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Shree Suktam Laxmi suktam path in hindi- श्री सूक्त व लक्ष्मी सूक्त

Shree Suktam path and Laxmi suktam in hindi- श्रीसूक्त व लक्ष्मी सूक्त पाठ

श्री सूक्त व लक्ष्मी सूक्त पाठ से मां लक्ष्मी होती है प्रसन्न – Sri Suktam in hindi

श्री सूक्तम जिसे श्री सूक्त के नाम से भी जाना जाता है, देवी लक्ष्मी को समर्पित एक भक्तिपूर्ण भजन है जिसे पवित्र हिंदू ग्रंथ ऋग्वेद में महान ऋषियों द्वारा वर्णित किया गया है।

हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि, आनंद और वैभव की देवी माना जाता हैं। श्री सूक्त का पाठ करने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे मां लक्ष्मी की अराधना करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ किया जाता है। इस पाठ को विधिवत तरीके से करने वाले भक्त कभी भी गरीबी का सामना नहीं करते हैं। इस मंत्र में श्री सूक्त के पंद्रह छंदों में अक्षर, शब्दांश और शब्दों के उच्चारण से अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण किया जाता है।

संस्कृत में देवी लक्ष्मी को ‘श्री’ भी कहा गया है जिसका अर्थ है सभी शुभ गुणों का अवतार। श्री सूक्त का पाठ समृद्धि, स्वास्थ्य, धन, आनंद और पूर्ण कल्याण का आह्वान करता है।

श्री सुक्त का वर्णन – About Shri Suktam in Hindi

श्रीसूक्त ऋग्वेद का खिल सूक्त है। ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में यह उपलब्ध होता है। सुक्त में मन्त्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मंन्त्र में फलश्रुति है। बाद में ग्यारह मन्त्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनको लक्ष्मीसूक्त के नाम से स्मरण किया जाता है।

श्री सुक्त के रचनाकार

आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्लीत ये चार श्रीसूक्त के ऋषि हैं। इन चारों को श्री का पुत्र बताया गया है। श्रीपुत्र हिरण्यगर्भं को भी श्रीसूक्त का ऋषि माना जाता है।

श्री सुक्त के छंद

श्रीसुक्त का चौथा मन्त्र बृहती छन्द में है। पांचवाँ और छटा मन्त्र त्रिष्टुप छन्द में है। अन्तिम मन्त्र का छन्द प्रस्तारपंक्ति है। शेष मन्त्र अनुष्टुप छन्द में है।

कहां होता है इस मंत्र का उपयोग

इस सूक्त का उपयोग लक्ष्मी की अराधना, जप, होम आदि में किया जाता है। महर्षि बोधायन, वशिष्ठ आदि ने इसके विशेष प्रयोग बतलाये हैं। श्रीसूक्त की फलश्रुति में भी इस सूक्त के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों के द्वारा होम करने का निर्देश किया गया है।

श्री सुक्त पाठ हिंदी अनुवाद सहित – Sri Suktam path with Hindi Translation

हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।।

हिंदी अनुवाद: लक्ष्मीपते! आप उन लक्ष्मी को मेरे अभिमुख करें जो हितैषिणी एवं रमणीय हैं, समस्त पापों को नाश करने वाली हैं, अनुरूप माला आदि आभरणों से युक्त हैं, सब को प्रसन्न करने वाली हैं तथा हिरण्य आदि समस्त सम्पत्ति की स्वामिनी हैं।

तां म आवह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।।

हिंदी अनुवाद: लक्ष्मीपते ! आपका नित्य अनुगमन करनेवाली तथा भक्तों पर अनुग्रह करने वाली लक्ष्मी को आप मेरे अभिमुख करें, जिनके सान्निध्य से में धातु सम्पत्ति, पशुधन और पुत्र, आदि परिजन प्राप्त कर सकूं।

अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

हिंदी अनुवाद: मैं उन लक्ष्मी का सान्निध्य प्राप्त करता हूँ जो सर्वव्यापी भगवान को अग्रगामी बनाये रखती हैं, जीवों के हृदय में तथा भगवान के वक्षःस्थल में निवास करती हैं तथा गजेन्द्र आदि आश्रित जनों के आर्तनाद पर द्रवित होती हैं । वह लक्ष्मी देवी मुझ पर प्रसन्न हों।

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां त्वामिहोपह्वये श्रियम्।।

हिंदी अनुवाद: जो सुखस्वरूपा, मन्द—मन्द मुस्कराने वाली, स्वर्णभवन में विराजमान, दयाद्र, प्रकाशजननी, पूर्णकाम, भक्तों को तृप्त करने वाली, कमलबासिनी एवं पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मी देवी का मैं यहाँ आह्वान करता हूँ।

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे।।

हिंदी अनुवाद: मैं उन लक्ष्मी की शरण ग्रहण करता हूँ जो आनन्द स्वरूपा हैं, जिनका रूप दिव्य एवं मंगलमय है, जिनका यथा सर्वविदित है, जो इस संसार में देवताओं के द्वारा सुपूजित तथा नित्यविभूति में नित्य पार्षदों एवं मुक्तजनों की पूज्य हैं, जो उदारशीला हैं तथा जो कमल में निवास करती हैं। मेरा अज्ञान नष्ट हो जाय इसलिये में लक्ष्मी को शरण्य के रूप में वरण करण करता है।

आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्याअलक्ष्मीः।।

हिंदी अनुवाद: आदित्यवर्णे! आपके संकल्प से वृक्षों का पति बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ। आपही की कृपा से उसके फल आपके विरोधी अज्ञान, काम क्रोध आदि विघ्नों तथा लक्ष्मी और उनके सहचारियों को नष्ट करें।

उपैतु मां देवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिवृद्धिं ददातु मे।।

हिंदी अनुवाद: लक्ष्मिदेवि ! भगवान् नारायण कीति और चिन्तामणि रत्न के साथ मुझे प्राप्त हों। मैं इस राष्ट्र में उत्पन्न हुआ हूँ । लक्ष्मी कीर्तिवृद्धि मुझे प्रदान करें।

क्षुत्पिपासा मलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वान निर्णुद मे गृहात्।।

हिंदी अनुवाद: हे देवि ! मैं क्षुधा, पिपासा, मलिनता एवं दुस्सह की पत्नी अलक्ष्मी का निवारण चाहता हूँ। आप अनैश्वर्य एवं असमृद्धि को मेरे गृह से दूर करें।

गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम्।।

हिंदी अनुवाद: मैं उन लक्ष्मी का यहाँ आह्वान करता हूँ जो यशप्रदात्री हैं, साधनाहीन पुरुषों को प्राप्त न होने वाली हैं सर्वदा समृद्ध मङ्गलमयी एवं समस्त प्राणियों की अधीश्वरी हैं।

मनसः काममाकूतिं, वाचस्सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः।।

हिंदी अनुवाद: हे लक्ष्मी ! मन की कामना, बुद्धि का संकल्प, वाणी की प्रार्थना, जीवधन समृद्धि, अन्न समृद्धि सुस्थिर हो, ऐसी अभिलाषा है। मुझे यश प्राप्त होवे।

कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्।।

हिंदी अनुवाद: कर्दम प्रजापते ! उन लक्ष्मी को मेरे यहां प्रतिष्ठित करें जिनको श्राप ने कन्या के रूप में स्वीकार किया है। पद्ममाला धारण करने वाली उन माता लक्ष्मी को मेरे कुल में प्रतिष्ठित करें।

आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले।।

हिंदी अनुवाद: चिक्लीत ! भगवान् के आयतनभूत जल, घृत आदि को मेरे गृह में उत्पन्न करें। आप मेरे गृह में निवास करें और प्रकाशमयी माता लक्ष्मी को मेरे कुल में निवास करावें।

आर्द्रां पुष्करिणीं यष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

हिंदी अनुवाद: लक्ष्मीपते ! उन लक्ष्मी को अभिमुख करें जिनका हृदय आर्द्र है, जो कमल में निवास करती हैं, जो यज्ञस्वरूपा हैं, पिङ्गलवर्णवाली हैं, भक्तजनों को श्राह्लादित करने वाली हैं तथा स्वर्ण आदि की स्वामिनी हैं।

आर्द्रां य करिणीं पुष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

हिंदी अनुवाद: हे लक्ष्मीपते ! उन लक्ष्मी को मेरे अभिमुख करें जिनका हृदय आर्द्र है, जो कमल में निवास करती हैं, जो पुष्टिस्वरूपा हैं, स्वर्णमयी हैं, स्वर्णपुष्पों की माला धारण करने वाली हैं, जो आपके समान समस्त चेतनों एवं अचेतन पदार्थों का व्यापन भरण एवं पोषण करने वाली हैं तथा जो हिरण्य श्रादि की स्वामिनी हैं।

तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।।

हिंदी अनुवाद: लक्ष्मीपते ! आपका नित्य अनुगमन करने वाली लक्ष्मी को भाप मेरे अभिमुख करें जिनके सान्निध्य से में अपार धातु सम्पत्ति, पशुधन, सेवक – सेविकायें, अश्व प्रादि वाहन सम्पत्ति तथा पुत्र पोत्र आदि प्राप्त करूं।

य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत्।।

हिंदी अनुवाद: जिस व्यक्ति को लक्ष्मी के अनुग्रह की कामना हो वह पवित्र और सावधान होकर प्रतिदिन घृत से होम करे और उसके साथ उपर्युक्त १५ ऋचाओं का निरन्तर पाठ करे ॥१६॥

।। इति श्रीसुक्तम समाप्ति ।।

लक्ष्मी सूक्त हिंदी अनुवाद सहित – Lakshmi Suktam with Hindi Translation

श्री लक्ष्मी सूक्त को श्री सूक्त का ​परिशिष्ट माना जाता है। आसान शब्दों में कहें तो यह श्रीसूक्त का ही एक भाग है, जिसमें मां लक्ष्मी के गुणों की व्याख्या बहुत सुंदर शब्दों में की गई है। यहां हम लक्ष्मी सूक्त को हिंदी अनुवाद के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं।

पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥

हिंदी अनुवाद:- हे लक्ष्मी देवी! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर विराजमान, कमल-दल के समान नेत्रों वाली, कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं। सृष्टि के सभी जीव आपकी कृपा की कामना करते हैं। आप सबको मनोनुकूल फल देने वाली हैं। हे देवी! आपके चरण-कमल सदैव मेरे हृदय में स्थित हों।

पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे।
तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्‌॥

हिंदी अनुवाद:- हे लक्ष्मी देवी! आपका श्रीमुख, ऊरु भाग, नेत्र आदि कमल के समान हैं। आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है। हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूँ, आप मुझ पर कृपा करें।

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥

हिंदी अनुवाद:- हे देवी! अश्व, गौ, धन आदि देने में आप समर्थ हैं। आप मुझे धन प्रदान करें। हे माता! मेरी सभी कामनाओं को आप पूर्ण करें।

पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्‌।
प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥

हिंदी अनुवाद:- हे देवी! आप सृष्टि के समस्त जीवों की माता हैं। आप मुझे पुत्र-पौत्र, धन-धान्य, हाथी-घोड़े, गौ, बैल, रथ आदि प्रदान करें। आप मुझे दीर्घ-आयुष्य बनाएँ।

धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु।
धन मिंद्रो बृहस्पतिर्वरुणां धनमस्तु मे॥

हिंदी अनुवाद:- हे लक्ष्मी! आप मुझे अग्नि, धन, वायु, सूर्य, जल, बृहस्पति, वरुण आदि की कृपा द्वारा धन की प्राप्ति कराएँ।

वैनतेय सोमं पिव सोमं पिवतु वृत्रहा।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः॥

हिंदी अनुवाद:- हे वैनतेय पुत्र गरुड़! वृत्रासुर के वधकर्ता, इंद्र, आदि समस्त देव जो अमृत पीने वाले हैं, मुझे अमृतयुक्त धन प्रदान करें।

न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभामतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्‌॥

हिंदी अनुवाद:- इस सूक्त का पाठ करने वाले की क्रोध, मत्सर, लोभ व अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती, वे सत्कर्म की ओर प्रेरित होते हैं।

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गंधमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीद मह्यम्‌॥

हिंदी अनुवाद:- हे त्रिभुवनेश्वरी! हे कमलनिवासिनी! आप हाथ में कमल धारण किए रहती हैं। श्वेत, स्वच्छ वस्त्र, चंदन व माला से युक्त हे विष्णुप्रिया देवी! आप सबके मन की जानने वाली हैं। आप मुझ दीन पर कृपा करें।

विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्‌।
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम॥

हिंदी अनुवाद:- भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी, माधवप्रिया, भगवान अच्युत की प्रेयसी, क्षमा की मूर्ति, लक्ष्मी देवी मैं आपको बारंबार नमन करता हूँ।

महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्‌॥

हिंदी अनुवाद:- हम महादेवी लक्ष्मी का स्मरण करते हैं। विष्णुपत्नी लक्ष्मी हम पर कृपा करें, वे देवी हमें सत्कार्यों की ओर प्रवृत्त करें।

चंद्रप्रभां लक्ष्मीमेशानीं सूर्याभांलक्ष्मीमेश्वरीम्‌।
चंद्र सूर्याग्निसंकाशां श्रिय देवीमुपास्महे॥

हिंदी अनुवाद:- जो चंद्रमा की आभा के समान शीतल और सूर्य के समान परम तेजोमय हैं उन परमेश्वरी लक्ष्मीजी की हम आराधना करते हैं।

श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाभिधाच्छ्रोभमानं महीयते।
धान्य धनं पशु बहु पुत्रलाभम्‌ सत्संवत्सरं दीर्घमायुः॥

हिंदी अनुवाद:- इस लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने से व्यक्ति श्री, तेज, आयु, स्वास्थ्य से युक्त होकर शोभायमान रहता है। वह धन-धान्य व पशु धन सम्पन्न, पुत्रवान होकर दीर्घायु होता है।

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