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Mahagauri Mata Navratri Pooja Vidhi – महागौरी माता

Mahagauri Mata Navratri Pooja Vidhi - महागौरी माता

महागौरी माता की पूजा विधि – Mahagauri Mata Pooja Vidhi

नवदुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है. इनकी शक्ति अमोघ और शीघ्र फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं. उनके पूर्व के पाप भी विनष्ट हो जाते हैं. भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं आते. वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है.

महागौरी माता मंत्र – Mahagauri Mantra

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः.
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा..

महागौरी माता का आवाहन मंत्र

सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..

अष्टमी के दिन नवदुर्गा महागौरी की  की पूजा विधि

नवरात्रि में प्रति दिन कुंवारी कन्या को भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन कुंवारी कन्या भोजन का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को लाल चुनरी भेंट करती हैं.

देवी गौरी की पूजा का विधान भी  सप्तमी तिथि जैसा ही है. देवी का ध्यान करने के लिए दोनों हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें.

सिद्ध गन्धर्वयक्षा द्यैर सुरैरम रैरपि.
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

माँ दुर्गा  की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. इनका वर्ण  गौर है. इस गौर वर्ण की उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द के फूल से दी गयी है. इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गयी है. महागौरी रूप में माँ के समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं. इस रूप में माँ के  चार भुजाएँ हैं.

इनका वाहन वृषभ है. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय-मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बायें हाथ में डमरू और नीचे के बायें हाथ में वर-मुद्रा है. इनकी मुद्रा अत्यन्त शान्त है.

माँ महागौरी की कथा – mahagauri story in hindi

अपने पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी. इनकी प्रतिज्ञा थी कि ‘व्रियेऽहं वरदं शम्भुं नान्यं देवं महेश्वरात्.’ गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार भी इन्होंने भगवान शिव के वरण के लिए कठोर संकल्प लिया था.

जन्म कोटि लगि रगर हमारी.
बरउँ संभु न त रहउँ कुँआरी..

इस कठोर तपस्या के कारण इनका शरीर एकदम काला पड़ गया था. इनकी तपस्या से प्रसन्न और सन्तुष्ट होकर जब भगवान शिव ने इन पर गंगाजी का पवित्र जल डाला, तब ये विद्युत प्रभा के समान अत्यन्त कान्तिमान्-गौर-हो उठीं. तभी से माँ दुर्गा के इस रूप  का नाम महागौरी पड़ा.

माँ महागौरी mahagauri devi का ध्यान-स्मरण, पूजन-आराधन भक्तों के लिए सर्वविध कल्याणकारी है. हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए. माँ की कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. मन को अनन्य भाव से एकनिष्ठ कर मनुष्य को सदैव इनके ही पादारविन्दों का ध्यान करना चाहिए.

ये भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं. इनकी उपासना से आर्तजनों के असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं.  इनके चरणों की शरण पाने के लिए हमें सर्वविध प्रयत्न करना चाहिए. पुराणों में इनकी महिमा का प्रचुर आख्यान किया गया है.  हमें भक्ति भाव से सदैव इनका शरणागत बनना चाहिए.

मां महागौरी मंत्र Maa Mahagauri mantra

मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मां महागौरी  ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थितांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम।
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्।
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्॥

मां महागौरी स्तोत्र मंत्र

सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाघप्रिया अघा महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगलात्वंहितापत्रयप्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयीमहागौरीप्रणमाम्यहम्॥

मां महागौरी कवच मंत्र

ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां हृदयो।
क्लींबीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो॥
ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।
कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥

मां महागौरी की आरती – Mahagauri Mata aarti

जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

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