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शिव पार्वती का पुनर्मिलन है तीज का त्यौहार
एक बहुत ही पुरानी और प्रचलित कहावत है की ’तीज त्यौहारां उबरी ले बैठी गणगौर’ अर्थात तीज के त्यौहार Teej Festival के साथ ही फेस्टिवल्स की शुरुआत हो जाती है. तीज के बाद राखी, गोगा नवमी, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दिवाली, नया साल, मकर सक्रांति, शिवरात्रि, होली और गणगौर के त्यौहार के साथ फेस्टिवल का दौर थम जाता है.
सावन के खुशनुमा मौसम में आने वाला यह त्यौहार जीवन में आंनद की अनुभूति लेकर आता है. भारत के कई राज्यों में यह त्यौहार सावन की तीज के नाम से भी प्रसिद्ध है. सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है.
महिलाएं इस त्यौहार को बड़े ही हर्ष और उल्लास से मानती है, कई जगह मेले लगते है, इस दिन सजी-धजी महिलायें झुंड में घूमती हुई सखियों के साथ झूले खाते हुए त्यौहार मनाती हैं. हर वर्ष की भांति वर्ष 2019 में भी तीज का त्यौहार सावन के महीने में 3 अगस्त को मनाया जाएगा.
तीज का महत्व – Significance of Teej
विशेष है तीज की पूजा – Teej Pooja
तीज की भव्य सवारी – Grandiose Procession of Teej
तीज के दिन कई जगह तीज की भव्य और मनमोहक सवारी निकलती हैं और मेले भरते हैं. राजस्थान के उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी में मनाए जाने वाले तीज का त्यौहार बहुत ही आकर्षक होता है. वहीं तीज के अवसर पर जयपुर के सिटी पैलेस से निकलने वाली तीज की सवारी विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं.
सिटी पैलेस से छोटी चौपड़, गणगोरी बाजार होते हुए ताल कटोरा के रास्ते तक लोग छतों पर चढ़ कर तीज माता के दर्शन करते हैं. विदेशी सैलानी भी इस त्यौहार का मजा लेने के लिए जयपुर में एकत्रित होते हैं और मेले का आनंद लेते हैं.
तीज से जुड़ा है सिंजारा मेहंदी उत्सव – Sinjara and Mehandi Festival
तीज है शिव पार्वती का पुनर्मिलन – Teej and Shiv Parvati
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