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नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी
जय श्रीनाथजी की. राजस्थान के उदयपुर जिले से 42 किलोमीटर उत्तर-पूर्व की ओर स्थित नाथद्वारा शहर, जो कभी सिहाड़ ग्राम के नाम से जाना जाता था, में प्रभु श्रीनाथजी मन्दिर में विराजमान हैं श्रीनाथजी। भगवान श्रीकृष्ण के 7 वर्ष बाल्यावस्था का रूप हैं श्रीनाथजी।
आज भी यहाँ जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर मध्य रात्रि को कृष्ण जन्म की खुशी में तोपें छोड़ने की परम्परा है। मूलतः यह श्रीवल्लभाचार्य द्वारा स्थापित वैष्णव संप्रदाय के इष्टदेव हैं। गुजरात, राजस्थान के वैष्णवों द्वारा श्रीनाथजी को मुख्य रूप से पूजा जाता हैै। श्रीनाथजी के भक्त न केवल राजस्थान अपितु देश-विदेश में फैले हैं।
ऐसा मानना है कि यहां आज भी मंदिर परिसर में सोने-चांदी की चकी (आटा पीसने वाली) और घी-तेल के कुएं है। यहां की चित्रकारी और मीनाकारी विश्वभर में प्रसिद्ध है।
श्रीजी की प्रतिदिन होने वाली निज सेवा के क्रम में आने वाली सामग्री चाहे कितनी भी महंगी, उपलब्ध न हो तो भी मंदिर प्रबंधन उसकी व्यवस्था किसी भी प्रकार से देश में कहीं से भी मंगवाकर उपलब्ध करवाता है।
गर्ग संहिता के अनुसार मानव जीवन में चार धाम की यात्रा कर ली जाए, मगर श्रीनाथजी के दर्शन करने पर ही उसकी काया सुधरी मानी जाती है।
नाथद्वारा जाने का रास्ता How to Reach Nathdwara
नाथद्वारा पहुंचने के लिए बस, रेल और हवाईजहाज तीनों की सुविधाएं पर्याप्त रूप से उपलब्ध है. उदयपुर तक पहुंचने के बाद आप बस या कार से मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं.
रेल मार्ग से ऐसे जाएं नाथद्वारा Rail Route to Nathdwara
देशभर के लगभग सभी शहरों से राजस्थान के उदयपुर तक रेल का सफर आसानी से उपलब्ध है। इसके अलावा नाथद्वारा तक जाने के लिए इन नजदीकी रेलवे स्टेशन पर उतर कर भी श्रीनाथ जी के दर्शनों के लिए जा सकते है। इन सभी स्टेशनों से बस ,जीप, कार और अन्य साधनों से आसानी से श्रीनाथजी मंदिर तक पहुँच सकते है।
- राजस्थान के उदयपुर रेलवे स्टेशन से श्रीनाथजी की दूरी 43 किलोमीटर है।
- राजस्थान के मावली रेलवे स्टेशन से श्रीनाथजी की दूरी 21 किलोमीटर है।
- राजस्थान के फतहनगर रेलवे स्टेशन से श्री नाथजी की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।
- राजस्थान के राणाप्रतापनगर रेलवे स्टेशन से श्रीनाथजी की दूरी लगभग 41 किलोमीटर है।
- राजस्थान के कपासन रेलवे स्टेशन से श्रीनाथजी की दूरी 50 किलोमीटर है।
- राजस्थान के खारवा चांदा से श्री नाथ जी की दूरी 58 किलोमीटर है।
- राजस्थान के ही जवार से श्री नाथ जी की दूरी 65 किलोमीटर है।
बस द्वारा, इन रास्तों से जा सकते हैं श्रीनाथजी Roadway to Shrinathji
दिल्ली से चलकर जयपुर होते हुए उदयपुर जाने वाली सभी बसों के अलावा जयपुर, भीलवाड़ा, उदयपुर, पाली से सीधी बस आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
फ्लाइट से ऐसे पहुंचें श्रीनाथ जी Air Connectivity to Shrinathji
दिल्ली, जयपुर के अलावा कई शहरों से उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट तक सीधी फ्लाइट है। यहाँ के टैक्सी या अन्य वाहनों द्वारा लगभग 60 किलोमीटर की दूरी तय करके नाथद्वारा पहुँच सकते है। डबोक एयरपोर्ट से श्रीनाथजी तक जाने का सड़क मार्ग अत्यंत ही सुन्दर और आँखों का सुकून देना वाला है।
श्रीनाथजी ऐसे आए नाथद्वारा
इतिहासकारों के अनुसार श्रीजी के मेवाड़ पधारने की भविष्यवाणी श्री गुसांई विट्ठलनाथजी ने द्वारिका यात्रा जाते समय मार्ग में वीरभूमि मेवाड़ के सिहाड़ नामक स्थान को देखकर अपने शिष्य बाबा हरिवंश के सामने की थी और यह कहा था की यहाँ श्रीनाथजी बिराजेंगे।
इससे पूर्व जब श्रीनाथजी ब्रज से आगरा, कोटा, बूंदी, किशनगढ़, पुष्कर, जोधपुर, उदयपुर होते हुए सर्वप्रथम घसीयार बिराजे। बाद में नाथद्वारा में पधारे। तब वि.स. 1728 फाल्गुन कृष्ण सप्तमी 20 फरवरी सन् 1672 ई. शनिवार को श्रीनाथजी वर्तमान निज मन्दिर में पधारे और धूमधाम से पाटोत्सव हुआ था। तब से ही सिहाड ग्राम का नाम श्रीनाथद्वारा के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
नाथद्वारा व आसपास के दार्शनिक स्थल Sightseeing at Nathdwara
अगर आप श्रीनाथजी दर्शन के लिए जा रहे हैं तो इस दर्शनीय स्थानों पर भी जरूर जाना चाहिए। इनमे गणेश टेकरी, राजसमंद में स्थित श्री द्वारकाधीश जी, चारभुजाजी, रोकडिया हनुमान, रुपनारायणजी, रामझूला, एकलिंगजी आदि मंदिरों के दर्शन प्राप्त कर सकते हैैं। इसके अलावा बारिश के दिनों में बागरी का नाका के प्राकृतिक नजारे भी अद्भुत होते हैं।
श्रीजी के सालाना भव्य उत्सव Festival of Shrinathji
श्रीनाथद्वारा में विराजित श्रीनाथजी के मंदिर में भव्य उत्सवों का आयोजन किया जाता है। जैसे- रामनवमी, अक्षय तृतीया, नृसिंह चतुर्दशी, नौका विहार, ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान यात्रा (सवा लाख आमों का भोग), आषाढ़ में कई वर्ष के मनोरथ, सावन के पूरे महीने झूले, भादों में नन्दोत्सव, जल झूलनी ग्यारस को जलविहार, शरद पूर्णिमा, धनतेरस, दीपावली, भव्य अन्नकूट, देव दीवाली, सर्दियों में घटाएं (श्याम घटा, कुसुंभी घटा, हरी घटा, लाल घटा, केसरिया घटा, सफेद घटा), होरी (बसंत पंचमी से चैत्र द्वितीया तक)। इस तरह पूरे साल भर भिन्न-भिन्न प्रकार के महोत्सव मनाए जाते हैं।
प्रतिदिन दर्शन व झांकियों का समय Daily Darshan Timings
मंदिर प्रशासन, समय में परिवर्तन करता रहता है। इसलिए जाने से पहले दर्शन के खुलने और बंद होने की जाकर जरूर ले।
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28/07/2019 Ko hindola darshan ka samay kya h??