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Biography of Manohar Parrikar मनोहर पर्रीकर

Biography of Manohar Parrikar मनोहर पर्रीकर

मनोहर पर्रीकर की जीवनी    Biography of Manohar Parrikar

मनोहर पर्रीकर Manoher Parikar गोवा Goa के 10 वें मुख्यमंत्री थे. भारतीय राजनीति में साफ़ छवि और सादगी पसंद मनोहर पर्रीकर ने आइआइटी IIT से इंजीनियरिंग की उपाधि लेने के बाद भी राजनीति के माध्यम से समाज सेवा का काम किया.

गोवा के मुख्‍यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री तक का सफर मनोहर पर्रीकर के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भरा और रोचक रहा. वे युवाओं के रोल मॉडल और अपने आदर्शों के लिए जाने जाते थे.

मनोहर पर्रिकर की संक्षिप्त जीवनी Short Biography of Manohar Parrikar

मनोहर पर्रीकर भारतीय राजनीतिज्ञ थे और उन्होंने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया. वे 1994 में पहली बार गोवा विधानसभा में विधायक के रूप में चुने गए. मनोहर पर्रीकर 24 अक्टुबर 2000 को पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने थे. मनोहर पर्रीकर पहले IIT ग्रेजुएट हैं जो भारत के किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

मनोहर पर्रिकर का जन्म गोवा के मपुसा में हुआ था. गोवा में जन्मे और पले बड़े मनोहर पर्रीकर सादगी में विश्वास रखते हैं. वह सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करना पसंद करने वाले स्वच्छ छवि के नेता है.

राजनीति के साथ निजी जीवन जीवन में अनेको परेशानियों का सामना कर चुके पर्रिकर की पत्नी का निधन कैंसर के कारण हो गया था.  मनोहर पर्रीकर खुद भी अग्नाशय कैंसर से पीड़ित रहे और इस बीमारी  के कारण उनका 17 मार्च 2019 को निधन हो गया.

मनोहर पर्रिकर का स्वास्थ्य Health of Manohar Parrikar

वर्ष 2018 की शुरुआत में मनोहर पर्रिकर को अग्नाश्य में सूजन की शिकायत के चलते गोवा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था. लेकिन हालत बिगड़ने की वजह से उन्हें गोवा से शिफ्ट कर मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

बाद में जांच के दौरान एडवांस्ड स्टेज केपैंक्रिएटिक कैंसर (अग्नाश्य का कैंसर) का पता चलने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर इलाज के लिए 3 महीने तक अमेरिका भी रहे. भारत लौटने के बाद पुनः मुंबई के लीलावती और गोवा के अस्पतालों में इलाज चला.

अमेरिका में इलाज के दौरान मनोहर पर्रिकर ने भावुकता में सोशल मीडिया में एक चिट्ठी भी लिखी थी. जिसके बाद पर्रिकर के चाहने वाले लोगे काफी चिंतित हुए और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करने लगे. लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ.

मनोहर पर्रीकर का शुरुआती जीवन Early Life of Manohar Parrikar

मनोहर पर्रिकर का पूरा नाम मनोहर गोपालकृष्‍ण प्रभु पर्रीकर है. मनोहर पर्रीकर का जन्‍म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में हुआ था.इनके पिता का नाम गोपाल कृष्‍ण पर्रीकर और माँ का नाम राधा बाई पर्रिकर है. पर्रीकर ने अपनी स्‍कूल की शिक्षा मारगाव में पूरी करने के बाद आई.आई.टी. मुम्बई से इंजीनियरिंग और 1978 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.

मनोहर पर्रीकर का राजनीतिक सफर Political Career of Manohar Parrikar

अपने स्कूली समय से ही मनोहर पर्रीकर RSS के सक्रिय सदस्य थे. समय के साथ -साथ पर्रिकर ने RSS में मिले दायित्व का निर्वहन पूरी ज़िम्मेदारी से किया. पर्रीकर ने राम जन्मभूमि आन्दोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी. पर्रिकर गोवा की महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी से लड़ने के लिए साल 1988 में RSS से बीजेपी में आ गये और 1994 में पहली बार गोवा से MLA का चुनाव लड़ और विजयी हुए.

साल 1999 में 6 महीने के लिए उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया. साल 2000 में गोवा के विधानसभा चुनाव में पारिकर ने जीत हासिल कर पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री होने का गौरव हासिल किया लेकिन 16 महीने का उनका कार्यकाल 27 फरवरी 2002 तक ही चल पाया. जून 2002 में पर्रिकर एक बार फिर विजयी रहे और दुसरी बार गोवा के मुख्यमंत्री बने.

जनवरी 2005 में BJP के चार MLA के रिजाइन करने के कारण उनकी सरकार अल्प मत में आ गई और कांग्रेस के प्रतापसिंह राणे गोवा के नये मुख्यमंत्री बने. 2007 में हुऐ चुनाव में बीजेपी की हार हुई. 5 साल बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सहयोगी पार्टियों की मदद से BJP सत्ता में आई और मनोहर पर्रिकर एक बार फिर गोवा के मुख्यमंत्री बने.

लेकिन साल 2014 में गोवा का मुख्यमंत्री पद छोड़कर उन्हें मोदी सरकार में 9 नवंबर 2014 को रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया.(इस दौरान वे उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुने गए) जहां उनके काम करने के तरीके को सभी ने सहारा. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक जैसी बड़ी सैन्य करवाई भी पर्रिकर के रक्षा मंत्री रहते ही हुई थी.

राजनीती अस्थिरता वाले गोवा में साल 2017 के हुए विधान सभा चुनाव में गोवा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने पर जब बीजेपी ने सहयोगी पार्टी और निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद शुरू की तो सभी ने इस बात पर अपनी सहमति दी की यदि बीजेपी मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाये तो वे बीजेपी के साथ मिल कर गोवा में सरकार बनाने में सहयोग करगे.

गोवा के नेताओ की मांग को ध्यान में रखते हुए पर्रिकर को कैबिनेट से रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिलवा कर 14 मार्च 2017 को एक बार फिर गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया.

मनोहर पर्रिकर का पारिवारिक जीवन Family Life of Manohar Parrikar

मनोहर पर्रिकर का विवाह मेधा पर्रिकर के साथ हुआ था. उनके दो बटे है. उत्पल पर्रिकर और अभिजात पर्रिकर, मनोहर पर्रिकर की पत्नी मेधा पारिकर का साल 2001 में कैंसर की वजह से निधन हो गया था. पर्रिकर के पुत्र उत्पल पर्रिकर इलेक्ट्रिकल इंजिनियर हैं और अभिजात पर्रिकर बिजनसमैन हैं.

अमेरिका के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान जो चिठ्ठी पर्रिकर ने लिखी थी उसका हिंदी रूपांतरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है:

जीवन ने मुझे राजनीति में बहुत सम्मान दिलाया जो मेरे नाम का पर्याय बन गया. हालांकि मैंने इस बात पर अब ध्यान दिया कि काम के अलावा मैंने कभी आनंद के लिए समय नहीं निकाला.

सिर्फ मेरा पॉलिटिकल स्टेटस ही हकीकत रहा. आज बिस्तर पर पड़े हुए मैं अपने जीवन के बारे में सोच रहा हूं लोकप्रियता और धन…और मुझे यही जीवन में मील के पत्थर लगते थे, मौत का सामना करते हुए ये सब निरर्थक लग रहे हैं.

हर सेकेंड के साथ मौत मेरी ओर चुपचाप बढ़ रही है, मैं अपने आसपास जीवन-रक्षक मशीनों की हरी बत्ती देख रहा हूं, उनके शोर से मैं मौत से नजदीकी को महसूस कर रहा हूं.

इस कठिन घड़ी पर मुझे समझ में आ रहा है कि जीवन में पैसा और रुतबा इकट्ठा करने के अलावा और भी बहुत कुछ है… समाज-सेवा और हम जिन्हें पसंद करते हैं उनके साथ रिश्ते निभाना ऐसी चीजें हैं जिसमें हमें चूकना नहीं चाहिए. मैं यह महसूस करता हूं कि जितनी भी राजनीतिक सफलता मैंने अर्जित की है, मैं अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाऊंगा.

यह बीमारी का बिस्तर ही सबसे एक्सक्लूसिव बेड है क्योंकि इसे आपके अलावा कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता. आपके पास नौकर, ड्राइवर, काम करने वाले और आपके लिए कमाने वाले हो सकते हैं लेकिन आपकी बीमारी कोई साझा नहीं करेगा. सबकुछ पाया और कमाया जा सकता है लेकिन वक्त लौटकर नहीं आता.

जब आप जीवन की दौड़ में सफलता के पीछे भागते हैं तो आपको अहसास होना चाहिए कि कभी न कभी आपको इस नाटक के आखिरी हिस्से में पहुंचना होगा जहां शो का लास्ट सबके सामने है.

इसलिए… सबसे पहले अपनी देखभाल करना सीखें, दूसरों की केयर करें, अपना पैसा और भावनाएं अपने आसपास के लोगों पर खर्च करना सीखें. जब एक बच्चा पैदा होता है तो वह रोता है और जब मरता है दूसरे रोते हैं इसलिए दोस्तों आखिरी दिन से पहले खूब खुश हो लें

मनोहर पर्रिकर….

मनोहर पर्रिकर और विवाद Manohar Parrikar and controvarcy

मनोहर पर्रिकर ने अपने राजनीति जीवन में अनेकों ऐसे बयान दिए जिनको लेकर उनकी कड़ी आलोचना भी हुई अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेतालाल कृष्ण आडवाणी को ‘पुराना अचार’ बताने वाले उनके विवादास्पद बयान से सभी को चौका दिया था.

मनोहर पर्रिकर की व्यापक रूप से आलोचना हुई जब वह अपने 37 सदस्यों के एक दल को लेकर ऑस्ट्रिया, जर्मनी और इटली के लिए यूरोपीय अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों और प्रथाओं को देखने गए थे. इस यात्रा का की लागत लगभग 1 करोड़ आई थी.

2014 फीफा विश्व कप में भाग लेने के उन्होंने 6 विधायकों को दावत दी थी, जिसकी लगभग 89 लाख का खर्च आया था. प्रतिनिधिमंडल में किसी भी फुटबॉल विशेषज्ञ को शामिल नहीं करने और जनता के पैसे को बर्बाद करने के लिए उनकी काफी आलोचना की गई थी.

मनोहर पर्रिकर ने आमिर खान पर (किरण राव और आमिर खान के पाकिस्तान जाने वाले बयान पर) भी बिना नाम लिये टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह बेहद घमंड भरा और निराशाजनक बयान है. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि कोई इस तरह का बयान देता है तो उसे सबक सिखाना चाहिए.

मई 2015 में मनोहर पर्रिकर ने एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में कहा ‘हमें आतंकियों को आतंकियों के सहारे से ही ख़त्म करना होगा। हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? हमें ऐसा करना चाहिए.

पर्रिकर ने यह बयान ऐसे समय में दिया था जब पाक की ओर से आरोप लगाया जा रहा था कि भारत अपनी खुफिया एजेंसी रॉ के जरिये बलूचिस्तान में आतंक को बढ़ावा दे रहा है कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना था कि कूटनीतिक दृष्टि से इसका भारत की छवि पर बहुत बुरा असर पड़ा है.

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