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Sai Baba Quotes- जैसा कर्म वैसा ही कर्म फल
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sai baba Quotes- पृथ्वी का सबसे सुंदर रूप है मां
औरत इंसान के जीवन में कई रूपों और रिश्तों में आती है. मां, बहन, बेटी लेकिन पृथ्वी का सबसे सुंदर रूप है- मां. प्रेममयी, करूणामयी, ममतामई मां. अपनी संतान के लिए जीने वाली मां. मालिक इस मां को सलाम. सबका मालिक एक.
sai baba Quotes- हमेशा सत्य की जीत
असत्य कभी सत्य पर जीत हासिल नहीं कर सकता क्योंकि हमेशा एक को तुम गुमराह कर सकते हो, सबको नहीं. जब नास्तिक और आस्तिक का सामना होता है तो शुरू में नास्तिक आस्तिक का मजाक उड़ाता है, पर आखिर में आस्तिक के चेहरे पर ही मुस्कुराहट दिखती है क्योंकि आस्तिक ईश्वर के अस्तित्व को मानता है मगर नास्तिक ईश्वर के अस्तित्व को ही चुनौती देता है. ईश्वर को आंख दिखाता है, ईश्वर के सामने ही सीना तान के चलता है. यह ठीक नहीं. ईश्वर के अस्तित्व को समझो, मालिक की कृपा पाओ. सबका मालिक एक.
sai baba Quotes- इंसान की जिंदगी क्या है?
इंसान की जिंदगी क्या है? जन्म और मृत्यु के बीच का फासला, यही इंसान की यात्रा होती है. इंसान को अपनी यात्रा सफल करनी चाहिए. उसे इस यात्रा में इतने शत्रु मिलते हैं कि वह अपनी यात्रा सफल नहीं कर पाता है. भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि इस वृक्ष की जड़े ऊपर हैं और पेड़ के पान, फूल, फल नीचे की तरफ है. इसका मतलब है कि भगवान ऊपर और इंसान नीचे है. आसक्ति फासले बढ़ाती है, भक्ति फासले मिटाती है. इंसान के लिए मालिक की कृपा पाना ही सफलता है. सबका मालिक एक.
होनी को बदलना नहीं, टालना सीखो
नसीब में लिखा हुआ कोई बदल नहीं सकता. अपने कर्म के अच्छे-बुरे फल सभी को भुगतने पड़ते हैं. जो गिर पड़ा है उसे उठाया जा सकता है लेकिन जो दूसरों की नजर में गिरता है, उसे उठाया नहीं जा सकता. झूठ का साथ देने वाले इंसान कभी अच्छे नहीं होते. जहां सच है, वहां विश्वास है और जहां विश्वास है, वहां सफलता है, स्वर्ग है, मालिक भी है. ऐसे सच का साथ देने वाले गिर कर भी उठते हैं. सबका मालिक एक है.
हर दर्द, संकट या बीमारी की दवा है ‘उदी’
मेरे हाथ में क्या है? भस्म। जिसे हम उदी कहते हैं. यह उदी हमें क्या सिखाती है. यह हमें शिक्षा देती है कि अंत में इंसान का शरीर पंच महाभूतों में विलीन होकर भस्म होता है. मैं अपने भक्तों से दक्षिणा लेता हूं. दक्षिणा का मतलब है त्याग. यह उदी वैराग्य का प्रतीक है और दक्षिणा त्याग का. त्याग और वैराग्य के बिना भवसागर पार नहीं होता. सबका मालिक एक.
मन में विश्वास है तो पत्थर में भी भगवान नजर आता है
जिनके मन में विश्वास है, उन्हें पत्थर में भी भगवान नजर आते हैं. जिनके मन में विश्वास नहीं होता, उन्हें सामने खड़े भगवान भी पत्थर नजर आते हैं. श्रद्धा विश्वास का ही दूसरा रूप है. जहां श्रद्धा है, वहां विश्वास नजर आता है और जहां विश्वास है, वहां ही श्रद्धा होती है. ईश्वर, भगवान, मालिक को पाने के लिए श्रद्धा और भक्ति की आंख ही चाहिए. ईश्वर निर्विकार है, उन्हें विकारों के अधीन होकर नहीं देखा जा सकता है. सबका मालिक एक.
मालिक के घर है देर है, अंधेर नहीं
मालिक के घर देर है, अंधेर नहीं. अरे इंसान जान ले किसी का बुरा मत सोचना, किसी का बुरा मत करो. किसी के साथ बुरा व्यवहार मत करो वरना उसके कर्मों का हिसाब होने वाला है. मालिक के पास सब लेखा-जोखा होता है. जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा. सबका मालिक एक.
विकारों को जगाती है लालसा
लालसा यानि अभिलाषा. लालसा चाहे पैसों की हो, जमीन, जायदाद या औरत की हो वो कभी पूरी नहीं होती है. लालसा इंसान के मन में कुंभकर्ण की तरह सोये हुए अहंकार और अविवेक क्रोध, द्वेष आदि विकारों को जगाती है. लालसा कभी पूरी नहीं होती. एक पूरी कर दो तो दूसरी नाग के फन की तरह मन के दरवाजे पर दस्तक देती है इसलिए कहता हूं कि मालिक की भक्ति में दिल लगाओ फिर यह चंचल मन भटकेगा नहीं. मालिक की कृपा से यह अभिलाषा से छुटकारा पाएगा. अभिलाषा कभी खत्म नहीं होती इसलिए लालसा को छोड़ दो. सबका मालिक एक.
पैसा सब दुखों का कारण
पैसों का इतना घमंड मत करो. तुम मालिक को खरीदने की बात कर रहे हो. इसका मतलब है कि तुम्हारी अक्ल खो गई है. पैसों के पीछे इतना भागोगे तो एक दिन भागना ही पड़ेगा. वाह रे मालिक कब समझेगा यह इंसान. किसी दूसरे के लिए गड्ढा खोदने का मतलब है अपने लिए कब्र खोदना. सबका मालिक एक.
मालिक हर बीमारी की दवा
जब संदेह, संशय और शंका रूपी राक्षस इंसान के मन में आक्रमण कर दे तब इंसान का मन सशक्त नहीं रहता. इस संदेह, संशय की वजह से भाई-भाई नहीं रहता, रिश्ता और रिश्तेदार भी नहीं रहते. यह संदेह की आग सबको जला देती है. रिश्ते और रिश्तेदार सबको खत्म कर देती है इसलिए अपना मन सुदृढ़ रखों और सुदृढ़ मन के लिए भगवान की पूजा करो. तब तुम्हारा मन सुदृढ़ होगा और सुदृढ़ मन में शंका, संशय, संदेह की कोई जगह नहीं होती इसलिए हमेशा मालिक की पूजा करो. सबका मालिक एक.
अनाथों का नाथ साईंनाथ
मैं अपने भक्तो का दास हूं. भक्ति में निवास करता हूं जो भी मेरी भक्ति करता हूं, उनका मैं उद्धार करता हूं. अनन्य भाव से जो मेरी शरण में आता है, मैं उनके जीवन में खुशियां डाल देता हूं. जिसका जैसा भाव वैसा मैं फल देता हूं. जो श्रद्धा और विश्वास से मुझे पुकारे मेरा भक्त जहां भी हो मैं वहां जाता हूं. उन पर सदा मेरी कृपा बनी रहती है. सब पर मेरा ध्यान होता है. भक्ति से समर्पित एक फल, फूल, पौधा, पत्ता या आंसू मुझे सबसे प्रिय हैं. जो मेरे भक्त हैं, मैं हमेशा उनके साथ रहता हूं. मैं अपने भक्तों में कभी फर्क नहीं करता. सबका मालिक एक.