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बिटक्वाइन से कैसे कमाते हैं पैसे?
बिटक्वाइन की स्थापना से ही ऐसा माना जा रहा था कि सतोशी नाकामोटो नामक छद्मनाम वाला एक ऑस्ट्रेलियाई कम्प्यूटर साइंटिस्ट बिटक्वाइन का आविष्कारक है लेकिन इस व्यक्ति का सही परिचय अब तक सामने नहीं आया था.
1 मई 2016 को ब्रिटिश न्यूज़ चैनल बीबीसी न्यूज़ ने खुलासा किया कि क्रेग राइट नामक एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ने अब यह स्वीकार कर लिया है कि वह ही बिटक्वाइन का वास्तविक आविष्कारक तथा संस्थापक है तथा वही अभी तक सतोशी नाकामोटो नामक छद्मनाम से अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहा था.
बीबीसी के अनुसार उसे अपनी पहचान को इसलिए सार्वजनिक करना पड़ा है ताकि बिटक्वाइन को लेकर चल रही अफवाहों को रोका जा सके। राइट ने अपने दावे को पुष्ट करने के लिए क्रिप्टोग्राफिक कीज़ की मदद से डिज़िटल साइन करके भी दिखाया, जिस पद्धति का इस्तेमाल बिटक्वाइन के शुरूआती दिनों में किया जाता था.
उल्लेखनीय है कि बिटक्वाइन तमाम व्यापारियों तथा प्रोफेशनल्स द्वारा अपनाए जाने के बावजूद खुदरा लेन-देन में कोई विशेष स्वीकार्यता नहीं हासिल कर पाई है। वहीं तमाम वित्तीय संस्थाओं जैसे यूरोपीय बैंकिंग अथॉरिटी ने इसका इस्तेमाल अपराधियों तथा आतंकियों द्वारा किए जाने की चेतावनी भी दी है।
बिटक्वाइन एक डिज़िटल करेंसी है जिसके प्रचलन को किसी वित्तीय संस्था अथवा वित्तीय मध्यस्थ जैसे बैंक के बजाय प्रयोगकर्ताओं द्वारा एक पारस्परिक पियर-टू-पियर प्रणाली के माध्यम से किया जाता है.
क्या है बिटक्वाइन? What is Bitcoin?
बिटक्वाइन एक नई और डिजिटल मुद्रा है। कंप्यूटर नेटवर्किंग पर आधारित भुगतान हेतु इसे निर्मित किया गया है। इसका विकास सातोशी नकामोतो नामक एक इंजीनियर ने किया है।
सातोशी का यह छद्म नाम है। मानव सभ्यता के इतिहास में किसी भी वस्तु के लेन-देन के लिए मुद्रा का चलन बहुत बाद में शुरू हुआ। फिर कई पायदानों से गुजरते हुए मौजूदा मुद्रा व्यवस्था का सृजन हुआ।
आज के डिजिटल युग में अब एक वरचुअल मुद्रा यानी बिटक्वाइन का प्रचलन शुरू हो गया है। यह एक विकेंद्रीकृत और साथियों के बीच की डिजिटल मुद्रा और भुगतान का नेटवर्क है।
यह पूरी तरह इस विश्वास पर कायम है कि बिटक्वाइन की एक कीमत है। पारंपरिक मुद्राओं के उलट, यह किसी देश या बैंक से नहीं जुड़ा होता है, न ही इसका कोई भंडार (रिजर्व) होता है। मूल्य पर नहीं, भरोसे पर आधारित बिटक्वाइन पूरी तरह आपसी प्रतिष्ठा पर आधारित है और इसका व्यापार वेबसाइट पर होता है।
यह मुद्रास्फीति के ऊपर और नीचे होने से भी मुक्त है। ब्याज दर और बाज़ार के उतार-चढ़ाव का भी इस पर असर नहीं होता है, बल्कि इसकी कीमत वितरण में आयी बिटक्वाइन की संख्या से ही तय होती है।
बिटक्वाइन के वितरण की उच्चतम संख्या 210 लाख तक रखी गयी है। वैसे भी सभी मुद्राओं का आधार एक तरह का सहमति-जन्य मतिभ्रम होता है। बिटक्वाइन के इस्तेमाल के लिए तो इसकी सबसे अधिक जरूरत होती है।
यह डिजिटल टोकन पर चलने वाली मुद्रा है, जिनका वास्तव में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होता है। किसी केंद्रीय व्यवस्थापक पर विश्वास करने के बजाय यह सबसे अधिक भरोसे पर आधारित होता है।
यह एक ऐसे ट्रांजेक्शन-लेजर पर काम करता है, जिसको मुद्रा के इस्तेमाल करने वाले संयुक्त तौर पर इसका नियंत्रण करते हैं। इस लेजर/ बही को क्रिप्टोग्राफिक तरीके से जांचा जाता है।
बिटक्वाइन की वेबसाइट के मुताबिक, बिटक्वाइन किसी मोबाइल एप या कंप्यूटर प्रोग्राम से अधिक कुछ भी नहीं है, जो एक व्यक्तिगत बिटक्वाइन वॉलेट मुहैया कराता है। यह इस्तेमाल करने वाले को इसके तहत बिटक्वाइन भेजने और लेने में सक्षम बनाता है। बिटक्वाइन भी लेन-देन के जरिये ही ख़रीदे जाते हैं।
कैसे काम करता है बिटक्वाइन? How Bitcoin Works?
इस प्रक्रिया में पहले तो एक एकाउंट बनाया जाता है, फिर उस एकाउंट में फंड का ट्रांसफर किया जाता है, ताकि बिटक्वाइन ख़रीदे जा सकें। इसका लेन-देन व्यवस्था के प्रतिभागियों द्वारा लगभग शून्य भुगतान पर किया जाता है।
इसमें किसी दूसरे मध्यस्थ या तीसरे भरोसेमंद पार्टी की जरूरत भी नहीं होती है। भुगतान एक बार करने के बाद वापस नहीं लिया जा सकता है। यह सार्वजनिक और स्थायी भुगतान होता है। बिटक्वाइन का गणितीय सिद्धांत परिष्कृत और श्रेष्ठ है।
यह सुनिश्चित करता है कि मुद्रा का वितरण एक निश्चित दर पर ही बढ़े। यह समय के साथ धीमा पड़ता है और फिर पूरी तरह रुक भी जाता है। हालांकि, इसमें पहचान गुप्त रखी जाती है, पर सही सावधानी बरतनी पड़ती है।
शायद यही वजह है कि यह कंप्यूटर निरक्षरों, अराजकतावादियों, ड्रग्स बेचने वाले और सोने के तस्करों तक में एक जैसा ही लोकप्रिय है। बिटक्वाइन की शुरुआत इसकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई। उस वक्त दुनिया में आर्थिक संकट अपने चरम पर था।
माना जाता है कि बिटक्वाइन की शुरुआत सतोशी नाकामोटो नामक एक छद्म लेखक के एक रिसर्च पेपर से हुई थी। इसमें जो तकनीकी ज्ञान दिया गया था, उसे अगले वर्ष उपयोग के लिए लोगों के सामने लाया गया।
क्यों नहीं आम उपयोग में है बिटक्वाइन? How to get Bitcoins?
अचानक ही 2012 में बिटक्वाइन काफ़ी चर्चा में आया और तब से अब तक सुर्खियों में है। मजे की बात यह है कि यह किसी साफ-सुथरे उत्पाद की श्रेणी में नहीं आता। इसे आभासी मुद्रा ही कहा जाता है।
दुनिया में यह कहीं भी कानूनी रूप से मान्य नहीं है। यह अधिकतर निवेशकों के लिए आय पैदा करने वाला नहीं है। डॉलर में इसका मूल्य प्रत्येक मिनट बदलता रहता है।
हालांकि, यह मुद्रा के लेन-देन का एक आसान तरीका हो सकता है, लेकिन पूरी तरह विश्वसनीय बनने में इसकी राह में अभी कई सारी दिक्कतें हैं। यहां तक कि इसके पैरोकार भी इसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं बताते हैं।
इसके समर्थकों का मानना है कि यह बहुत हद तक प्रयोग के चरण में ही है और इसे फिलहाल तो उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए बेहद खतरे का वायरस ही मानना चाहिए।
क्यों खास है बिटक्वाइन? Facts about Bitcoin
हालांकि इस मुद्रा के अपने खतरे हैं लेकिन इसे काफ़ी सराहना भी मिल रही है और इसके चाहनेवालों में रिचर्ड ब्रैंसन से लेकर जर्मनी का वित्त विभाग तक शामिल है। बिटक्वाइन में प्रभाविता (एफिशिएंसी) का कारक बहुत अधिक है।
इसमें मुद्रा दुनिया के किसी भी कोने में तुरंत भेजी और पायी जा सकती है। इसके लिए किसी भी बैंक या बिचौलिये की जरूरत नहीं होती है। इसके काम करने के लिए बहुत अधिक फीस की जरूरत भी नहीं होती और लगभग बहुत कम दाम में इसकी प्रोसेसिंग हो सकती है। इसके साथ ही व्यक्ति की निजता भी सुरक्षित रहती है।
लेन-देन (ट्रांजेक्शन) में उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत सूचना का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस वजह से पहचान की चोरी नहीं किये जाने का पूरा भरोसा रहता है। साथ ही, इस्तेमाल करने वाले अपने लेन-देन का पूरा नियंत्रण कर सकते हैं।
सारा लेन-देन पूरी तरह से सार्वजनिक होता है। इस वजह से सारा लेन-देन डाटाबेस में उपलब्ध होता है। इसके इन्हीं गुणों की वजह से निवेशक बिटक्वाइन से संबंधित निवेशों को समर्थन दे रहे हैं। जर्मनी के वित्त मंत्रलय ने इसे ‘खाते की एक इकाई’ (यूनिट ऑफ एकाउंट) के तौर पर मान्यता भी दे दी है।
बिटक्वाइन का विरोध
अमेरिका के फेडरल ब्यूरो ने वर्ष 2013 में सिल्क रोड नाम के ऑनलाइन फोरम को बंद कर दिया है, क्योंकि वहां अवैध वस्तुओं और सेवाओं को बिटक्वाइन से बदला जा रहा था।
बिटक्वाइन की चोरी के भी कई मामले हुए हैं। इसे उतना भरोसेमंद भी नहीं माना जा रहा है। चीन जैसे देशों ने इस पर रोक लगा दी है।
भारत में बिटक्वाइन
भारत में बिटक्वाइन को बढ़ावा देने और इसके प्रचार-प्रसार के मकसद से बेंगलुरु में 14-15 दिसंबर, 2013 को सम्मेलन आयोजित किया गया। देश में पहली बार इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया गया।
साइबर स्पेस से जुड़े लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। देश में एक बड़ा समुदाय Bitcoin के प्रति बेहद आशान्वित है, जिनकी संख्या 50 हजार से ज्यादा बतायी गयी है।
बिटक्वाइन भारत में ‘वचरुअल करेंसी इंडस्ट्री’ की क्या स्थिति है और भविष्य में इसके लिए किस तरह के अवसर पैदा हो सकते हैं इस मामले में अहम भूमिका निभाने वाला है।
भारत में अब बिटक्वाइन के माध्यम से किसी तरह के पैसे कमाने और उसके उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है और अब इसका प्रयोग पूरी तरह गैर कानूनी है.
बिटक्वाइन का भविष्य Future of bitcoin
Bitcoin की सबसे बड़ी खूबी आभासी और डाटा संगत होना था लेकिन अमेरिका जैसे जागरूक देश में भी इसका लेन देन बड़ी मात्रा में नहीं हो रहा है।
साथ ही अन्य देशों ने आनलाइन वॉलेट और इंटरनेट सेवाओं से अपनी मुद्रा को हरसंभव उपयोगी बनाया है। वैसे ढेरों आनलाइन साइट्स आज भी बिटक्वाइन को मान्यता देती है लेकिन किसी केन्द्रिय शक्ति के अभाव में इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल तो नजर नहीं आता है।
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nice article thanks for sharing