X

Chandrayaan Space mission hindi-चंद्रयान मिशन

Chandrayaan Space mission hindi-चंद्रयान मिशन

चंद्रयान की सम्पूर्ण जानकारी

चंद्रयान मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है. इस मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने पर भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जायेगा जो चांद तक पहुंचने में सफल रहे हैं. मिशन चंद्रयान की ओर पूरी दुनिया की निगाहे लगी हुई हैं. इस मिशन न सिर्फ एक सफल अंतरिक्ष मिशन के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि इसकी मदद से किफायती अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में भी एक ठोस पहल हो रही है.

क्या है मिशन चंद्रयान?

चंद्रयान मिशन की शुरूआत चंद्रयान-1 से होती है. स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त 2003 को भारत के चंद्रयान मिशन की घोषणा की. इसरो ने इस मिशन के लिए चंद्रयान-1 को तैयार किया.

22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 को भारत के श्रीहरिकोटा से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया. 14 नवम्बर 2008 को चंद्रयान के जांच उपकरण पर चंद्रमा पर लैण्ड कराने का प्रयास किया गया लेकिन चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरने के प्रयास में यह उपकरण दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

चंद्रयान द्वारा किये गये जांच में चंद्रमा के सतह पर पानी मिलने की बात कही गई. 28 अगस्त 2009 को को चंद्रयान-1 कार्यक्रम को अधिकारिक तौर पर समाप्त घोषित कर दिया गया.

चंद्रयान-2 की सम्पूर्ण जानकारी

चंद्रयान-2 मिशन भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान कार्यक्रम का दूसरा चरण है. चंद्रयान-1 के उपकरण के क्रैश हो जाने के बाद इस दूसरे यान को उसे पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है.

इस यान को इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा 10 वर्ष के कठिन परिश्रम से तैयार किया गया है. इस यान की मदद से चंद्रयान-1 के अधूरे कार्यों और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के विश्लेषण का काम किया जायेगा.

चंद्रयान -2 की डिजाइन

चंद्रयान-2 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने 10 साल में तैयार किया है. इस अंतरिक्ष यान में मुख्य यान के अलावा एक आर्बिटर है जो चंद्रमा के आर्बिट में चक्कर लगाकर जानकारी एकत्र करेगा.

चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर लैंड करने के लिए एक लैंडर भी बनाया गया है जिसका नाम विक्रम रखा गया है. चंद्रमा की सतह पर चलने के लिये एक रोवर निर्मित किया गया है, जिसका नाम प्रज्ञान रखा गया है.
इसमें चार पेलोड बनाये गये हैं. इन पेलोड्स को संबधित आर्बिटर, विक्रमा लैंडर और प्रज्ञान रोवर में लागया जायेगा.
1.मुख्य पेलोड
2.आर्बिटर पेलोड
3.विक्रमा पेलोड
4.प्रज्ञान पेलोड

चंद्रयान- 2 का मुख्य पेलोड

चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए चंद्रयान-2 के मुख्य पेलोड में निम्न उपकरण लगाये गये हैं.

  1. चंद्रमा की मौलिक संरचना को समझने के लिए साॅफ्ट एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर.
  2. चंदमा के खनिजों और जल का पता लगाने के लिए इमेजिंग आईआर स्पेक्ट्रोमीटर, अल्फा एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर और लेचर ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोमीटर.
  3. चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र का मैप बनाने के लिए सिंथेटिक एपर्चर रडार एल एंड एस बैंड.
  4. हाई रेज टोपोग्राफी मैपिंग के लिये आर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा.
  5. चंद्रमा की तापीय चालकता और ताप के उतार चढ़ाव को समझने के लिए थर्मो फिजिकल उपकरण.

चंद्रयान-2 का आर्बिटर पेलोड

चंद्रयान-2 का आर्बिटर पेलोड चंद्रयान-1 की तुलना में कहीं ज्यादा उन्न्त और परिष्कृत उपकरणों से सुसज्जित है. यह नई जरूरतों और पुरानी खामियों को दूर करते हुए डिजाइन किया गया है. इस पेलोड के मुख्य उपकरण हैंः

चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करने के लिए इसमें एक टेरेन मैपिंग कैमरा लगाया है, जिसे टीएमसी-2 नाम दिया गया है. टीएमसी-1 का प्रयोग चंद्रयान-1 में किया गया था.

टीएमसी-2 अपने पूर्ववर्ती की तुलना में कही ज्यादा छोटा और बेहतर है. इसकी मदद से पांच मिलियन की हाई रेजोल्यूशन वाल पैन क्रोमैटिब बैंड वाला चंद्रमा का नक्शा तैयार किया जायेगा. इससे चंद्रमा का 3डी मानचित्र बन सकेगा और चंद्रमा के उत्पत्ति के रहस्य भी सुलझ सकेंगे.

इस पेलोड का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण उपकरण लाॅर्ज एरिया एक्स-रे स्पेक्ट्रामीटर है. इसकी मदद से चंद्रमा की आंतरिक सतहों में मैग्निशियम, एल्यूमिनियम, सिलिकाॅन, कैल्शियम, टाइटेनियम, लोहा और सोडियम जैसे खनिजों का पता लगाया जायेगा.

सोलर एक्सरे माॅनिटर इसमें लगा एक और महत्वपूर्ण उपकरण है. यह उपकरण सूर्य और उसके कोरोना से निकलने वाले सौर विकिरण की तीव्रता को मापता है.

इस पेलोड में लगे आर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरे की मदद से चंद्रमा की लैडिंग साइट का 3डी माॅडल तैयार कर उतरने की सुरक्षित जगह चुनी जायेगी और इस कैमरे से ली गई हाई रेजाल्यूशन पिक्चर्स से चंद्रमा का अध्ययन किया जायेगा.

इमेजिंग आईआस स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से चंद्रमा के खनिजो का मैप तैयार किया जायेगा.

ड्यूअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार चंद्रयान के मिनि एसएसआर का परिष्कृत रूप है और इसके माध्यम से चंद्रमा के विशेष चिन्हित क्षेत्रों का अध्ययन किया जायेगा.

एटमाॅस्फियरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर की मदद से चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन किया जायेगा.

विक्रमा पेलोड

विक्रमा पेलोड को विक्रम लैंडर में विक्रमा पेलोड में मुख्य रूप से तीन उपकरण लगे हुये हैं. पहले उपकरण की मदद से चंद्रमा के आयनमंडल के व्यवहार और रेडियो एनाटाॅमी का अध्ययन किया जायेगा.

इसे राम्भा नाम दिया गया है. दूसरा उपकरण जिसे चेस्ट नाम दिया गया है कि मदद से चंद्रमा के सतह का ताप भौतिक परीक्षण किया जायेगा. तीसरा उपकरण इलसा है जो चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों को मापेगा.

प्रज्ञान पेलोड

प्रज्ञान पेलोड में दो प्रमुख उपकरण लगे हुये हैं. पहला उपकरण अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है जो मुख्य लैंडिंग साइट की सतह की तत्व संरचना की जांच करेगा.

इसका दूसरा प्रमुख उपकरण लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप कहलाता है जो लैंडिंग साइट पर तत्वों की भारी मात्रा का पता लगायेगा.

चंद्रयान मिशन का उद्देश्य

चंद्रयान मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन है और इस अध्ययन का उपयोग कर मानव हित का उपयोग करना है. चंद्रयान मिशन को विशेष रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर केन्द्रित किया गया है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी होने की पूरी संभावना है, जिसकी पुष्टि चंद्रयान-1 मिशन के दौरान भी हुई थी. साथ ही चंद्रमा की उत्पत्ति के कारणों में सौर मंडल के बनने की जानकारी प्राप्त करना भी इस मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य है. इसके क्रेटर्स में प्रारंभिक सौर प्रणाली में लुप्त जीवाश्म के रिकाॅर्ड भी खोजने का काम भी किया जायेगा.

कैसे काम करेगा चंद्रयान-2?

चंद्रयान-2 को भारत के सबसे शक्तिशाली राकेट जीएसएलवी एमके-3 के माध्यमस से लांच किया जायेगा. यह राॅकेट पूरी तरह भारत में निर्मित है. पहले इस यान को 15 सितम्बर को लांच करने की योजना था लेकिन इंजन में आई खराबी की वजह से इसका लांच टाल दिया गया.

लांच के बाद इस यान को पृथ्वी की 170 गुना 40400 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया जायेगा. इसके बाद लैंडर के माध्यम से यान को चंद्रमा की सतह पर उतारा जायेगा.

लैण्डर से एक रोवर जुड़ा हुआ होगा जो चंद्रमा के दो गड्ढों मंजिनस सी और सिमपेलियस एन के बीच 14 दिनों तक अध्ययन करेगा. आर्बिटर एक साल तक चंद्रमा के गिर्द चक्कर काटकर पृथ्वी तक जानकारिया पहुंचाता रहेगा.

यह भी पढ़ें:

5जी बनेगा टेली कम्यूनिकेशन का भविष्य

भविष्य की इलेक्ट्रिक कार और इलेक्ट्रिक कार का भविष्य

अंतरिक्ष पर्यटनः संभावनाओं के आकाश पर पैकेज की नजर

भारत के प्रमुख प्रक्षेपास्त्र

कब होगा तीसरा विश्व युद्ध?

admin: