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चांद बावड़ी और हर्षत माता मंदिर रोचक तथ्य
चांद बावड़ी के बारे में कौन नहीं जानता है? राजस्थान में प्राचीन काल से ही जल संरक्षण की परम्परा रही है. राजस्थान एशिया के सबसे बड़े मरूस्थलों में से एक थार मरूस्थल को अपने अंदर समेटे हुये है. थार रेगिस्तान के कारण यहां की जलवायु शुष्क और गर्म है. वर्षा की कमी के कारण यहां पूरे वर्ष पानी की किल्लत बनी रहती है.
पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिये यहां के निवासियों ने जल संचय की परम्परा को समृद्ध किया और अपने स्थापत्य में जल संचय प्रणालियों को विशेष महत्व दिया है. यही कारण है कि आपको पूरे राजस्थान में कलात्मक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बने तालाब और बावड़िया दिखाई देंगी. चांद बावड़ी भी ऐसे ही कलात्मक जलाशयों में एक मानी जाती है.
कहां स्थित है चांद बावड़ी? – chand baori history in hindi
चांद बावड़ी आबानेरी में स्थित है. आबानेरी राजस्थान के बांदीकुई में स्थित है. बांदीकुई दौसा जिले में स्थित है. दिल्ली से नजदीक होने के कारण यह स्थान मध्कालीन इतिहास से बहुत महत्वपूर्ण रहा है. आबानेरी का नामकरण ही पानी के आधार पर हुआ है.
फारसी में आब का मतलब पानी होता है और नेर का स्थानीय भाषा में अर्थ शहर या कस्बा होता है. आबानेरी को यह नाम चांद बावड़ी के पानी के भंडार की वजह से ही मिला है, जिसका मतलब है, पानी का कस्बा. सेनायें अक्सर दिल्ली और जयपुर के बीच से गुजरते हुये पानी की भरपूर मात्रा की वजह से यहां पड़ाव डाला करती थी.
एक दूसरी मान्यता के अनुसार इस स्थान का नाम आभानेरी माना जाता है. राजा चंद्र ने इस नगर की स्थापना 8वीं शताब्दी में की थी और इसका नाम आभा नगरी रखा था जो कालान्तर में बदलकर आभानेरी हो गया.
चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास – चाँद बावड़ी का रहस्य
चांद बावड़ी राजस्थान की सबसे पुरानी बावड़ी मानी जाती है. साथ ही इसे सबसे गहरी बावड़ी होने का गौरव भी प्राप्त है. इस बावड़ी का निर्माण 8वीं से 9वीं सदी के बीच राजा चंद्र ने करवाया था.
उनके नाम पर ही इस बावड़ी का नामकरण चांद बावड़ी किया गया. इस बावड़ी के पास ही राजा चंद्र ने हर्षत माता के मंदिर का निर्माण भी करवाया है, जिनकी बहुत मान्यता है और दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में माता के दर्शन के लिये आते हैं.
हर्षत माता का मंदिर
हर्षत माता का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के आभानेरी में स्थित है. यह चांद बावड़ी के दक्षिण में स्थित है. हर्षत माता को हर्ष और उल्लास की देवी के तौर पर रूपायित किया जाता है. हर्षत माता को हरसिद्धि माता के तौर पर भी जाना जाता है.
इस मंदिर का निर्माण राजा चंद्र ने 8वीं शताब्दी में करवाया था. एक ऊंचे प्लेटफाॅर्म से मंदिर का आधार तैयार करवाया गया है. यह हिंदू धर्म की वैष्णव परम्परा का मंदिर है. इसके निर्माण की शैली महामारू शैली का है. यह पूर्वाभिमुख मंदिर दोहरी जगती पर स्थित है.
मंदिर योजना में पंचरथ गर्भगृह है जिसके चारों ओर प्रदक्षिणा के लिए पथ का निर्माण किया गया है. मंदिर के आगे सुंदर नक्काशी युक्त स्तम्भों पर मण्डप का निर्माण किया गया है.
छतों पर सुंदर गुम्बद बनाये हुए है जो उत्तर भारतीय नागर शैली से प्रभावित हैं. मंदिर के बाहरी दिवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के सुंदर चित्र उत्कीर्ण किये गये हैं.
चांद बावड़ी का स्थापत्य – chand baori architecture
चांद बावड़ी की गहराई 19.5 मीटर है और आकार वर्गाकार है. बावड़ी में प्रवेश के लिये उत्तर दिशा में एक प्रवेश द्वार का निर्माण करवाया गया है. बावड़ी में नीचे उतरने के लिए तीन तरफ से सीढ़ीयों का निर्माण करवाया गया है.
उत्तरी भाग में सुदंर स्तम्भों पर एक दीर्घा का निर्माण करवाया गया है. संभवतः गर्मी के दिनों शीतलता के लिये इस जगह का उपयोग किया जाता होगा. दीर्घा में दो मंडप है.
पहले मंडप में गणेश की प्रतिमा और दूसरे मंडप में महिषासुद मर्दिनी की प्रतिमायें प्रतिष्ठित की गई है. चांद बावड़ी में पानी संरक्षित रखने के लिए कुल 13 तल बनाये गये है. ऊपर से नीचे तक पहुंचने के लिए 3 हजार 500 सीढ़ियों का निर्माण किया गया है.
इसके अलावा इस बावड़ी में पशुओं के पीने के लिए अलग से कुण्ड, सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए कुंओं से जल निकालने की व्यवस्था की गई थी. समय के साथ इन कुंओं में मिट्टी भर गई है और अब यह कार्यशील नहीं रहे हैं.
बावड़ी के नजदीक दो देव कुलिकायें भी बनी हुई है जो बारिश के दौरान जलमग्न हो जाती हैं. बावड़ी से ही जुड़ा हुआ एक महल बना हुआ है जिसमें कई कक्ष, सुंदर खिड़कियां और प्रांगढ़ हैं.
बावड़ी के गलियारों में आपको शिव, ध्यानमग्न शिव, शिव पार्वती, कल्की अवतार में विष्णु और परशुराम, कार्तिकेय, महिषासुरमर्दिनी, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, लक्ष्मी और यक्ष की कलाकृतियां देखने को मिलेगी.
कैसे पंहुचे चांद बावड़ी?
सड़क मार्ग से आभानेरी आगरा-जयपुर हाइवे से जुड़ा हुआ है. आगरा जयुपर हाइवे से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सुंदर स्थान सड़क मार्ग से जुड़ा है.
रेल मार्ग से जाने के लिये आपको बांदीकुई रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा. बांदीकुई रेलवे का बड़ा जंक्शन स्टेशन है. आभानेरी यहां से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
हवाई मार्ग की बात करें तो आभानेरी के सबसे नजदीक जयपुर हवाई अड्डा स्थित है, जहां से सड़क मार्ग के रास्ते आभानेरी आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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