किताब पढ़ने के फायदे या benefits of reading Books पर बहुत से रिसर्च हो चुके है जो यह बताते है कि एक किताब किस तरह आपका जीवन बदल सकती है। 11वीं सदी में एक जापानी महिला मुरासाकी शिकिबु ने द टेल ऑफ जेंजी किताब लिखी थी। 54 चैप्टर वाला यह उपन्यास मिकवा-योशिदा डोमेन वंश के जापानी सम्राट के बेटे जेंजी के युद्ध कौशल, राजनीतिक और रोमांटिक जीवन पर आधारित है। इसे दुनिया का पहला उपन्यास माना जाता है।
एक हजार साल बीत चुके हैं। गूगल बुक्स द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक 1440 में गुटेनबर्ग के प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार के बाद से अब तक 130 मिलियन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल 40 लाख नई किताबें प्रकाशित होती हैं। हालांकि यह भी सच है कि किताबें जितनी हार्ड कॉपी में प्रकाशित हो रही हैं उतनी ही तेजी से उनका डिजिटल प्रकाशन भी बढ़ा है।
2022 में 12.25 मिलियन से ज्यादा ईबुक्स किंडल पर प्रकाशित हुई। वहीं 2020 में 71 हजार ऑडियोबुक्स प्रकाशित हुई। पिछले वर्षों में भले ही किताबों का फॉर्मेट बदल गया हो लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। सोशल मीडिया और वेब सीरिज जैसे एंटरटेनमेंट मीडियम के बावजूद किताबों ने अपनी जगह नहीं खोई है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर किताबों से मिलता क्या है। क्या वे पढ़ने की खुशी देने तक सीमित हैं या फिर मनोरंजन के आगे भी इनके कुछ फायदे हैं? तो इस सवाल का जवाब है -बुक रीडिंग या किताबों के पढ़ने के कई वैज्ञानिक फायदे हैं जो आपको एक बेहतर जिंदगी बिताने में मदद देते हैं। यहां हम किताब पढ़ने के फायदे बता रहे हैं जिनका बिन्दुवार विवरण इस प्रकार है:
Table of Contents
एकेडमिक परफॉर्मेंस होती है बेहतर
कई अध्ययनों में पाया गया है कि रीडिंग आपके मस्तिष्क में बदलाव लाती है। एमआरआई स्कैन का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि किताबें पढ़ने में दिमाग में सर्किट्स का नेटवर्क और सिग्नल्स शामिल होते हैं। जैसे-जैसे आपकी पढ़ने की क्षमता परिपक्व होती है ये नेटवर्क्स मजबूत होते हैं।
क्लीवलैंड क्लिनिक के डॉक्टर्स ने भी यह सुझाव दिया है कि पेरेंट्स को छोटी उम्र से ही बच्चों के साथ किताबें पढ़नी चाहिए। इससे बच्चों का किताबों में रुझान बढ़ता है। घर पर किताबें पढ़ना स्कूल में बच्चों की परफॉर्मेंस बेहतर करता है। इससे वौकेबलरी बढ़ती है, सेल्फ एस्टीम बेहतर होती है, कम्यूनिकेशन स्किल्स अच्छी होती हैं और मस्तिष्क को भी मजबूती मिलती है।
रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जो लोग काल्पनिक साहित्य पढ़ते हैं खासतौर पर ऐसी कहानियां जो पात्रों की अंदरुनी जिंदगी की पड़ताल करती हैं, उनमें दूसरों की भावनाओं और विश्वास को समझने की क्षमता अधिक होती है।
शोधकर्ता इस क्षमता को थ्योरी ऑफ माइंड कहते हैं। ऐसी स्किल्स जो सामाजिक रिश्तों को बनाए व बरकरार रखने के लिए जरूरी होती हैं। लंबे समय तक फिक्शन पढ़ने वाले पाठकों में बेहतर थ्योरी ऑफ माइंड विकसित होती है।
मानसिक बीमारियों से बचाव
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग का मानना है कि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती हैं किताबें व पत्रिकाएं पढ़ना आपके दिमाग को एंगेज करके रखता है। शोधों में पाया गया है कि उम्रदराज लोग जो हर दिन पढ़ते हैं और गणित के सवाल सॉल्व करते हैं उनकी कॉग्निटिव फंग्शनिंग बेहतर होती है। रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ने अपने अध्ययन में पाया कि जो लोग मानसिक गतिविधियों में शामिल होते हैं वे डेमेंशिया जैसी बीमारी के कई लक्षणों से बचे रहते हैं।
6 मिनट पढ़ने से 68 प्रतिशत तक घटता है तनाव
यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि मात्र 6 मिनट एक किताब पढ़ने से तनाव में 68 प्रतिशत की कमी आई थी। यहां तक कि वॉक करने से भी स्ट्रेस में 42 प्रतिशत कमी ही आई थी। शोधकर्ताओं के अनुसार किताबों में पूरी तरह से डूब जाने और डिस्ट्रैक्ट होने की खूबी रीडिंग को तनाव कम करने का परफेक्ट जरिया बनाती है।
उम्र बढ़ाती है पढ़ने की आदत
रीडिंग की रोजमर्रा की खुराक आपकी जिंदगी के साल भी बढ़ाती है। येल यूनिवर्सिटी में एक टीम ने 3600 से अधिक लोगों की जिंदगी का अध्ययन 12 वर्ष से अधिक समय के लिए किया। उन्होंने पाया कि जो लोग हर दिन 30 मिनट किताबें पढ़ रहे थे वे उन लोगों की तुलना में दो साल अधिक जिए जो सिर्फ अखबार पढ़ रहे थे। इसी तरह एक सप्ताह में साढ़े तीन घंटे से अधिक समय पढ़ने वाले लोगों में मृत्यु की संभावना 23 प्रतिशत कम हो गई थी। कुल मिलाकर किताब पढ़ने के प्रमुख फायदों में लंबा जीवन भी शामिल है।
शब्दकोष होता है बेहतर
1990 में साइकोलॉजिस्ट कीथ स्टेनोविच और उनके सहकर्मियों ने कॉग्निटिव स्किल्स, वोकैबलरी, फैक्चुअल नॉलेज और फिक्शन व नॉन फिक्शन किताबें पढ़ने के बीच दर्जनों अध्ययन किए। उन्होंने ऑथर रेक्गनिशन टेस्ट(एआरटी) का भी इस्तेमाल किया जिससे रीडिंग स्किल्स का पता लगाया जा सकता है।
कीथ ने बताया कि इन अध्ययनों का औसत परिणाम यह रहा कि एआरटी द्वारा किए गए मापन में उत्साही पाठकों की वौकेबलरी और फैक्ट बेस्ड नॉलेज में 50 प्रतिशत इजाफा था। रीडिंग का इन दाेनों स्किल्स को बेहतर बनाने में बड़ा योगदान था।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में ह्यूमन डेवलपमेंट प्रोफेसर डोनाल्ड बॉल्जर दिमाग के पढ़ने के तरीके पर रिसर्च करते हैं। डोनाल्ड के मुताबिक आप जितना अधिक पढ़ते हैं उतने ज्यादा शब्द आप सीखते हैं। जितना ज्यादा आप सीखते हैं उतना आप पढ़ने और समझने में कुशल बनते हैं, खासतौर पर उन चीजों में भी जिनमें आपकी विशेषज्ञता नहीं है।
किताब पढ़ने के फायदे: फैसले लेने में मददगार है रीडिंग
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरेंटो में साइकोलॉजिस्ट माजा डिजिक के अनुसार अपने जीवन में हम अक्सर फैसले लेने के दौरान अपने दिमाग को उस सूचना तक सीमित कर लेते हैं जो उस फैसले में हमारी मदद कर सकती है।
जब हम फिक्शन पढ़ते हैं तब हम अपने दिमाग को खुला रखने का अभ्यास करते हैं क्योंकि हम अनिश्चितता को बर्दाश्त कर सकते हैं। डिजिक ने 100 ऐसे लोगों का अध्ययन किया जो कोई फिक्शन या नॉन फिक्शन बुक पढ़ रहे थे। रिसर्च का निचोड़ यह था कि फिक्शन पढ़ने वाले पाठक अधिक फ्लेक्सीबल और क्रिएटिव थे। खासतौर पर वे लोग जो नियमित रूप से पढ़ रहे थे।
किताब पढ़ने के फायदे: डिप्रेशन से निबटने में मिलती है सहायता
मेयो क्लीनिक के डॉक्टर्स का सुझाव है कि बेहतर नींद के लिए रीडिंग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं। नींद न आने की शिकायत में भी किताब पढ़ना फायदेमंद है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि डिप्रेशन का सामना कर रहे लोग खुद काे अकेला महसूस करते हैं लेकिन किताबें इस भावना को कम करने में मददगार होती हैं।
फिक्शन पढ़ना आपको कुछ समय के लिए आपकी मौजूदा जिंदगी से दूर ले जाता है और आप काल्पनिक पात्रों की जिंदगी में खो जाते हैं। वहीं नॉन फिक्शन सेल्फ हेल्प बुक्स आपको अपनी इस परेशानी से निजात पाने का रास्ता भी दिखाती हैं।
किस तरह की किताबें पढ़ें
आपको क्या पढ़ना चाहिए इस सवाल का सटीक जवाब यही है कि जो कुछ भी आपके पास उपलब्ध है उसे पढ़िए। सबसे पहले पढ़ने की आदत विकसित कीजिए। अगर आपके पास वक्त की कमी रहती है तो रोजाना पहले 10 मिनट से शुरुआत करें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाए। अगर आप मौजूदा परिस्थितियों से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं तो कोई फैंटेसी या हिस्टोरिकल फिक्शन पढ़ सकते हैं।
अगर करियर में ग्रोथ के लिए कोशिश कर रहे हैं तो नॉन फिक्शन करियर गाइड पढ़ें। हमेशा मोबाइल या स्क्रीन पर न पढ़ें। प्रिंट बुक्स पढ़ने की आदत डालें। अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग ई बुक्स और प्रिंट बुक्स पढ़ते हैं वे पढ़ा हुआ ज्यादा याद रख पाते हैं। अपनी रुचि के अनुसार किताबों का चयन करें, पसंदीदा लेखकों की सूची बनाएं और पढ़ने की आदत को मजबूती दें।
यह भी पढ़ें:
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर निबंध