पैंगोलिन एक ऐसा वन्यजीव है जिसकी दुनिया भर में सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है। पैंगोलिन का रूप ही उसका दुश्मन बन गया है। हर साल इस प्राणी को बड़ी मात्रा में इसके शल्कों के लिए मार डाला जाता है। इस लेख के माध्यम से इस प्राणी के बारे में जानते हैं।
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वास्तव में पैंगोलिन क्या है?
कई लोग Pangolin को सरीसृप मानते हैं, लेकिन ये वास्तव में स्तनधारी हैं। ये एकमात्र स्तनधारी हैं जो पूरी तरह से शल्कों से ढके हुए हैं। ये शल्क उन्हें जंगल में शिकारियों से खुद को बचाने के काम आते हैं। एक Pangolin यदि खतरे में आता है, तो तुरंत एक छोटी गेंद में अपने आप को बदल लेता है और अपनी रक्षा के लिए अपनी तेज-नुकीली पूंछ का उपयोग करता है। देखने में यह किसी बख्तरबंद योद्धा जैसा दिखाई देता है।
क्यों पड़ा इस जीव का नाम पैंगोलिन?
पैंगोलिन मूल रूप से मलय शब्द पेंगुलिन का बिगड़ा हुआ रूप है। इसका मतलब होता है घूमने वाला। Pangolin दुश्मन को देखकर घूमकर अपने आपको एक गेंद में बदल लेता है। मलेशिया में इसे टेंगगिलिंग, इंडोनेशिया में ट्रेंगगिलिंग, भारत में इसे वज्रशल्क कहा जाता है। इसके शल्क केरोटिन नाम के प्रोटीन के बने होते हैं।
कहां पाया जाता है Pangolin?
पूरी दुनिया में पैंगोलिन की केवल आठ प्रजातियाँ पाई जाती है। चार प्रजातियाँ उप-सहारा अफ्रीका और चार प्रजातियाँ एशिया में पाई जाती हैं। भारतीय पैंगोलिन (Manis Crassicaudata) और चीनी पैंगोलिन (Manis Pentadactyla) भारत में पाए जाते हैं। इसकी कुछ प्रजातियां लुप्त हो जाती है।
इनका वज़न लगभग 3 पाउंड से लेकर 75 पाउंड तक होता है। भारतीय Pangolin की पूँछ के निचले हिस्से पर एक टर्मिनल स्केल भी मौज़ूद होता है, जो चीनी Pangolin में अनुपस्थित होता है। भारतीय पैंगोलिन व्यापक रूप से शुष्क क्षेत्रों, उच्च हिमालय एवं पूर्वोत्तर को छोड़कर शेष भारत में पाया जाता है।
यह प्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है। चीनी पैंगोलिन पूर्वी नेपाल में हिमालय की तलहटी क्षेत्र में, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश और दक्षिणी चीन में पाया जाता है।
क्या पैंगोलिन मांसाहारी होते हैं?
पैंगोलिन चीटियों, दीमकों और लार्वा को खाते हैं और उन्हें अक्सर “स्केली एंट इटर” के रूप में जाना जाता है। क्योंकि उनके दांत नहीं होते हैं, Pangolin अपनी चिपचिपी जीभ से चिंटीयों को चिपका कर उठाते हैं। इनकी जीभ इतनी लंबी होती है जो कभी-कभी इसके शरीर से अधिक लंबाई तक पहुंच जाती हैं।
क्यों होती है Pangolin की तस्करी?
पैंगोलिन एशिया और अफ्रीका में सबसे अधिक तस्करी वाले स्तनधारियों में से एक हैं। चीन और वियतनाम जैसे देशों में Pangolin की अत्यधिक मांग रहती है। उनके मांस को एक वरदान माना जाता है और पारंपरिक चिकित्सा और लोक उपचार में पैंगोलिन शल्कों का उपयोग किया जाता है। Pangolin की सभी आठ प्रजातियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत संरक्षित हैं। लेकिन Pangolin का अंतरराष्ट्रीय अवैध व्यापार अभी भी बढ़ रहा है।
2011 और 2013 के बीच बरामदगी के आधार पर लगाए गए अनुमान के अनुसार 116,990-233,980 पैंगोलिन मारे गए, जो केवल व्यापार के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध वन्यजीव व्यापार में Pangolin में बरामदगी वास्तविक मात्रा का लगभग 10 प्रतिशत ही है।
Pangolin को बचाने के क्या प्रयास हो रहे हैं?
पूरी दुनिया के वन्यजीव प्रेमी इस जानवर को लुप्त होने से बचाने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए हर साल फरवरी माह के तीसरे शनिवार को विश्व पैंगोलिन दिवस (World Pangolin Day) मनाया जाता है। 2016 में 180 से अधिक सरकारों की एक संधि समझौते की घोषणा की जिसमें Pangolinसे जुड़े सभी कानूनी व्यापार को समाप्त कर दिया गया।
इससे इसकी प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा। हालांकि इस संधि के बाद भी पैंगोलिन प्रजातियों का अवैध व्यापार जारी है। विश्व वन्यजीव संघ इसकी प्रजातियों को बचाने का काम करता है।
जून 2020 में, चीन ने देशी चीनी Pangolin (Manis pentadactyla) के लिए उच्चतम स्तर तक सुरक्षा बढ़ा दी, जिसने देश में प्रजातियों के व्यापार का रास्ता बंद कर दिया है। इसके अतिरिक्त चीन की सरकार अब पारंपरिक चिकित्सा में पैंगोलिन तराजू के उपयोग की अनुमति नहीं देती है। इन प्रयासों के बाद भी 2019 में अनुमानित 195,000 पैंगोलिन की तस्करी अकेले उनके शल्कों के लिए की गई।
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