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Fairs of MP-मध्यप्रदेश के प्रमुख मेले
fairs of madhya pradesh मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक और धार्मिक मेलों की पुरानी परम्परा रही है। यहां साल भर मेलों का आयोजन होता हैं। धार्मिक शहर उज्जैन में 227 मेलों तक आयोजन किया जाता है। ज्यादातर मेले धार्मिक महत्व से सम्बन्धित होते हैं और कुंभ जैसे कई मेलों का आयोजन वर्षों में एक बार होता है। मध्य प्रदेश में जनजातिय मेले भी अच्छी संख्या में आयोजित होते हैं। इनमें से मुख्य fairs of madhya pradesh मेलों के बारे में इस आलेख में बता रहे हैं:
1.कुंभ का मेला या सिंहस्थ कुंभ
कुंभ हिंदू धर्म का सबसे पवित्र आयोजन माना जाता है और मध्यप्रदेश के उज्जैन वह स्थान है जहां यह मेला आयोजित किया जाता है। उज्जैन के अलावा हरिद्वार, प्रयागराज और नासिक में कुंभ का आयोजन होता है। उज्जैन कुंभ मेले का आयोजन तब होता है जब सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है। इसी वजह से इसे सिंहस्थ कुंभ कहते हैं। ऐसा अवसर 12 साल में एक बार आता है।
2. रामलीला का मेला
भांडेर की रामलीला 100 साल से अधिक पुराना है। इस मेले को 1905 में शुरू किया गया था। ग्वालियर जिले की भांडेर तहसील में लगने वाले इस रामलीला के मेले में दूर—दूर से दर्शनार्थी आते है। जनवरी या फरवरी में होने वाला यह आयोजन करीब एक सप्ताह तक चलता है।
3. पीर बुधन का मेला
पीर बुधन का मेला मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित पीर बुधन के मकबरे पर लगती है। इस ऐतिहासिक मेले की शुरूआत 250 साल पहले हुई थी। यह मेला अगस्त और सितम्बर महीने में आयोजित किया जाता है। सांवरा क्षेत्र इसी मेले की वजह से अलग पहचान रखता है।
4. नागाजी का मेला
संत नागाजी को पोरसा का जनक माना जाता है। पोरसा मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित गांव है। नागाजी को तोमर घर का आराध्य भी कहा जाता है। संभवत: यह संत अकबर के समय में यहां निवास करते थे। उनकी स्मृति में यहां स्थित सरोवर जिसे नागाजी सरोवर कहा जाता है, एक मेला लगता है। एक माह चलने वाले इस मेले में पुए और सब्जी का प्रसाद वितरित किया जाता है। मेले में दूर—दूर से लोग पालतू जानवरों को खरीदने के लिये यहां आते हैं। पहले यहाँ बंदर बेचे जाते थे। अब सभी पालतू जानवर बेचे जाते हैं।
5. हीरा भूमिया मेला
हीरामन बाबा मध्यप्रदेश के ग्वालियर के आस—पास के क्षेत्रों में एक लोकदेवता की तरह पूजे जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि किसी जहरीले जानवर या कीड़े के काटने पर हीरा भूमिका के नाम की मन्नत जिसे बंध भी कहा जाता है, मान लेने पर विष का प्रभाव कम हो जाता है। हीरामन को संतान प्राप्ति के लिये महिलाओं द्वारा पूजा जाता है। इनकी मन्नत उतारने के लिये श्रद्धालु हीरा भूमिया के मेले में जो हर वर्ष भादौ की चौदस को आयोजित किया जाता है में जाते हैं।
6. जागेश्वरी देवी मेला
मध्य प्रदेश के अशोक नगर के चंदेरी नामक स्थान पर जागेश्वरी माता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के सम्बन्ध में एक लोककथा विख्यता है। इस लोककथा के अनुसार चंदेरी के राजा कीर्तिपाल को एक बार कोढ़ हो गया और उनको सपने में देवी ने दर्शन दिये कि वे मंदिर में 15 दिन बाद प्रकट होंगी। राजा 15 दिन धैर्य नहीं रख पाये और तीसरे दिन ही दरवाजा खोल दिया। इतने समय तक केवल देवी का सिर ही मंदिर में प्रकट हुआ था। राजा को कोढ़ ठीक हो गया लेकिन मस्तक के बाद देवी का शरीर प्रकट नहीं हुआ। यहां सिर्फ देवी के मस्तक की पूजा होती है। यहां साल में एक बार अप्रेल मास में 15 दिन का मेला लगता है। बुंदेली लोककला यहां का विशेष आकर्षण होता है। पशुओं की बिक्री भी इस मेले में होती है।
7. fairs of madhya pradesh महामृत्यंजना मेला
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में भगवान शिव का महामृत्यंजना मंदिर स्थित है। यहां साल में दो दिन बसंतपचंमी और शिवरात्रि को मेला लगता है। इस मंदिर में बसंत पंचमी के अवसर पर नई फसल जैसे गेहूं की बाल, घी, दूध, दही आदि का भी उपयोग पूजा में किया जाता हैं।
8. मलमास का मेला
मध्यप्रदेश के रीवा में स्थित देवतालाब में यह मेला लगता है। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर पर हर साल तीन बार मेला आयोजित किया जाता है। देवतालाब स्थित मंदिर के बारे में लोक मान्यता है कि यह मंदिर एक ही रात में भगवान विश्वकर्मा द्वारा तैयार किया गया है। यह भी माना जाता है कि यह पूरा मंदिर एक ही पत्थर से बना है। यहां का शिवलिंब दिन में चार बार रंग परिवर्तन करता है। देवतालाब को शिव की नगरी कहा जाता है। लोककथा है कि महर्षि मार्कण्डेय की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुये थे।
9. अमरकंटक का शिवरात्रि मेला
मध्यप्रदेश में नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक का बहुत धार्मिक महत्व है। यह स्थान शहडोल जिले में स्थित है। नर्मदा के उद्गम स्थल पर स्थित भगवान शिव के मंदिरों में नर्मदा का जल शिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में चढ़ाया जाता है। इस दिन यहां स्नान का विशेष महत्व है। पूरे मध्य प्रदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर स्नान कर भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। यह मेला करीब 100 साल से लगता आ रहा है।
10. चंडी देवी का मेला
fairs of madhya pradesh वैसे तो पूरे भारत में शक्ति स्वरूपा मां चंडी की अराधना की जाती है लेकिन वहां उन्हें दुर्गा का रूप माना जाता है लेकिन मध्य प्रदेश के सीधी जिले में धीधरा में मां चंडी का एक विलक्षण शक्ति स्थल स्थित है। यहां पर मां चंडी की आराधना दुर्गा के स्थान पर सरस्वती के तौर पर होती है। यहां साल में एक बार मार्च या अप्रैल महीने में विशाल मेले का आयोजन होता है।
11. कान्हा बाबा का मेला
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के सोढलपुर गांव में कान्हा बाबा की समाधि स्थित है। इस समाधि को जीवित माना जाता है। मान्यता है कि गुरूपूर्णिमा के अवसर पर 600 साल पहले सिद्ध पुरूष कान्हा बाबा ने समाधि ली थी। इसी की याद में हर गुरू पूर्णिमा को समाधि दिवस मनाया जाता है। बाबा की समाधि पर निशान चढ़ाया जाता है और महाआरती के साथ ही एक विशाल मेले का आयोजन होता है।
12. कालूजी महाराज का मेला
कालूजी महाराज की समाधि मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के पिपल्या खुर्द गांव में स्थित है। यहां एक विशाल पशु मेला लगता है। यह मान्यता है कि कालूजी महाराज जानवरों और इंसानों की बीमारी को ठीक करते हैं। यहां मिलने वाले निमाड़ी नस्ल के बैलों को कपास की खेती के लिये बहुत उपयुक्त माना जाता है।
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