्हें एप्पल में नेतृत्व की भूमिका से बेदखल करने की कोशिश की.

स्कली को जॉब्स के इस प्रयास का पता चल गया और उन्होंने निदेशक मंडल की बैठक बुलाई. निदेशक मंडल ने स्कली का साथ देते हुए जॉब्स को प्रबंधकीय कर्तव्यों से मुक्त कर दिया. इसके बाद जॉब्स ने एप्पल से इस्तीफा दे दिया और फिर उसी वर्ष नेक्स्ट इंक की स्थापना की. स्टीव जॉब्स का जाना एपल के लिए बड़ा झटका था.

1989 में मैकिन्टौश पोर्टेबल पेश किया गया, जिसकी क्षमता डेस्कटॉप मैकिन्टौश के समान थी पर वज़न 7.5 किलोग्राम (17 पौंड) होने के कारण यह काफी भारी था. इसकी बैटरी लाइफ 12 घंटे की थी. मैकिन्टौश पोर्टेबल के बाद एप्पल ने बाज़ार में पॉवरबुक उतारा.

पॉवरबुक एवं अन्य उत्पादों की सफलता से एप्पल के राजस्व में बढ़ोतरी हुई. कुछ समय तक चले इस असाधारण सफलता के दौर में एप्पल एक के बाद एक नए उत्पादों को बाज़ार में उतार रहा था और इससे कंपनी के मुनाफे में लगातार वृद्धि हो रही थी. मैकअडिक्ट नामक एक पत्रिका ने से 1989 और 1991 के बीच की इस अवधि को मैकिन्टौश का पहला “स्वर्ण युग” घोषित किया.

पतन से सफलता की ओर एपल और स्टीव जॉब्स

एप्पल ने डिजिटल कैमरा, पोर्टेबल सीडी ऑडियो प्लेयर, स्पीकर, वीडियो कंसोल और टीवी उपकरणों सहित कई अन्य उपभोक्ता केन्द्रित उत्पादों के साथ प्रयोग किया, जो कि असफल साबित हुए. जॉन स्कली ने बाजार में एपल को स्थापित करने के लिए ढेरों प्रयास किए लेकिन वे असफल रहे.

अंततः सभी उत्पाद एप्पल की स्थिति में सुधार करने में नाकाम रहे और बाज़ार में एप्पल की हिस्सेदारी और शेयर कीमतों में गिरावट जारी रही. एप्पल II श्रृंखला का उत्पादन बहुत महंगा साबित हो रहा था और इस श्रृंखला के कारण मैकिन्टौश की बिक्री छीनती चली जा रही थी. इधर विंडोज़ के साथ माइक्रोसॉफ्ट की बाज़ार में हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही थी.

विंडोज़ का ध्यान सस्ते पर्सनल कंप्यूटरों के लिए सॉफ्टवेयर पहुँचाने में केंद्रित था, जबकि एप्पल उत्कृष्टता पर ध्यान केन्द्रित करते हुए मंहगे उत्पाद बाजार में उतार रहा था. 1994 में एप्पल ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ एप्पल लिसा के समान ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का उपयोग करने के लिए कॉपीराइट का उल्लंघन का मुकदमा दायर किया.

सालों तक घसीटे जाने के बाद अंत में मुक़दमे को खारिज कर दिया गया. इसके साथ ही उत्पादों में बड़ी नाकामयाबी और समय सीमायें चूकने के कारण एप्पल प्रतिष्ठा को काफी क्षति पहुंचाई. इसके पश्चात स्कली के स्थान पर माइकल स्पिंडलर को कंपनी का सीईओ बना दिया गया.

सन् 1996 मे एप्पल की बाजार में हालत बिगड़ गई तब स्टीव, नेक्स्ट कम्प्यूटर को एप्पल को बेचने के बाद वे एप्पल के चीफ एक्जिक्यूटिव आफिसर बन गये. सन् 1997 से उन्होंने कंपनी में बतौर सी°ई°ओ° काम किया 1998 मे आइमैक बाजार में आया जो बड़ा ही आकर्षक तथा अल्प पारदर्शी खोल वाला पी°सी° था, उनके नेतृत्व मे एप्पल ने बडी सफलता प्राप्त की.

सन् 2001 मे एप्पल ने आई पॉड का निर्माण किया. फिर सन् 2001 मे आई ट्यून्ज़ स्टोर क निर्माण किया गया. सन् 2007 में एप्पल ने आई फोन नामक मोबाइल फोन बनाये जो बड़े सफल रहे. 2010 मे एप्पल ने आइ पैड नामक टैब्लेट कम्प्यूटर बनाया. सन् 2011 में स्टीव जॉब्स ने सी ई ओ के पद से इस्तीफा दे दिया पर वे बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे.

स्टीव जॉब्स की मृत्यु

वर्ष 2003 में स्टीव जॉब्स को पता चला कि उन्हें पैंक्रियाज कैंसर हो गया है. स्टीव ने अपनी इस बीमारी पर विशेष ध्यान नहीं दिया और​ जिस तरह से इलाज किया जाना चाहिये था, उस तरह से उनका इलाज नहीं हो पाया. वे लंबे समय तक इस बीमारी के साथ संघर्ष करते रहे. अपने आखिरी दिनों में उनका ध्यान तकनीक से ज्यादा दर्शन पर हो गया. आखिर में उन्होंने 5 अक्टूबर 2011 को पालो आल्टो, कैलीफोर्निया में अंतिम सांस ली. उनकी मृत्यु पर अमेरिका सहित पूरी दुनिया में शोक व्यक्त किया गया.

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